Follow us on
Thursday, March 28, 2024
BREAKING NEWS
चंडीगढ़ में बीजेपी कोर कमेटी की मीटिंग शुरू: प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़, प्रदेश प्रभारी विजय रूपाणी समेत कई बडे़ नेता हाजिरउत्तराखंड के नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा के डेरा प्रमुख की गोली मारकर हत्याHaryana News: हरियाणा की पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल ने कांग्रेस छोड़ीBreaking: हरियाणा की अशोका यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स का हल्ला बोल, ब्राह्मण-बनियावाद मुर्दाबाद के नारे लगेBreaking: पंजाब CM के घर गूंजी किलकारी, पत्नी ने बेटी को जन्म दिया, सीएम भगवंत मान ने लिखा- जच्चा-बच्चा स्वस्थPunjab News: CM मान के घर कभी भी आ सकती है खुशखबरी, पत्नी मोहाली के निजी अस्पताल में हुई भर्तीममता पर टिप्पणी को लेकर भाजपा नेता दिलीप घोष के खिलाफ प्राथमिकी दर्जहरियाणा में बदले हुए हैं मौसम के मिज़ाजः गरज चमक के साथ हो सकती है बारिश, 14 शहरों में येलो अलर्ट जारी
Editorial

एक सपनों का बजट, जो कोविड के बाद की अवधि में न केवल तत्कालरिकवरी के लिए, बल्कि दशक के दौरान उच्च विकासके लिए भी मार्ग प्रशस्त करता है - डॉ केवी सुब्रमण्यन

February 07, 2021 07:30 AM
Jagmarg News Bureau

स्वास्थ्य देखभाल बजट में 137 प्रतिशत की वृद्धि; बुनियादी ढांचाव्यय में 32प्रतिशत की वृद्धि, जिसमें राज्यों और स्वायत्त निकायों के लिए 2 लाख करोड़ रुपये का आवंटन शामिल नहीं है;दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एक बीमा कंपनी का निजीकरण;बैंकों की बैलेंस शीट को व्यवस्थित करने के लिए निजी क्षेत्र में एक बैड बैंक; कर प्रणाली व्यवस्थित करने के साथ करों में कोई वृद्धि नहीं;मध्यम अवधि कीराजकोषीय मजबूती के लिए रूपरेखा प्रदान करते हुए आर्थिक रिकवरी को आगे बढ़ाते हुए राजकोषीय खर्च में महत्वपूर्ण वृद्धि, जिसमें संपत्ति के मुद्रीकरण की योजना शामिल है। आत्मनिर्भर भारत पैकेज 1-3 द्वारा पुजारा जैसी बल्लेबाजी के बाद, जिसने यह सुनिश्चित किया कि महामारी के दौरान भारत को कम से कम नुकसान हो तथा आर्थिक प्रगति वी-आकार कीहो, वित्त मंत्री ने सोमवार को रिषभ पंत की भूमिका निभाई और उन्होंने एक ऐसा बजट पेश किया, जिसे इतिहास याद रखेगा।

एक अर्थव्यवस्था में, इनपुट के घटक के रूप में नरम और कठोर बुनियादी ढांचा तथा श्रम और पूंजी शामिल होते हैं। परंपरागत रूप से, श्रम और पूंजी को प्रमुख इनपुट माना जाता है। चूंकि नरम और कठोर बुनियादी ढांचा, श्रम और पूंजी की उत्पादकता को बढ़ाते हैं, इसलिए बजट के विश्लेषण में, हम इन्हें इनपुट भी मान सकते हैं। नरम बुनियादी ढांचा मानव विकास से सम्बंधित है, जबकि कठोर बुनियादी ढांचे में भौतिक संपत्ति शामिल होती है। महामारी ने स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया है, इसलिए यह नरम बुनियादी ढांचे का एक महत्वपूर्ण तत्व बन गया है। इसी तरह, कठोर बुनियादी ढांचा निजी निवेश को सक्षम बनाता है और निवेश, विकास और उपभोग के चक्र को तेज करता है। इस वर्ष के बजट को ऐतिहासिक माना जाएगा, क्योंकि यह, इनपुट के इन सभी घटकों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।

एनआईपीएफपी अध्ययन से पता चलता है कि भारत में भौतिक बुनियादी ढांचे में निवेश कावित्तीय गुणक बहुत अधिक रहा है –यह निवेश किये जाने वाले वर्ष में 2.5 और अगले कुछ वर्षों के लिए 4.5 रहता है। इसलिए, यदि हम सिर्फ राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन के कार्यान्वयन के लिए आवंटित 5.54 लाख करोड़ रुपये के प्रभाव पर विचार करते हैं, तो यह जीडीपी का 2.5 प्रतिशत है। 2.5 के गुणक को लेने पर यह, 2.5 प्रतिशत  X2.5 = 6.25प्रतिशतहोता है। इस प्रकार, बुनियादी ढांचे पर खर्च से सकल घरेलू उत्पाद में 6.25प्रतिशतकी वृद्धि की उम्मीद की जा सकती है। इसके अतिरिक्त,अक्टूबर के महीने के बाद से सरकार के पूंजीगत व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप इसके लिए संशोधित अनुमान वित्त वर्ष 20 के बजट में निर्धारित 4.2 लाख करोड़ रुपये की बजाय 4.39 लाख करोड़ रुपये होगा। लॉकडाउन के दौरान पूंजीगत व्यय में अत्यधिक कमी के बावजूद बजट अनुमान की तुलना में यह 4.5 प्रतिशत की वृद्धि स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ने की उम्मीद है।

सड़कों और रेलवे के क्षेत्र में किये गये उल्लेखनीय आवंटन खासतौर पर देश में लोजिस्टिक्स संबंधी बेहतर बुनियादी ढांचे के निर्माण को संभव बनायेंगे और इस क्रम में भारतीय कंपनियों के व्यापार करने की लागत को कम करेंगे। ये आवंटन श्रम सुधार,  सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम के क्षेत्र में एक निश्चित बदलाव और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं समेत आत्मनिर्भर भारत 1-3 में शुरू किये गये कई सुधारों को आगे ले जायेंगे और देश में विनिर्माण क्षेत्र को सक्षम और उन्नत बनायेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के लिए वित्तपोषण निगम का प्रावधान करने वाले इस विधेयक का उद्देश्य निजी क्षेत्र में भी बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण से जुड़े संस्थानों की स्थापना को संभव बनाना है, जो सार्वजनिक व्यय के मामले में वित्तपोषण संबंधी और नये विकल्प जोड़ेगा।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में किये जानेवाले खर्च में भारी बढ़ोतरी का असर निश्चित रूप से समय के साथ सामने आयेगा। लेकिन, इस वर्ष स्वास्थ्य देखभाल में आवश्यक धनराशि प्रदान करने के साथ टीकाकरण के लिए 35000 करोड़  रुपये का प्रावधान भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी एक टीके के रूप में कार्य करेगा। इसका प्रभाव मानव-संपर्क की दृष्टि से संवेदनशील माने जाने वाले सेवा क्षेत्रों में महसूस किया जाएगा, जहां मांग की पूरी तेजी से वापस लौटने की उम्मीद है। इसलिए, टीकाकरण पर होने वाले खर्च का असर इसी साल देखने को मिलेगा। स्वास्थ्य सेवा में प्राथमिक,द्वितीयक व तृतीयक स्तर तक की देखभाल की संपूर्ण श्रृंखला पर केंद्रित आत्मनिर्भर भारत स्वास्थ्य योजना के जरिए व्यय को सुव्यवस्थित रूप दिए जाने तथा स्वास्थ्य क्षेत्र में किये गये खर्च से  उत्पादक प्रभाव को बढ़ाने में मदद मिलने की उम्मीद है।

स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च में हुई उल्लेखनीय वृद्धि, स्वास्थ्य क्षेत्र को दिए गए महत्त्व को इंगित करता है और यह कदम मध्यम से लेकर दीर्घावधि तक आम आदमी को लाभान्वित करेगा। मानव विकास के मामले में संभावित सुधार श्रम की उच्च उत्पादकता के रूप में प्रकट होगी और इस तरह समग्र उत्पादकता में सुधार होगा।

स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में बदलाव के संकेत के अलावा, इस वर्ष का बजट भारत के वित्तीय क्षेत्र में परिवर्तन की शुरुआत कर सकता है। इस संबंध में तीन प्रमुख पहल हुई हैं। पहला कदम एक बैड बैंक की स्थापना है, जिसका क्रियान्वयन कमजोर या मुसीबत से गुजरने वाली परिसंपत्तियों में मूल्य सृजन की दृष्टि से जरुरी निर्णय लेने की प्रक्रिया को निजी क्षेत्र के ढांचे के जरिए सक्षम बनाया जायेगा। दूसरा कदम, आवश्यक विधायी परिवर्तन के जरिए सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक बीमा कंपनी को सक्षम बनाने के उद्देश्य से उनका प्रस्तावित निजीकरण है। और आखिरी कदम, आवश्यक सुरक्षा उपायों के साथ बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 49% से बढ़ाकर 75% तक करना है।

कुल मिलाकर, इस दशक के पहले बजट ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण रोडमैप प्रदान किया है, जो न केवल कोविड – पूर्व काल के विकास पथ पर वापस लौटेगा, बल्कि इस दशक में विकास को गति प्रदान करेगा। वित्तमंत्री महोदया,  अपने वादे के मुताबिक ... आपने एक ऐतिहासिक और यादगार बजट दिया है !

 
Have something to say? Post your comment
More Editorial News
1896 में हुई थी आधुनिक ओलम्पिक खेलों की शुरूआत - योगेश कुमार गोयल बालश्रम: 20 वर्ष बाद भी नहीं सुधरे हालात - योगेश कुमार गोयल आग उगलती धरती: दोषी प्रकृति या हम? - योगेश कुमार गोयल हिन्द की चादर गुरू तेग बहादुर - योगेश कुमार गोयल सरपंच पति, पार्षद पति का मिथक तोडती महिलाएं - डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा वतन के लिए त्याग और बलिदान की मिसाल थे भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू - योगेश कुमार गोयल जीरो बजट प्राकृतिक खेती भारत की खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा, अब MSP गारंटी कानून से टिकाऊ खेती प्रोत्साहन है समाधान - डा वीरेन्द्र सिंह लाठर हरित ऊर्जा क्रांति अब एक विकल्प नहीं मजबूरी है - नरविजय यादव मातृभाषाओं को बनाएं शिक्षा का माध्यम - अरुण कुमार कैहरबा जिंदगी में चलना सीख लिया तो चलती रहेगी जिंदगी - नरविजय यादव