गर्दन में दर्द, अकड़न, कंधों में दर्द, हाथ-पांव में सूनापन और हाथ-पैरों में कमज़ोरी महसूस होना, शारीरिक संतुलन गड़बड़ाना, यह सर्वाइकल के लक्षण हैं। सर्वाइकल की परेशानी आमतौर पर गलत पॉजीशन में बैठने और सोने से होती है। लगातार गलत पॉज़ीशन के कारण रीढ़ की हड्डी के गर्दन वाले हिस्से में सूजन से शुरू होने वाली यह तकलीफ खासकर कंप्यूटर पर काम करने वालों को ज्यादा होती है।
अब कंप्यूटर से कहीं ज्यादा यह परेशानी मोबाइल के अधिक प्रयोग से हो रही है। बदलते मौसम में सभी तरह के दर्द परेशान करने लगते हैं लेकिन सर्वाइकल की परेशानी काफी बढ़ जाती है। कोविड के चलते वर्क फ्रॉम होम के दौरान लोगों को सर्वाइकल ने ज्यादा परेशान किया। घर में बिस्तर पर बैठे लैपटॉप या मोबाइल पर काम करने से हमारा पॉश्चर ज्यादा खराब हो गया है।
बच्चे तो ऑनलाइन क्लास के चलते घंटों स्क्रीन के सामने रहने के बाद रही सही कसर मोबाइल पर गेम खेलकर पूरी कर देते हैं, ऐसे में सर्वाइकल की परेशानी उन्हें भी हो रही है। ध्यान रहे जिन लोगों का काम बैठे रहना ज्यादा है उन्हें बदलते मौसम में अपने आप पर ध्यान देना ज्यादा जरूरी है।
शारीरिक व्यायाम और आउटडोर खेलों में कमी के कारण भी बच्चों को यह समस्या होने लगी है। इस संबंध में जानकारों का कहना है इन सब परेशानियों से बचना है तो सबसे पहले संतुलित आहार लें, जिसमें बसा कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और खनिज सही अनुपात में हों।
कंप्यूटर पर काम करते समय या फिर मोबाइल का प्रयोग करते समय अपने शरीर के पॉश्चर का ध्यान रखें। बैठते समय रीढ़ की हड्डी सीधी रहनी चाहिए। लगातार गर्दन झुकाकर घंटों काम करने से रीढ़ की हड्डी के ऊपरी भाग पर ज़ोर पड़ता है और यही सर्वाइकल का कारण बनता है। हर आधे घंटे में एक अपनी सीट से उठकर थोड़ा टहल लें।
पुरानी कहावत है, 'चेंज ऑफ वर्क इज रेस्ट,' इस कहावत को अमल में लाएंगे तो शरीर पर काम का प्रेशर कम होगा। रात में सोते समय मोटा तकिया लगाने से बचें। हल्के तकिए का इस्तेमाल करते हुए गर्दन के नीचे पूरी सपोर्ट मिलती रहती है। इसके लिए आप तकिए के बजाय किसी चादर या तौलिये का इस्तेमाल कर सकते हैं।
कई बार कैल्शियम और विटामिन-डी की कमी भी इस तरह की परेशानियों का कारण बन जाती है। इसलिए 40 वर्ष की उम्र के बाद नियमित रूप से जांच कराते रहें। रोज़ाना आधा घंटा धूप में बैठें। धूप शरीर के लिए बहुत जरूरी है। इसलिए हर किसी को कुछ देर धूप में रहना ही चाहिए।
डॉक्टरी सलाह के बाद फिजियोथेरेपी कराना फायदेमंद रहता है। यदि दिक्कत शुरूआती चरण में हैं तो चिकित्सक खुद ही व्यायाम की सलाह देते हैं और कौन सा व्यायाम कैसे और कितनी देर करना है, यह भी बताते हैं।
गर्म दूध में थोड़ी हल्दी डालकर पीएं। हल्दी में एंटी ऑक्सीडेंट और इनफ्लेमेट्री गुण पाए जाते हैं।
अदरक भी दर्द निवारक का काम करता है। अदरक का इस्तेमाल आप चाय, दूध या फिर दाल सब्जी में भी कर सकते हैं।
लहसुन एक बहुत ही अच्छा एंटी ऑक्सीडेंट है। रोजाना सुबह खाली पेट लहसुन की दो कलियां खाने से काफी फायदा मिलता है।
नमक का पानी दर्द निवारक का काम करता है। शरीर के दर्द वाले हिस्से में गर्म पानी में नमक डालकर उससे सिकाई करें।