चंडीगढ़ (सोनिया अटवाल) - शहर की लगभग 40 साल पुरानी कॉलोनी नंबर-4 को रविवार को तोड़ दिया गया। कालोनी को खाली करवाने के लिए यूटी प्रशासन ने सुबह 5 बजे से ही अभियान शुरू कर दिया था। जबकि कालोनी जबकि एस्टेट ऑफिस ने तडक़े सुबह 7 बजे ही यह डेमोलिशन ड्राइव चलानी शुरु कर दी थी। ऐसे में सुबह 11 बजे तक करीब 80 फीसदी काम पूरा हो गया था। करीब 80 एकड़ में बसी कालोनी के मकान तोडऩे के लिए 10 बुलडोजर चलाए गए। वहीं बीते शनिवार को प्रशासन की ओर से इस संबंध में आदेश जारी कर दो हजार पुलिसकर्मी एवं 10 एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट की तैनाती एरिया में तैनाती कर दी गई थी। प्रशासन ने अभियान के दौरान कॉलोनी के 500 मीटर परिक्षेत्र में धारा 144 भी लागू कर दी गई। जबकि यहां रह रहे लोगों ने शनिवार सुबह से ही पलायन करना शुरू कर दिया था।
ध्यान रहे कि प्रशासन ने इंडस्ट्रियल एरिया फेज-1 स्थित कॉलोनी नंबर-4 में रहने वाले लोगों को शनिवार तक कॉलोनी खाली करने के आदेश दिए थे। इसके बाद इस कॉलोनी को तोडऩे की कार्रवाई की जानी थी। इस संबंध में एस्टेट ऑफिस की तरफ से 15 फरवरी को कॉलोनी नंबर-4 में नोटिस भी चस्पा कर दिए गए थे। शनिवार को नगर निगम की गाडिय़ां लगाकर प्रशासन ने लोगों का सामान उन्हें आवंटित घरों में ले जाने के लिए लगा दीं। कुछ लोग निजी वाहनों से भी अपना सामान ले गए। कुछ लोगों ने बताया कि परिवार के सदस्य बाहर गए हैं। उनके आते ही रविवार सुबह उन लोगों ने भी घर खाली कर दिया। चंडीगढ़ प्रशासन के अफसरों के मुताबिक अब जल्द ही संजय कॉलोनी भी ढहा दी जाएगी। यह कॉलोनी भी इंडस्ट्रियल एरिया फेज 1 में बनी हुई है।
किराए के मकान के पैसे न होने पर कुछ परिवार वापस लौटे गांव:
कॉलोनी में रहने वाले लोग साईकिल, रेहडिय़ों और पैदल ही अपना ज़रुरी सामान लेकर जाते नजर आए। वहीं कुछ सडक़ किनारे और टूटे घरों के पास अपना सामान लेकर बैठे नजर आए। मकान टूटने के बाद कुछ लोग आसपास की कॉलोनियों में किराए पर रहने के लिए जा रहे थे। वहीं कुछ के पास किराए के पैसे नहीं थे और वह दुखी होकर रोते-बिलखते नजर आए। कुछ कॉलोनी वासियों ने बताया कि वह अपना सामान बांध कर गांव जा रहे हैं। कॉलोनी नंबर 4 में सैकड़ों परिवारों के सामने ही उनके बने कच्चे मकानों को ढहा दिया गया। इस दौरान भारी पुलिस बल और पैरा मिलिट्री फोर्स के जवानों के आगे कॉलोनीवासी बेबस नजर आए। यह कोई विरोध भी दर्ज नहीं करवा पाए।
चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड ने 290 फ्लैट किए अलॉट:
एस्टेट ऑफिस द्वारा करवाए गए कॉलोनी नंबर 4 के बॉयोमैट्रिक सर्वे के आधार पर 658 लोगों की सूची चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड को सौंपी गई थी। जिसके बाद एसडीएम(ईस्ट) के ऑफिस में एक कैंप लगाया गया। इसके तहत मलोया हाउसिंग कॉम्प्लेक्स में अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग स्कीम के तहत फ्लैट की अस्थाई अलॉटमेंट दी गई। कुल 299 कॉलोनी निवासी रजिस्ट्रेशन के लिए आए। ड्रा के बाद कुल 290 फ्लैट अलॉट किए गए वहीं अधिकारियों का कहना है कि जिन लोगों के पास बायोमेट्रिक सर्वे व अंगूठे के निशान की कॉपी मौजूद है, लेकिन किन्हीं कारणों से उन्हें पुनर्वास योजना के तहत मलोया में मकान नहीं मिला है, उन्हें किफायती किराया आवासीय योजना के तहत 3 हजार रुपये प्रति महीने किराये पर मलोया में मकान दे दिया गया है।
2013 में ढहाई थी कालोनी नंबर-5:
इससे पहले वर्ष 2013 में शहर की एक और सबसे बड़ी स्लम कॉलोनी नंबर 5 ढहाई गई थी। उस दौरान भी लोगों के विरोध के चलते पुलिस बल तैनात करना पड़ा था। वहां लगभग 7 हजार कच्चे मकान थे। इसके बाद पिछले 10 सालों में पुनर्वास योजना के तहत शहर के विभिन्न सेक्टरों में 25 हजार से ज्यादा मकान बनाए जा चुके हैं। इन मकानों में अनेकों लाभार्थी शिफ्ट भी हो चुके हैं। प्रशासन के अधिकारियों के मुताबिक कॉलोनी की 80 एकड़ जमीन प्रशासन के वन और इंजीनियरिग विभाग की है। इस जमीन का अधिकतर कब्जा वन विभाग है। ऐसे में यहां किए गए अवैध कब्जों को हटाकर इस जमीन को खाली कराने के बाद इंजीनियरिग विभाग इस पूरी जमीन की फेंसिग कर वन विभाग को इसका कब्जा दिया जाएगा।
ट्रैफिक को किया गया डायवर्ट:
प्रशासन की अवैध कब्जों को हटाने की कार्रवाई के दौरान कॉलोनी नंबर-4 के चारों तरफ से पुलिस ने बैरिकेडिंग कर घेराबंदी की गई, ताकि कोई भी आम पब्लिक वहां से गुजर न सके। इसके अलावा कॉलोनी के सामने वाली मुख्य सडक़ को भी बंद कर दिया गया जो कि इंडस्ट्रियल एरिया लाइट प्वाइंट से होते हुए हल्लोमाजरा चौक तक जाती है। यहां का सारा ट्रैफिक डायवर्ट कर दिया गया । 80 एकड़ में फैली कॉलोनी नंबर-4 में करीब दो हजार झुग्गियां और मकान बने हुए थे। कभी यहां आठ से 10 हजार लोग रहते थे।