चंडीगढ़ (सोनिया अटवाल) - अगर आपके सो कर उठने के बाद सिर में दर्द और भारीपन महसूस होता है, तो ये लक्षण आपकों गंभीर बीमारी की ओर दस्तक दे रहे हैं। पीजीआइ चंडीगढ़ के डिपार्टमेंट आफ न्यूरोलॉजी विभाग के एचओडी प्रोफेसर विवेक लाल के मुताबिक इस लापरवाही से आपके इसके कारण आंखों की रोशनी तक जा सकती है। जिस शख्स को डायबीटिज और उसका वजन अधिक है, अगर ऐसे व्यक्ति में यह लक्षण हैं तो ऐसे व्यक्ति को बिना देरी डॉक्टर से अपनी जांच करानी चाहिए। इस बीमारी को इडियोपैथक इंट्राक्रेनेल हाईपरटेंशन (आइआइएच) कहा जाता है।
जानकारी के मुताबिक प्रोफेसर विवेक लाल के नेतृत्व में हाल ही में उनके साथ एसोसिएट प्रोफेसर आस्था टक्कर, असिस्टेंट प्रोफेसर कार्तिक विनय महेश ने आइआइएच पर एक स्टडी की है, जिसमें यह तथ्य सामने आया है। इस शोध के मुताबिक लोगों के सिर में तेज दर्द रहना माइग्रेन और आइआइएच का प्रमुख लक्षण हो सकता है। क्योंकि इसकी वजह से आंखों की रोशनी तक जा सकती है। इस बीमारी के चलते ब्रेन का अंदर का जो पानी होता है जिसे सेलिब्रोज स्पाइनल फ्लूइड कहते हैं उसका प्रेशर बढ़ जाता है।
मोटापा और डायबिटीज ब्रेन पर बढ़ाता है प्रेशर:
यदि ब्रेन के अंदर पानी का प्रेशर बढ़ता है तो इसके सिमटम दिखने शुरू हो जाते हैं। इस बीमारी की मुख्य वजह मोटापा और डायबिटीज हैं। इससे बचने के लिए इन दोनों पर कंट्रोल रखना जरूरी है। कोविड में भी इस बीमारी के मरीज बढ़े हैं। पीजीआइ के डिपार्टमेंट ऑफ न्यूरोलाजी के एचओडी प्रो. विवेक लाल के नेतृत्व में एसोसिएट प्रो. आस्था टक्कर, असिस्टेंट प्रो. कार्तिक विनय महेश ने आइआइएच पर स्टडी की है। यह स्टडी न्यूरो ऑप्थल्मोलॉजी जरनल, यूके, एनल ऑफ इंडियन एकेडमी ऑफ न्यूरोलाजी और न्यूरो रेडियोलॉजी के यूरोपियन सोसायटी के जरनल में पब्लिश हुई है।
हर हफ्ते आ रहे 25 से 30 मरीज:
प्रो. विवेक लाल ने बताया कि डिपार्टमेंट इस बीमारी को लेकर लोगों को जागरुक करने के लिए अवेयनेस प्रोग्राम किए गए हैं। पीजीआइ में हफ्ते में 25 से 30 मरीज इस बीमारी से पीड़ित आ रहे हैं। जो मरीज समय पर आ जाते हैं वो ठीक हो रहे हैं। ऐसे मरीजों की सुविधा के लिए हर वीरवार को इस बीमारी को लेकर स्पेशल क्लीनिक भी शुरू किया जा रहा है। डॉ. आस्था टक्कर ने बताया रिसर्च में सिद्ध हुआ कि अक्सर वजन बढऩे की वजह से बॉडी में हार्मोनल बदलाव होते हैं। उसमें ब्रेन के पानी का प्रोडक्शन बढ़ जाता है।
समय पर इलाज मिलने से हो सकता है बचाव:
प्रोफेसर विवेक लाल ने कहा कि समय पर इलाज मिलने से इस बीमारी से मरीज को बचाया जा सकता है। इसके लिए मरीज को न्यूरोलॉजिस्ट या ऑपथोलॉजिस्ट की सलाह बेहद आवश्यक है। डॉ. आस्था टक्कर ने बताया कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यह इडियोपैथक इंट्राक्रेनेल हाईपरटेंशन की बीमारी ज्यादा होती है। इसकी वजह यह है कि 20 से 40 साल की उम्र में महिलाओं में हार्मोनल बदलाव ज्यादा होते हैं।