चंडीगढ़ (मयंक मिश्रा) - शहर में मौसम में हुए बदलाव के बाद एकाएक वायरल बुखार और सर्दी-जुकाम से संबंधित बीमारियों के मरीज शहर के अस्पतालों में पहुंचने लगे है। इन दिनों लोगों को जो वायरल हो रहा है वह ज्यादा दिनों तक रह रहा है और लोगों को सिर दर्द और बदन दर्द की शिकायत ज्यादा है। बच्चों पर भी वायरल बुखार का खतरा मंडरा रहा है और अस्पतालों में बच्चों की ओपीडी में 70 प्रतिशत मरीज वायरल बुखार के आ रहे हैं।
वायरल में किसी को तेज बुखार और बदन में दर्द, पेट में इंफेक्शन और उल्टी की दिक्कत हो रही है। इसके अलावा बच्चों को खांसी जुकाम के साथ तेज बुखार की दिक्कत ज्यादा हो रही है। शहर के अस्पतालों में वायरल बुखार के अलावा मलेरिया और डेंगू के मामले आने शुरू हो गए हैं। शहर के प्रमुख अस्पतालों में मरीजों की भीड़ दिखने लगी है। शहर के पीजीआई, जीएमसीएच-32 और जीएमएसएच-16 की ओपीडी में इन दिनों वायरल के अलावा डेंगू और मलेरिया के मरीज भी आ रहे हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि इन दिनों मौसम में नमी ज्यादा होता है। इससे वायरस ज्यादा देर तक वातावरण में रहता है। इसके अलावा बारिश के मौसम में वाटर बॉर्न डिजीज भी होती हैं। डॉक्टरो के अनुसार वायरल और कोरोना के लक्षण एक जैसे ही हैं। इसलिए लक्षण आते ही घरेलू उपचार करने के बजाय विशेषज्ञ के पास ले जाएं। मास्क, सामाजिक दूरी और सेनिटाइजेशन के मानक का पालन करें।
डॉक्टर के निर्देश पर कोरोना की जांच कराए। वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि वायरल बुखार के कारण बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता तेजी से कम होती है। ऐसे में अगर कोरोना का खतरा बढ़ा तो वे आसानी से उसकी चपेट में आ सकते हैं। इससे जरूरी है कि बच्चों के लक्षणों पर विशेष नजर रखी जाए और किसी भी तरह का बदलाव होने पर डॉक्टर की तत्काल सलाह लें।
वायरल बुखार बहुत तेजी से एक इंसान से दूसरे तक पहुंच जाता है। यह बुखार एक साथ कई लोगों को हो जाता है। वायरल से बचाव के लिए जरूरी है कि बच्चों के खानपान व साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाए। वायरल बुखार होने पर बुखार के साथ जो लक्षण हैं उनमें गले में खराश, नाक से पानी गिरना, छाती और पेट में दर्द, शरीर में दर्द और उल्टी आना, खाना न खाना और सांस फूलना शामिल हैं।
अस्पतालों में बढ़े आई फ्लू के भी केस
शहर में आई फ्लू भी तेजी से फैल रहा है। पीजीआई, जीएमसीएच-32, जीएमएसएच-16 सहित प्राइवेट क्लीनिक की ओपीडी में आई फ्लू के पेशंट बढ़ गए हैं। ओपीडी में रोजाना 15 से 20 फीसदी मरीज आई फ्लू के आ रहे हैं। आंखों के डॉक्टरे के अनुसार बारिश के इस मौसम में नमी बढ़ जाती है, जिससे आई फ्लू का वायरस ज्यादा देर तक वातावरण में रहता है और एक से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैलता है।
नेत्र चिकित्सकों का कहना है कि आई फ्लू होने पर ज्यादातर लोग कैमिस्ट से एंटीबायोटिक ड्राप ले लेते हैं। ज्यादा एंटीबायोटिक ड्राप डालने से आंखों में बैक्टीरियल रजिस्टेंस बढ़ जाता है और एंटीबायोटिक जल्दी से असर नहीं करता। कई केसों में पलकों में सूजन आ जाती है। आई फ्लू ज्यादा दिन तक रहे तो आंखों की पुतली पर धब्बे आ जाते हैं, जिससे आंखों की रोशनी कम होने की आशंका रहती है। इसलिए अगर किसी भी व्यक्ति को आई फ्लू हो गया है तो के किसी अच्छे नेत्र चिकित्सक के पास दिखाकर दवाई लें और डॉक्टर की ओर से बताई गई दवाएं ही इस्तेमाल करें। बिना डॉक्टर को दिखाए कैमिस्ट से अपने आप कोई भी दवाई न लें।