चंडीगढ़ (मयंक मिश्रा) - गर्मी में शहर की बिजली की डिमांड पूरी करने के लिए केंद्र सरकार ने अगस्त के अंत तक चंडीगढ़ के पॉवर कोटा में 9 फीसदी की बढ़ोतरी की है। इससे अब शहर को तिरिक्त बिजली मिलेगी और जो बिजली कट लग रहे हैं उससे लोगों को राहत मिल जाएगी। यूटी प्रशासन ने केंद्र सरकार से शहर की जरूरत के हिसाब से गर्मियों में अतिरिक्त बिजली की मांग की थी। प्रशासन की मांग पर केंद्र ने पिछले साल अतिरिक्त बिजली नहीं दी थी, लेकिन इस साल केंद्र ने प्रशासन की मांग को मानते हुए पॉवर कोटा बढ़ा दिया। प्रशासन को गुजरात की एक सरकारी एजेंसी से भी 30 मेगावाट बिजली नियमित तौर पर मिल रही है। प्रशासन ने एजेंसी के साथ इस संबंध में समझौता किया है और एजेंसी गैर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से बिजली की सप्लाई कर रहा है।
शहर में सामान्य प्रतिदिन बिजली का लोड 200 मेगावाट है और गर्मियों में ये बढ़कर 400 मेगावाट तक पहुंच जाता है। गर्मियों के पीक सीजन अप्रैल से अगस्त तक बिजली की डिमांड पिछले सालों में 400 मैगावाट तक पहुंच जाती है। लेकिन, इस बार प्रशासन को उम्मीद है कि यह मांग 500 मेगावाट पार करेगी। यही वजह है कि प्रशासन ने पहले से ही अतिरिक्त बिजली का इंतजाम कर लिया है। इस साल अप्रैल में ही 308 मेगावाट हो गई थी जिसने छह सालों का रिकार्ड तोड़ दिया था। इससे पहले 2017-18 में अप्रैल के महीने में बिजली की मांग 303 मेगावाट हुई थी।
चंडीगढ़ प्रशासन का अपना कोई पावर जेनरेशन प्लांट नहीं है। सेंटर जेनरेटिंग स्टेशनों से ही बिजली खरीदी जाती है। न्यूक्लियर पावर कारपोरेशन ऑफ इंडिया, नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन लिमिटेड, भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड, नेशनल हाईड्रोइलेक्ट्रिक पावर कारपोरेशन और सतलुज जल विद्युत निगम से चंडीगढ़ बिजली लेता है। प्रत्येक स्टेशन से प्रति वर्ष कितनी बिजली खरीदी जानी है, यह पहले ही निर्धारित होता है। इसके अलावा जितनी बिजली की डिमांड और रहती है, वह अनएलोकेटेड डिमांड और शॉर्ट टर्म पावर परचेज से पूरी की जाती है
मांग अधिक होने के कारण बढ़ता है गैप
शहर में अलग-अलग कैटेगिरी में बिजली के 2.1 लाख उपभोक्ता है, जिनमें से डोमैस्टिक कैटेगरी में 1.75 लाख उपभोक्ता आते हैं। गर्मियों के पीक सीजन में मांग अधिक होने के चलते गैप बढ़ जाता है, क्योंकि जितनी बिजली की जरूरत होती है वो उतनी उपलब्ध नहीं होती। यही कारण है कि प्रशासन रोजाना कट लगाकर इस कमी को पूरा करता है, जिससे जनता की दिक्कतें बढ़ती हैं। बिजली विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पॉवर कोटा बढ़ने के बाद अब बिजली के कट लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लोगों का भी कहना है कि यह अच्छी बात है कि अतिरिक्त बिजली मिलने से आगे गर्मियों में अब कट नहीं लगेंगे, क्योंकि लोगों को काफी परेशानी पेश आती है। उनका कहना है कि दक्षिणी सेक्टरों में बिजली की अधिक दिक्कत है, क्योंकि यहां पड़ते सभी सेक्टरों में कट लगते हैं।
बिजली की खपत बढ़ने से लग रहे हैं पॉवर कट, इंडस्ट्री की भी दिक्कतें बढ़ी
शहर के तापमान में पिछले कुछ दिनों से हो रही बढ़ोतरी जिसका सीधा असर बिजली की खपत पर पड़ने लगा है। गर्मी की वजह से बिजली की मांग बढ़ने लगी, जिसके बाद खपत 400 मेगावाट तक पहुंच गई है। अभी इसके और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। बिजली खपत बढ़ने से लोड बढ़ रहा है। शॉर्ट सर्किट और फॉल्ट होने से पावर कट लग रहे हैं। अघोषित कट जगह-जगह लग रहे हैं, जिससे लोगों का जीना मुहाल हो गया है। रेजिडेंशियल ही नहीं इंडस्ट्रियल एरिया में भी पॉवर कट बहुत ज्यादा लग रहे हैं। कट लगने से काम काफी प्रभावित हो रहा है। इंडस्ट्री प्रोडक्शन पर भी पॉवर कट का असर दिख रहा है।
उद्योगपतियों का कहना है कि पॉवर कट ने परेशान कर रखा है। बार-बार लगने वाले कट से प्रोडक्शन प्रभावित हो रहा है। बार-बार जेनरेटर सेट चलाना पड़ रहा है। कई बार तो घंटों डीजल फूंकना पड़ता है। पॉवर की उपयुक्त मात्रा में उपलब्धता प्रशासन को सुनिश्चित करनी चाहिए। यही हाल रेजिडेंशियल इलाकों का भी है। थोड़ी-थोड़ी देर बार बिजली के कट लग रहे हैं।
चंडीगढ़ में भी हर दिन आधे से एक घंटे में कहीं न कहीं बिजली कट लगना आम बात हो गई है। बिजली की खपत बढ़ने से ट्रांसफार्मर भी ओवरलोड हो रहे हैं जिस कारण अघोषित कटों की संख्या रोजाना बढ़ रही है। वहीं, जरूरी मेंटीनेंस के लिए रोजाना कहीं न कहीं घोषित कट लग रहे हैं। बिजली कट से गर्मी में लोगों का जीना मुहाल हो गया। खासकर ऊपरी मंजिलों पर रहने वाले लोगों को ज्यादा परेशानी हो रही है। बिजली के साथ साथ उन्हें पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है।
बिजली विभाग ने खरीदे 53 नए ट्रांसफार्मर्स
यूटी प्रशासन के बिजली विभाग की ओर से 53 नए ट्रांसफार्मर्स खरीदे गए हैं। इन सभी को आने वाले दिनों में पुराने ट्रांसफार्मर्स से बदला जाएगा जो कि पुराने होने से अब ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। पुराने फीडर और 11 केवी लाइन भी ओवरलोड हो रही है। पुराने ट्रांसफार्मर और इंफ्रास्ट्रक्चर का नुकसान लोगों को उठाना पड़ रहा है। गौरतलब है कि शहर में पांच 33 केवी सब स्टेशन, 13 सब स्टेशन 66 केवी स्टेशन अलग-अलग जगहों पर स्थित हैं। नियमों अनुसार किसी भी सब स्टेशन का लाइफस्पान 25 वर्ष का होता है। 66 केवी के 13 सब स्टेशन में से छह का लाइफस्पान पूरा हो चुका है। कई और सब स्टेशन इनमें शामिल होने वाले हैं। इन सभी सब स्टेशन को अब अपग्रेड करने की जरूरत है। इसी तरह से काफी ट्रांसफार्मर भी पुराने हैं, जो लोड बढ़ने पर ऑटो कट लगा देते हैं।