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Sri Lanka में हिंसा में अब तक आठ लोगों की मौत, महिंदा राजपक्षे की गिरफ्तारी की मांग तेज

May 10, 2022 01:09 PM
कोलंबो: श्रीलंका में पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे की गिरफ्तारी की मांग तेज होती जा रही है। विपक्षी नेताओं ने महिंदा राजपक्षे पर सरकार के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे लोगों के विरुद्ध हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है। इस हिंसा में अब तक कम से कम आठ लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं। हिंसा के दौरान कई राजनेताओं के घरों पर हमले की खबरें भी सामने आ रही हैं।

श्रीलंका में गंभीर आर्थिक संकट के बीच महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इस घटनाक्रम से कुछ घंटे पहले महिंदा राजपक्षे के समर्थकों ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला किया था, जिसके मद्देनजर पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया और राजधानी कोलंबो में सेना के जवानों को तैनात किया गया।

महिंदा राजपक्षे द्वारा प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के परिणामस्वरूप मंत्रिमंडल स्वत: ही भंग हो गया है और देश वर्तमान में उनके छोटे भाई राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे द्वारा चलाया जा रहा है।

विपक्ष ने महिंदा राजपक्षे पर शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमला करने के लिए सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को उकसाने का आरोप लगाया है।

प्रमुख तमिल सांसद एमए सुमनथिरन ने एक संदेश जारी कर कहा, "महिंदा राजपक्षे को गिरफ्तार किया जाना चाहिए। उनके खिलाफ कानून के तहत कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।"

पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना और मुख्य विपक्षी दल समागी जना बालवेग्या पार्टी के नेता रंजीत मद्दुमा बंडारा ने भी महिंदा राजपक्षे की गिरफ्तारी की मांग की।

सिरिसेना ने कहा, “महिंदा राजपक्षे को हिंसा को बढ़ावा देने के लिए गिरफ्तार किया जाना चाहिए। शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमला करने का कोई कारण नहीं था।"

कोलंबो के राष्ट्रीय अस्पताल के मुताबिक, श्रीलंका में फैली हिंसा में अब तक कम से कम आठ लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि लगभग 217 लोगों को इलाज के लिए अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।

महिंदा राजपक्षे के समर्थकों द्वारा बेरहमी से पिटाई किए जाने के बाद एक प्रदर्शनकारी की हालत बहुत गंभीर बनी हुई है।

महिंदा राजपक्षे ने अपने त्यागपत्र में कहा कि वह सर्वदलीय अंतरिम सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त करने के लिए प्रधानमंत्री पद छोड़ रहे हैं। उन्होंने लिखा, ‘‘मैं आपको सूचित करना चाहता हूं कि मैंने तत्काल प्रभाव से प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया है। यह फैसला छह मई को हुई कैबिनेट की विशेष बैठक में आपके अनुरोध के अनुरूप है, जिसमें आपने कहा था कि आप एक सर्वदलीय अंतरिम सरकार का गठन चाहते हैं।’’

महिंदा राजपक्षे ने कहा कि वह जनता के लिए ‘‘कोई भी बलिदान’’ देने को तैयार हैं। प्रधानमंत्री के इस्तीफे के साथ ही कैबिनेट भी भंग कर दी गई।

महिंदा राजपक्षे के छोटे भाई और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नेतृत्व वाली सरकार पर देश में जारी आर्थिक संकट से निपटने को अंतरिम सरकार बनाने का दबाव बनाने के लिए प्रदर्शन किए जा रहे थे।

प्रधानमंत्री पद से महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे के कुछ घंटे बाद सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने हंबनटोटा में राजपक्षे परिवार के पैतृक आवास में आग लगा दी। प्रदर्शनकारियों ने सत्तारूढ़ दल के कई नेताओं के घरों को भी आग के हवाले कर दिया।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, महिंदा राजपक्षे ने मंगलवार सुबह प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास ‘टेंपल ट्रीज’ को खाली कर दिया।

‘टेंपल ट्रीज’ में घुसने की कोशिश कर रही भीड़ को रोकने के लिए पुलिस ने सोमवार को आंसू गैस के गोले छोड़े और हवा में गोलियां भी चलाईं। इस बीच, श्रीलंका में लागू कर्फ्यू को बुधवार तक के लिए बढ़ा दिया गया है।

सेना प्रमुख जनरल शैवेंद्र सिल्वा ने लोगों से शांति बनाए रखने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि देश में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

आपातकाल की मौजूदा स्थिति के मद्देनजर सैनिकों को लोगों को गिरफ्तार करने के लिए व्यापक अधिकार दिए गए हैं।

वहीं, विपक्षी दलों ने 17 मई की निर्धारित तिथि से पहले संसद की बैठक को दोबारा बुलाने का आग्रह किया है।

संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने ने भी राष्ट्रपति से तत्काल संसद की बैठक बुलाने का अनुरोध किया है।

श्रीलंका के व्यापारिक संगठनों ने घोषणा की है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से विरोध-प्रदर्शन करके सरकार समर्थित कार्रवाई के खिलाफ मंगलवार से हड़ताल करना शुरू करेंगे।

गौरतलब है कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने शुक्रवार मध्य रात्रि से देश में आपातकाल लागू करने की घोषणा कर दी थी। श्रीलंका में लगभग एक महीने के भीतर दूसरी बार आपातकाल घोषित किया गया था।

श्रीलंका में बढ़ती कीमतों और बिजली कटौती को लेकर पिछले महीने से ही लगातार विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। 1948 में ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिलने के बाद श्रीलंका अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।
 
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