चंडीगढ़ (मयंक मिश्रा) - गोस्वामी गणेश दत्त सनातन धर्म कॉलेज, सेक्टर-32 के 44 वें दीक्षांत समारोह में शनिवार को 1650 स्टूडेंट्स को डिग्री दी गई। दो साल से कॉलेज में कोविड के कारण समारोह नहीं हुआ था। इससे पहले इस माह 19 अप्रैल को कॉलेज का 43 वां दीक्षांत समारोह हुआ था जिसमें 2017-18 और 2018-19 बैच के करीब 2300 स्टूडेंट्स को डिग्री दी गई थी। शनिवार को हुए दीक्षांत समारोह में पंजाब यूनिवर्सिटी के वाइस-चांसलर प्रो.राज कुमार मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे और उन्होंने दीक्षांत भाषण दिया। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की आराधना से हुई।
स्टूडेंट्स को डिग्री हासिल करने पर अपनी शुभकामनाएं देते हुए प्रो.राज कुमार ने कहा कि उन्हें अपने तीन गुरुओं- माता, पिता और शिक्षक द्वारा दिए गए मार्गदर्शन के लिए जीवन भर आभारी होना चाहिए। प्रो. राज कुमार ने उनसे वास्तविक दुनिया में कदम रखते ही खुद को पंजाब यूनिवर्सिटी और कॉलेज का एंबैसडर मानने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता एक सफल जीवन के लिए एक पूर्व-आवश्यकता है। स्वामी विवेकानंद जी एक उत्कृष्ट आध्यात्मिक मूर्ति थे जिनकी शिक्षाओं को वास्तविक दुनिया में कदम रखते ही स्टूडेंट्स को बनाए रखना चाहिए। प्रोफेसर कुमार ने उन्हें यह याद रखने के लिए प्रोत्साहित किया कि उनका प्राथमिक कर्तव्य राष्ट्र के प्रति है जिसके लिए उन्हें एक नागरिक के तौर पर अपना योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है। बस जीवन में मेहनत करते रहनी चाहिए।
जीजीडीएसडी कॉलेज सोसायटी के अध्यक्ष उपकार कृष्ण शर्मा ने इस अवसर पर उपस्थित वाइस चांसलर प्रोफेसर राज कुमार और अन्य अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने छात्रों को बधाई दी और उनके उज्जवल भविष्य के लिए कामना की। उन्होंने कहा कि कॉलेज और छात्रों के लिए यह गर्व की बात है कि उन्हें ऐसे प्रतिष्ठित शिक्षाविद से डिग्री हासिल करने का मौका मिला विशिष्ट शिक्षाविद होने के साथ साथ एक प्रसिद्ध शोधकर्ता और सक्षम प्रशासक हैं तथा जिन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी को जबरदस्त पहचान और प्रशंसा दिलाई है, खासकर महामारी के समय में। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अजय शर्मा ने वार्षिक रिपोर्ट पढ़ते हुए न्होंने छात्रों, कर्मचारियों और कॉलेज की गतिविधियों, पुरस्कारों और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। वहीं, जीजीडीएसडी कॉलेज के महसचिव डॉ. अनिरुद्ध जोशीद्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में नैतिकता का होना आवश्यक है। इसलिए शिक्षित होने के साथ ही अपने नैतिक मूल्यों को भी विकसित करें।