चंडीगढ़ (मयंक मिश्रा) - शहर को अगले माह के अंत तक 40 और इलेक्ट्रिक बसें मिल जाएंगी। प्रशासन ने इन 40 बसों के लिए जो टेंडर जारी किया था, उसमें सबसे कम रेट कोट करने वाली कंपनी को यह टेंडर आवंटित किया जाएगा। पहली बसें 60 रुपये प्रति किलोमीटर खर्च पर चल रही हैं। जबकि अब आगे 40 नई बसें 45 रुपये प्रति किलोमीटर खर्च पर चलेंगी। शहर की सड़कों पर वर्तमान में 40 इलेक्ट्रिक बसें दौड़ रही हैं। इन बसों का परिणाम काफी बेहतर रहा है। फेम स्कीम के तहत केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ को 80 बसें देने की घोषणा की थी। अब बाकी 40 बसें भी चंडीगढ़ को अगले माह के अंत तक मिल जाएंगी। चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (सीटीयू) शहर में बसें चलाता है, लेकिन इलेक्ट्रिक बसें चलाने के लिए विभाग ने निजी कंपनी का सहारा लिया है।
जानकारी के मुताबिक 40 इलेकेट्रिक बसों के लिए एक कंपनी ने टेंडर में सबसे कम 45 रुपये रेट दिया है। प्रशासन ने इस कंपनी को बसें उपलब्ध कराने का काम सौंप दिया है। इन बसों के आने पर प्रदूषण का स्तर काफी हद तक कम हो जाएगा। अभी जो 40 इलेक्ट्रिक बसे चल रही हैं उसके लिए सीटीयू का अशोक लेलैंड कंपनी के साथ करार हुआ है। इलेक्ट्रिक बस में 36 लोगों के बैठने की जगह है और अधिकतम एक समय में 54 लोग सफर कर रहे हैं। बस दो से तीन घंटे में फुल चार्ज हो जाती है और एक बार चार्ज होने के बाद बस करीब 140 किलोमीटर चलती है। एक दिन में बस 200 से 300 किमी तक चलती है। सेक्टर-25 के डिपो नंबर-3 में चार्जिंग स्टेशन बनाया गया है। इस बस में आग का पता लगाने और अलार्म सिस्टम (एफडीएसएस) भी लगाया गया है। उल्लेखनीय है कि यूटी के तत्कालीन प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने 11 अगस्त को पहली इलेक्ट्रिक बस को हरी झंडी दिखाई थी।
यूटी प्रशासन की ओर से सभी सीटीयू बसों को आगामी 6 महीने के अंदर सीएनजी में बदला जाएगा। इसके बाद शहर में कोई डीजल बस नहीं बचेगी। यह सभी बसें क्लीन फ्यूल वाली होंगी इससे वातावरण को नुकसान होने से बचेगा। चंडीगढ़ सिटी बस सर्विस सोसाइटी के तहत चलने वाली शहर की 270 बसों को सीएनजी में तब्दील किया जाएगा। वहीं, प्रशासन ने यह भी तय किया है कि अब भविष्य में कभी भी कोई डीजल बस नहीं खरीदी जाएगी। जो भी बस खरीदी जाएगी वह इलेक्ट्रिक होगी।
चंडीगढ़ में बढ़ता ट्रैफिक और खासकर डीजल वाली गाड़ियां पॉल्यूशन का स्तर भी बढ़ा रही हैं। ऐसे में चंडीगढ़ प्रशासन इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर जोर दे रहा है। गौरतलब है कि शहर में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए प्रशासन ने फैसला लिया है कि वर्ष 2027 तक सीटीयू के बेड़े में ट्राइसिटी रूट पर चल रहीं सभी बसों को इलेक्ट्रिक बस में बदल दिया जाएगा। अभी सीटीयू के पास सिर्फ डीजल बसें हैं, जो बड़ी मात्रा में कार्बन उत्सर्जित करती हैं। प्रशासन की कोशिश है कि शहर में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा मिले। इसके लिए प्रशासन एक इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी का ड्राफ्ट भी जारी किया है। शहर में प्रदूषण मुक्त ई-वाहनों को बढ़ावा देने की दिशा में प्रशासन पहला कदम भी उठा चुका है।
अभी सीटीयू के पास जितनी बसें हैं वो सभी डीजल पर चलती हैं। चंडीगढ़ में भी वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ी है जिसको कम करने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से ही लक्ष्य तय किया गया है और एक क्लीन एयर एक्शन प्लान तैयार किया गया है। इस प्लान के हिसाब से प्राइवेट और गवर्नमेंट व्हीकल्स को इलेक्ट्रिक में शिफ्ट किया जाना है। चंडीगढ़ में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 100 प्वाइंट या इससे ज्यादा ही रहता है। इसलिए वायु प्रदूषण को अगले पांच वर्षों में 25-30 फीसदी तक कम करने का टारगेट तय किया गया है जिसके लिए सीटीयू की बसों को भी फेज़वाइज सीएनजी के साथ साथ इलेक्ट्रिक में शिफ्ट किया जाना है।