चंडीगढ़ (सोनिया अटवाल ) - शहर साइबर क्राइम से जुड़े अपराधी नए-नए हथकंडे अपनाकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। जिस वजह से शहर में लगातार साइबर अपराध के मामले बढ़ रहे हैं। इस मामले में चंडीगढ़ पुलिस के साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन सेल के बीते 2 महीने के सर्वे में साइबर ठगी से जुड़े कुछ तरीके सबसे ज्यादा पाए गए हैं। इन्हीं तरीकों से साइबर अपराधियों ने शहर में ज्यादा ठगा है। कुछ केसों में साइबर अपराधियों ने पीएम जन धन योजना के तहत आसान किश्तों पर लोन उपलब्ध करवाने का झांसा दे पैंफलेट्स और पोस्टर झुग्गियों-बस्तियों में बांटे और चिपकाए। इसके अलावा साइबर अपराधियों के निशाने पर पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट, प्रशासन, पुलिपु स विभाग, पंजाब यूनिवर्सिटी सहित शिक्षण उसंस्थान के वरिष्ठ अधिकारी हैं।
ध्यान रहे कि वर्ष 2017 में चंडीगढ़ में साइबर फ्रॉड के 2,242 मामले आए। वर्ष 2018 में यह बढक़र 3,167 हो गए। वर्ष 2019 में 4,793 साइबर फ्रॉड के मामले शहर में आए। इसके बाद 2020 में 6,220 केस आए। पिछले वर्ष 2021 में 5,922 मामले आए। हर साल टेक्नोलॉजी में एडवांसमेंट के साथ ही साइबर अपराध भी बढ़ रहे हैं। औसतन साल में 6 हजार के लगभग साइबर फ्रॉड मामले आ रहे हैं।
पीएम जन धन योजना के नाम पर भी हो रही ठगी:
सर्वे में सामने आया कि साइबर अपराधी जिन तरीकों से लोगों को ठग रहे हैं उनमें पीएम जन धन योजना के तहत लोन उपलब्ध करवाने के नाम पर ठगना, बैंकों, कंपनियों, वैलेट आदि के हेल्पलाइन नंबर्स को गुगल पर सर्वे मंकी और गुगल एडवर्डस के जरिए बदलना/कस्टमाइज करना, पीडि़तों के सिम कार्ड स्वैप करना, आरबीआई या अन्य बैंक का प्रतिनिधि बन गोपनीय एटीएम या बैंक खाते से जड़ी जानकारी हासिल करना, फेसबुक/इंस्टाग्राम आदि पर दोस्त बन ठगी करना, बीमा योजनाओं का लालच देकर ठगी करना, लोगों द्वारा फर्जी वैबसाइट से शॉपिंग करनाआदि शामिल हैं। ओएलएक्स पर ज्यादातर डिफेंस से जुड़े कर्मी/ अफसर ठगी का शिकार हुए। इसके पीछे कारण है कि डिफेंस से जुड़े लोगों की ट्रांसफर होती रहती है। ऐसे में वह सेकंड हेंड फर्नीचर और अन्य घरेलू सामान को खरीदने को तरजीह देते हैं। वहीं बीमा योजनाओं को लेकर साइबर अपराधी रिटायर और पेंशनधारकों को ज्यादा टारगेट करते हैं।
अफसरों की डीपी लगा फ्रॉड करने के मामले भी बढ़े:
इस वर्ष अभी तक साइबर सैल के पास 134 केस ऐसे आ चुके हैं, जिनमें साइबर अपराधियों ने प्रशासनिक और पुलिस अफसरों की डीपी व्हाट्सऐप पर लगाकर यूपीआई के जरिए फर्जी ट्रांजेक्शन करने की कोशिश की। बीते दिनों यूटी एडवाइजर धर्म पाल की फोटो का इस्तेमाल कर लोगों को गिफ्ट वाउचर और कार्ड खरीदने का मामला सामने आया था। इससे पहले डीजीपी की फर्जी डीपी के मामले में भी केस दर्ज हुआ था। साइबर सेल ने जांच में इसकी पुष्टि करने के बाद सभी विभाग के प्रशासनिक डिपार्टमेंट को इस साइबर अपराध के प्रति अलर्ट लेटर भी जारी किया है, जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों की फोटो फेसबुक , वाट्सएप, इंस्टाग्राम पर लगाकर लोगों से ठगी करने वाले गैंग का तरीका और बचाव के बारे में भी बताया है।
साइबर सैल के सीमित स्टाफ से केस सुलझाना भी अड़चन:
शहर में तेजी से बढ़ रहे साइबर केसों को सुलझाने के लिए चंडीगढ़ पुलिस के साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन सैल के पास सिर्फ 68 पुलिस कर्मियों का ही स्टाफ है। ऐसे में सीमित पुलिस कर्मियों के साथ अन्य राज्यों में जाकर पूछताछ करके जानकारी जुटाकर आरोपियों की गिरफ्तारी करना आसान नहीं है। ज्यादातर मामलों में आरोपी पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, गुजरात, झारखंड और बिहार जैसे राज्यों से होते हैं। साइबर अपराधों के मामलों में आरोपी की पहचान करके उस तक पहुंचना आसान काम नहीं है। पुलिस की मानें तो इसमें काफी समय लगता है। फर्जी पतों और जानकारियों का इस्तेमाल करके इस प्रकार के अपराधों को अंजाम दिया जाता है। चंडीगढ़ प्रशासन साइबर सिक्योरिटी सेंटर स्थापित करने पर भी काम कर रहा है।
साइबर फ्रॉड से बचने के लिए अपनाए ये उपाय:
-मोबाइल पर आने वाली ओटीपी को किसी अंजान व्यक्ति के साथ शेयर न करें।
- अपने डेबिट/क्रेडिट कार्ड की जानकारी किसी अंजान व्यक्ति के साथ शेयर न करें।
-मोबाइल फोन से अंजान एप्लिकेशन डाउनलोड न करें, यह कई तरह की निजी जानकारियां हासिल कर सकती हैं।
- सोशल मीडिया पर किसी भी तरह के झांसे में न आएं और न ही किसी को ऑनलाइन पैसे शेयर करें।
- इंटरनेट पर अंजान लिंक को क्लिक न करें। कई बार यह लिंक आकर्षक होते हैं, मगर फ्रॉड के मकसद से बनाए जाते हैं।