कोरोना के निरंतर बढते आंकड़ों को देखकर आजकल आमजन घबराहट में है। देश में कोरोना संक्रमितों के एक दिन मे पहली बार 02 लाख से अधिक मामले बीते 15 अप्रैल को उजागर हुएं। जबकि अगले रोज आंकडा 02 लाख 17 हजार के करीब जा पहुंचा। इसी तरह 17 अप्रैल को 02 लाख 34 हजार से अधिक संक्रमितों ने देश के प्रबंधन की नींद हराम कर दी। इतना ही नहीं बीते रविवार यह हत्यारा आंकडा 02 लाख 61 हजार के पार जा पहुंचा जबकि सोमवार को कोरोना आंकडा पूर्व के सभी रिकार्ड को ध्वस्त करते हुए 02 लाख 73 हजार के करीब जा पंहुचा। देश में संक्रमितों की संख्या मे बीते मंगलवार को भी 02 लाख 59 हजार के साथ भारी इजाफा हुआ। जबकि बुधवार के दिन 03 लाख से भी अधिक कोरोना मामलों की पुष्टि ने सभी को हैरान कर दिया।
विगत 15 अप्रैल से देश में कोरोना महामारी ने जिस कद्र उग्र रूप धारण किया है उसे देखकर देशवासी गहन चिंतन में है। उसे आजकल न खाने का स्मरण है न पीने की फिक्र। उसे बस दिन रात अपने परिवार के स्वास्थ्य की चिंता सता रही है। जबकि यह देश की विडम्बना है कि कई लोगों आजकल भी बेवजह चौराहे पर घुमने में अपनी शेखी समझते हैं। वे बाजार मे तसल्ली से घुमते है तथा औरों को भी घर से बाहर निकलने के लिए उकसाते है। इन संकुचित मानसिकता से ग्रस्त लोगों का यह नीच नाच तब तक जारी रहता है जब तक पानी सिर से ऊपर न निकल जाए। ऐसे लोग अपने कुकर्म के लिए सहजता से सरकार को जिम्मेदार ठहराते है। वे बड़ी चालाकी से अपने किए का दोष प्रशासन के सिर मढ़ देते हैं।
गत सप्ताह देश में कोरोना आंकडों में जिस कद्र इजाफा हुआ वह हम सब के अनुमान से परे था। यह कहना भी न्याय संगत नहीं होगा कि देश मे कोरोना का रिकवरी रेट नाकाफी है। परंतु विगत सात दिनों से महामारी यहाँ जिस कद्र अपना रौद्र रूप दिखा रही है उसे देख कर हम कह सकते हैं कि देश मे मरीजों के स्वस्थ होने की दर पिछडती जा रही है। एक दिन मे पौने तीन लाख कोरोना मरीजों की पुष्टि होना किसी भयावह संकट से कम नहीं। यदि संक्रमितों की संख्या मे इसी तरहा से बढोत्तरी होती रही तो वह दिन दूर नहीं जब देश मे कुल संक्रमितों की संख्या 50 लाख के करीब पंहुच जाएगी।
कोरोना के वर्तमान बिगड़े हालातों ने देश के कई अस्पतालों के हाथ खड़े कर दिए है। कई अस्पतालों मे आईसीयू बैड की किल्लत, कई मे ऑक्सीजन आपूर्ति की समस्या, कई अस्पतालों मे स्टाफ का टोटा तो कई में अद्योसरंचना की समस्या उजागर हो रही है। यदि कोरोना हालत यूँ ही अनियंत्रित होते रहे तो आगामी दिनों के हालातों को हम भलीभाँति समझ सकते हैं। देश के वर्तमान कोरोना हालातों के लिए जिम्मेदार यदि आमजन है तो प्रशासन की लापरवाही को भी हम नजरअंदाज नहीं कर सकते।
देश मे कई हॉटस्पॉट ऐसे है जहाँ तुरंत प्रभाव से पूर्ण तालाबंदी होनी चाहिए। लेकिन हमारा लचीला प्रबंधन अभी भी सप्ताह के आठवें दिन को ताक रहा है। हम जानते हैं कि कई लोग बेवजह सैर सपाटे पर निकल रहे हैं, कई लोग मामूली दिक्कत के लिए अस्पतालों मे पधार रहे हैं। जबकि कुछ लोग इस भयानक काल मे अपनी ऐशप्रस्ती के लिए परिवार सहित धार्मिक स्थलों की यात्रा पर निकल रहे हैं।
हम अभी भी इस गलतफहमी में जी रहे हैं कि देश विगत वर्ष की भांति इस बार भी सहजता से कोरोना को हरा देगा। परंतु हम बिसर जातें हैं कि इस बार के हालात गत वर्ष से भिन्न हैं। माना कि गत वर्ष यह नया अनुभव था। लेकिन हम अभी इतने अनुभवी भी नहीं कि बदतर हालातों को सहजता से सामान्य कर देंगे। जब तक आम नागरिक यहाँ अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह बखूबी नही करेगा तब तक हमें दिन मे लाखों नएं मरीज मिलतें रहेंगे। यह कहना भी गलत होगा कि देश मे सभी राज्यों के कोरोना हालात समांतर है।
कई प्रदेशों मे हालत समान्य है। वर्तमान मे देश मे 65 फीसदी मरीज पांच राज्यों महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, केरल, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश से आ रहें हैं। जबकि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और महानगरी मुम्बई इनदिनों भारत में कोरोना हॉटस्पॉट बने हुए हैं। हम इस भलेके में भी है कि दूसरे राष्ट्रों की भांति हम भी इस महामारी को वक्त रहते नियंत्रित कर देंगे। परंतु हम यह भूल जाते हैं कि विदेशों की स्वास्थ्य सुविधाएं हमसे कई मायनों में बेहतर है। उनकी जनसंख्या हमारे देश की आबादी से काफी नियंत्रित है। ऐसे में हम अपने देश की तुलना अमेरिका, इटली और ब्रिटेन से नहीं कर सकते। महामारी नियंत्रित करने के रास्ते हमें स्वयं तलाशने होंगे।
देश मे वर्तमान मे दुनिया का सबसे प्रमुख टीकाकरण अभियान गतिमान है। लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि अमेरिका ने अब तक अपनी आबादी का आधे से ज्यादा भाग टीकाकरण अभियान से जोड़ दिया है। कहने से कोई अभियान विश्व व्यापी नहीं बनता उसे दुनिया का प्रमुख अभियान बनाने के लिए प्रयास भी अव्वल दर्जे के होने चाहिए। हमें देश की कुल आबादी के 12 फीसदी हिस्से का टीकाकरण करने के लिए भी अभी कड़ी जद्दोजहद करनी होगी। ऐसे मे हम अमेरिका और ब्रिटेन के स्वास्थ्य मॉडल से भारत के स्वास्थ्य अद्योसरंचना की तुलना नहीं कर सकते।
वर्तमान मे देश की कुल आबादी 130 करोड़ से अधिक है जबकि हमने अभी लगभग 13 करोड़ लोगों का ही टीकाकरण किया है। जिससे हम समझ सकते हैं कि हमारा विश्व व्यापी एवं प्रमुख टीकाकरण अभियान तीन माह गुजर जाने के बाद किस स्तर पर पहुँचा है। एक कडवी सच्चाई यह भी है कि भारत मे 10 करोड़ कोरोना डोज मे से लगभग 45 लाख डोज बर्बाद हुईं हैं।
जिससे हम अंदाजा लगा सकते हैं कि हम कितने जागरूक है और हमारे इंतजाम कितने माकूल है। टीके की बर्बादी का कडा संज्ञान लेते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि यदि देश मे कोरोना टीके पर्याप्त हैं तो टीकाकरण की रफ़्तार धीमी क्यों है? देश में टीके की कमी है या लोग डोज लेने से बच रहे हैं? जो लोग स्वेच्छा से अभियान का हिस्सा बनना चाहते हैं उन्हें टीके क्यों नहीं लगाएं जा रहे हैं?
देश मे दो दो कोरोना टीकों का उत्पादन हो रहा है। परंतु कुछ राज्य सरकारें फिर भी डोज न मिलने की बात कर रही है। जबकि कुछ जगहों से टीके की काला बाजारी की खबरें मिल रही है। ऐसे में कोरोना के आंकड़े का लगातार बढना लाजमी हो जाता है।
पीएम मोदी ने भले ही 01 मई से 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को कोरोना टीका लगाने की घोषणा की हो। परंतु देश मे अभी करोड़ों लोगों 45 प्लस उम्र के भी है जिन्हें टीके नहीं लगे हैं। अब सवाल उठता है कि देश मे कोरोना डोज की आपूर्ति कैसे सुनिश्चित होगी? कैसे हम कम लागत पर कोरोना डोज को आमजन तक पहुचाएंगे? कैसे हम 130 करोड़ लोगों को अभियान के साथ छोडेंगे? कैसे हम टीकों की बर्बादी को शुन्य तक पहुचाएंगे?
कैसे हम कोरोना को हराने मे सफल होंगे? उम्मीद है आगामी दिनों में देश का प्रत्येक नागरिक अपनी जिम्मेदारी को समझेगा और कोरोना महामारी के विरुद्ध अपने व्यवहार को बखूबी सुधारेगा तथा यह भी आशा करते हैं कि आगामी दिनों मे समस्त देशवासियों को कोरोना डोज नसीब होगी। देश दुनिया के सबसे बडे टीकाकरण अभियान को अंतिम चरण तक पहुँचने मे सफल होगा और देश कोरोना मुक्त हो जाएगा।