Follow us on
Saturday, April 20, 2024
BREAKING NEWS
Haryana weather: हरियाणा के चार जिलों में गिरे ओले, दो महीने में चार बार हुई बारिशइजराइल ने ईरान पर ड्रोन हमले के बारे में अमेरिका को आखिरी क्षणों में सूचना दी : इटली के विदेश मंत्रीPunjab News: घर की छत गिरने से 3 गंभीर रूप से जख्मी, बुजुर्ग महिला की मौतचंडीगढ़ सेक्टर-46 पोस्ट ग्रेजुएट गवर्नमेंट कॉलेज का 39वां वार्षिक पुरस्कार समारोह आयोजितझारखंड में कक्षा 10वीं के बोर्ड परीक्षा परिणाम घोषित, उत्तीर्ण प्रतिशत में कमी आयीअमित शाह ने गांधीनगर लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल कियाHaryana News: विद्यार्थियो की वोट बनवाने के लिए हुआ विशेष कैम्प का आयोजनUttarakhand News: मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने देहरादून पहुंच कर किया मतदान
Religion

गणपति के अवतारों में से एक हैं वक्रतुंड

September 18, 2019 06:33 AM
Jagmarg News Bureau

पौराणिक कथाओं के अनुसार मानव जाति के कल्याण के लिए अनेक देवताओं ने कई बार पृथ्वी पर अवतार लिए हैं। उसी प्रकार गणेश जी ने भी आसुरी शक्तियों से मुक्ति दिलाने के लिए अवतार लिए हैं। श्रीगणेश के इन अवतारों का वर्णन गणेश पुराण, मुद्गल पुराण, गणेश अंक आदि अनेक ग्रंथों से प्राप्त है। इन अवतारों की संख्या आठ बताई जाती है और उनके नाम इस प्रकार हैं, वक्रतुंड,  गजानन, एकदंत, विघ्नराज, महोदर, लंबोदर, विकट, और धूम्रवर्ण। इस क्रम में आज जानिए श्रीगणेश के वक्रतुंड अवतार के बारे में।

क्यों लिया वक्रतुंड अवतार

शास्त्रों के अनुसार गणेश जी ने वक्रतुंड रूप में अवतार राक्षस मत्सरासुर के दमन के लिए लिया था। मत्सरासुर परम शिव भक्त था और उसने उनकी उपासना करके अभय होने का वरदान प्राप्त कर लिया। इसके पश्चात देवगुरु शुक्राचार्य के निर्देश पर उसने देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया। तब सारे देवता शिव जी की शरण में पहुंचे। जिस पर शंकर जी ने उनसे कहा कि वे गणेश जी का आह्वान करें। देवताओं द्वारा आह्वान करने पर गणपति वक्रतुंड अवतार लेकर प्रकट हुए।

इसी वक्रतुंड अवतार ने मत्सरासुर को उसके सहयोगियों समेत पराजित किया। बताते हैं कि  बाद में मत्सरासुर गणपति का परम भक्त हो गया था। गणेश जी के 8 प्रमुख अवतारों में प्रथम वक्रतुंडा अवतार माना जाता है। यह अवतार ब्रह्मा को धारण करने वाला है। कथा के अनुसार यह है कि देवराज इंद्र के प्रमाद से मत्सरासुर का जन्म हुआ था। इसने दैत्य गुरु शुक्राचार्य की प्रेरणा और पंचाक्षरी मंत्र ? नम: शिवाय के जप के फलस्वरुप शिवजी से मिले वरदान के बल के द्वारा तीनों लोगों को ही नहीं बल्कि कैलाश और बैकुंड पर भी आधिपत्य जमा लिया। इस पर देवताओं ने शिव जी की सलाह पर भगवान दत्तात्रेय से मिलकर के वक्रतुंड के एकाक्षरी मंत्र से अनुष्ठान किया।

इस मंत्र के प्रभाव से पशुपतिनाथ ने वक्रतुंड को प्रकट किया और मत्सर से मुक्ति दिलाने के लिए कहा।  मत्सर के साथ उसके दो पुत्र सुंदरप्रिय और विषयप्रिय भी थे। ये दोनों भी बहुत अत्याचारी थे। वक्रतुंड और उनके भक्त तुम और मत और मत्सर असुर और उसके दोनों पुत्रों के मध्य में घमासान हुआ। अंतत: उसके दोनों पुत्र मारे गए और मत्सर असुर वक्रतुंड जी की शरण में चला आया। उसके बाद गणेश जी ने देवताओं को निर्भय होने का आर्शिवाद प्रदान किया।

 
Have something to say? Post your comment
More Religion News
प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार हुआ सुर्य तिलकः राम भक्तों में असीम खुशी का माहौल अयोध्या पहुंची प्रियंका चोपड़ा ने पति निक व बेटी मालती के साथ राम मंदिर में की पूजा-अर्चना अयोध्या: सुबह 7 बजे से लेकर रात 11 बजे तक रामलला के दर्शन कर सकेंगे भक्त Breaking : अयोध्या, आज तीन लाख लोगों ने राम मंदिर के दर्शन किए रामलला के दर्शन को उमड़ी भीड़, मंदिर में 2 बजे तक श्रद्धालुओं की एंट्री पर लगी रोक Breaking : पूरा हुआ प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान, अब अयोध्या आए लोगों को संबोधित करेंगे पीएम मोदी Breaking : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर पहुंचे, थोड़ी देर में शुरू होगा प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान Breaking : अयोध्या, आरती के समय 30 कलाकार अलग-अलग भारतीय वाद्य यंत्रों का वादन करेंगे Breaking : 22 जनवरी को अयोध्या को 10 लाख दीयों से रोशन करेगी योगी सरकार रामलला की प्राण प्रतिष्ठा : श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान जारी, पांचवें दिन हो रही वास्तु पूजा