कुल 10 दिशाएं होतीं हैं किंतु उनमें से आठ को किसी भी धरातल पर स्पष्ट किया जा सकता है।ये दिशाएं:-
1.उत्तर 2. दक्षिण 3. पूर्व 4. पश्चिम 5. उत्तर-पूर्व (ईशान) 6. दक्षिण-पूर्व (आग्नेय) 7. उत्तर-पश्चिम (वायव्य) 8. दक्षिण-पश्चिम (नऋत्य) हैं। प्रत्येक दिशा का मनुष्य के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि जिस भवन में वह निवास करता है उसके शुभाशुभ यह दिशाएं महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करतीं हैं।
दिशा के अनुसार करें वृक्षारोपण
उपरोक्त दिशाओं के कुछ वृक्ष भी निर्धारित हैं जिन्हें दिक्पाल वृक्ष कहते हैं। निश्चित दिशा में उन वृक्षों के रोपण एवं पालन करने से शुभत्व में वृद्धि होती है।ये वृक्ष निम्न प्रकार हैं:-
दिशा पूर्व
वृक्ष बांस/निर्गुण्डी
दिशा पश्चिम
वृक्ष कदम्ब/मौलश्री
दिशा उत्तर
वृक्ष जामुन/अशोक
दिशा दक्षिण
वृक्ष आंवला/आम्र
दिशा ईशान
वृक्ष चमेली/शेवतर्क
दिशा आग्नेय
वृक्ष गूलर/पलास
दिशा वायव्य
वृक्ष शमी/नीम
दिशा नैऋत्य
वृक्ष चंदन/सप्तपणीं
ग्रहों एवं नक्षत्रों का बहुत अधिक प्रभा
प्रत्येक व्यक्ति पर ग्रहों एवं नक्षत्रों का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। आकाश में रात्रि में दिखाई देने वाले तारामंडल में से जिन 27 तारा समूहों को ज्योतिषीय गणना में आदिकाल से मान्यता प्राप्त है उन्हें नक्षत्र कहते हैं।व्यक्ति का जन्म जिस नक्षत्र में होता है, उसका प्रभाव उसके जीवन पर देखने को मिलता है।अतः अपने नक्षत्र के अनुसार भी वृक्षों का रोपण करने से व्यक्ति विशेष लाभ प्राप्त कर सकता है, जीवन मे आने वाली कठनाइयों को भी दूर किया जा सकता है।