शिमला: हिमाचल कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष नरेश चैहान ने कहा है कि भाजपा सरकार प्रदेश में अपनी हार को देखते हुए कांग्रेस विधायकों पर पार्टी ज्वाइन करने के लिए दवाब डाल रहे हैं। शिमला में एक प्रैस कांफ्रेंस में नरेश चैहान ने कहा है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर स्वंय कांग्रेस विधायकों को पार्टी छोड़कर भाजपा में आने के लिए दवाब डाल रहे हैं। कांग्रेस विधायक अनिरूद्ध सिंह ने बीते दिनों मीडिया के सामने आकर इसका खुलासा खुद किया। यही नहीं कांग्रेस के कई अन्य विधायकों को भी भाजपा ज्वाइन करने के लिए प्रलोभन के साथ-साथ जांच एंजेसियों का डर दिखाया जा रहा है।
भाजपा के अपने सर्वे में हार रही जयराम सरकार
नरेश चैहान ने कहा है कि भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं और पार्टी ने जो सर्वे करवाया है, उनमें साफ है कि जयराम सरकार चुनावों में हार रही है। इसके चलते भाजपा के बड़े नेता और स्वंय मुंख्यमत्री कांग्रेस विधायकों को तोड़ने के लिए भारी दवाब बना रहे हैं। लेकिन कांग्रेस विधायक इसके डरने वाली नहीं। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने पूरे देश में यह स्ट्रैटजी अपना रखी है। कई राज्यों में मोदी सरकार ने विधायकों की खरीद फरोक्त प्रलोभन और डर दिखाकर की है। लेकिन हिमाचल में ऐसा होने वाला नहीं।
हिमाचल की जागरूक जनता भी भाजपा के इस एजेंडे को समझ चुकी है और वह उसको सता से बाहर करने की तैयारी में है। उन्होंने कहा कि अगर जयराम सरकार ने पांच सालों में काम किए होते तो उसको आज यह नौबत नहीं आती।
जनता का पैसा भाजपा के चुनावी प्रचार पर बहा रही सरकार
कांग्रेस नेता ने कहा कि हिमाचल की स्थापना के 75 साल के कार्यक्रमों के नाम पर जयराम सरकार चुनावी रैलियां और कार्यक्रम कर रही हैं। प्रदेश में 60-70 करोड़ रुपए इन कार्यक्रमों पर खर्च किए जा रहे हैं। जनता के इस पैसे को उसके विकास पर खर्च करने की बजाए भाजपा अपनी चुनावी प्रचार में खर्च कर इसका दुरूपयोग कर रही है।
2017 में किए वादे भाजपा ने पूरे नहीं किए
नरेश चैहान ने कहा है कि भाजपा ने बीते चुनावों में अपने घोषणा पत्र में प्रदेश की जनता से बड़े-बड़े वादे किए थे, इनको पूरा न कर जयराम सरकार ने लोगों से धोखा किया है। आज सरकार से हर वर्ग परेशान है। कर्मचारी बीते एक साल से ओपीएस और अन्य मांगों को लेकर आंदोलन पर है। सेब बागवानों को भी सड़कों पर उतरने को विवश होना पड़ा है। जयराम सरकार ने 2020 में सब्सिडी खत्म कर खादें और दवाएं मंहगी कर फसल की लागत बढ़ाने का काम किया है। इसके चलते इस बार बागवानों को सेब की लागत भी नहीं मिली।