चंडीगढ़ - इंटरनेशनल डे ऑफ गर्ल चाइल्ड के मौके पर शहर के 14 प्रमुख स्कूलों की 550 स्कूल गर्ल्स हाथ मिलाते हुए 'डिमांड एंड क्लेम यूआर राइट्स' के 'गर्ल्स इंडिया प्रोजेक्ट' के स्लोगन को बढ़ावा देने के लिए गुलाबी रंग की पगड़ी पहन कर सेक्टर-15 स्थित डीएवी मॉडल स्कूल से गांधी स्मारक भवन, सेक्टर-16 तक ह्यूमन चेन बनाकर खड़ी हुईं। चंडीगढ़ स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के मेंबर सेक्रेट्री पुनीष जींदिया इस मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित थे।
इस अनोखी पहल का आयोजन डीएवी मॉडल स्कूल, सेक्टर-15 ए के पीस क्लब और शहर की स्वयंसेवी संस्था युवसत्ता ने कार्मल कांवेंट स्कूल, सेंट जॉन्स स्कूल, आईएस देव समाज सीनियर सेकेंडरी स्कूल, केबी डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, कुंदन इंटरनेशनल स्कूल, आरआईएमटी वर्ल्ड स्कूल, बैनयन ट्री स्कूल, जीएमएसएसएस, सेक्टर-23 ए, मोती राम आर्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल, जीएमएसएसएस, कैंबवाला, जीएमएसएसएस, सांरगपुर, जीएमएस, बापूधाम कालोनी और किताबघर के सक्रिय सहयोग से किया था।
इस मौके पर मौजूद प्रमुख लोगों में डीएवी मैनेजिंग कमेटी के वाइस चेयरमैन आरसी जीवन, रीजनल डायरेक्टर मधु बहल, स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के लॉ ऑफिसर राजेश्वर सिंह, सीनियर एडवोकेट रीटा कोहली, फॉसवेक-फेडरेशन ऑफ सेक्टर वेलफेयर एसोसिएशंस के चेयरमैन बलजिंदर सिंह बिट्टू और सचिव प्रदीप शामिल थे।
इस प्रयास के बारे में जानकारी साझा करते हुए डीएवी मॉडल स्कूल, सेक्टर-15 ए की प्रिंसिपल अनुजा शर्मा ने कहा कि गुलाबी पगड़ी पहने हुए 550 स्कूली छात्राओं के साथ सेंट जॉन्स हाई स्कूल के लड़कों ने भी गुलाबी स्टॉल्स पहन कर इस कॉज के लिए एकजुटता दिखाई। उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रों में पगड़ी सम्मान और आदर का प्रतीक होती है।
खासकर उत्तर भारत में इसे बांधना एक प्रथा होती है और उत्तर भारत में ही महिला-पुरुष का लिंग अनुपात सबसे खराब है तथा यहीं कन्या भ्रूण हत्या के केस सबसे अधिक होते हैं। और गुलाबी रंग सहानुभूति, लालन-पालन और प्यार को दर्शाता है। यह बिना शर्त प्यार व समझ से संबंधित है। इसलिए पगड़ी और गुलाबी रंग का प्रयोग करने का विचार ‘राइजिंग गर्ल्स एंड एंपावर्ड वूमेन’ का मजबूत संदेश देना है।
स्वयंसेवी संस्था युवसत्ता के संयोजक प्रमोद शर्मा ने कहा कि "वह दुनिया को उज्ज्वल बनाती है, लेकिन फिर भी प्रकाश देखने के लिए संघर्ष करती है" को ध्यान में रखते हुए इस पहल की योजना बनाई गई ताकि सभी स्तरों पर लड़कियों के अधिकारों और सम्मान के प्रति समाज में जागरूकता को बढ़ाया जा सके। और चूंकि हमारी 50% महिला आबादी पितृसत्ता की बेड़ियों के पीछे है, इसलिए हम एक विकसित भारत का सपना नहीं देख सकते हैं।
मुख्य अतिथि पुनीष जींदिया ने डीएवी मॉडल स्कूल, सेक्टर-15 ए में रंगबिरंगे गुब्बारों को हवा में छोड़कर इस कैंपेन को लांच करते हुए कहा कि यह लड़कियों और महिलाओं के लिए उचित समय है कि वे भारत के संविधान द्वारा उन्हें दिए गए शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, समानता और मानवाधिकारों के मौलिक अधिकारों के लिए आवाज उठाएं। और जब तक वे अंदर से सशक्त महसूस नहीं करेंगी और अपने उचित अधिकारों का दावा करने के लिए एक स्टैंड नहीं लेंगी तब तक वे समाज में अपनी स्थिति में किसी बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं कर सकती हैं।
मिल्कफेड पंजाब के मैनेजिंग डॉयरेक्टर सरदार कमलदीप सिंह सांघा, जिन्होंने इस पहल में भाग लेने वाली छात्राओं और शिक्षकों के लिए जलपान को प्रायोजित किया था, ने श्री गुरु नानक देव जी के 550 वर्षों के उत्सव के अनुरूप बदलाव को प्रेरित करने के लिए 550 स्कूली लड़कियों को शामिल करने के प्रयास की सराहना की और कहा कि श्री गुरु नानक देव जी ने 1499 में लोगों से कहा था कि "[यह] एक महिला है जो दौड़ को जारी रखती है" और यह कि हमें "स्त्री को शापित और निंदित नहीं समझना चाहिए", [जब] स्त्री पैदा ही नेता और राजा बनने के लिए हुई है।”