चंडीगढ़: नैना वीडियो ट्रैक जिसकी शूटिंग भारत की सबसे खूबसूरत लोकेशन कश्मीर की वादियों में हुई है , जिसे लिखा व निर्देशत किया है जाने माने सिंगर दीप ओशान ने , चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित रिलीज़ सेरमनी मैं मौजूद रहे सुखविंदर सोही ,स्मिता गोंदकर, अनिरुद्ध मन्हास । गीत को बोल दिए हैं सिद्धू किर्मच ने व प्रड्यूसर हैं राजेश जांगड़ा । एसबीजे प्रोडक्शन के बैनर तले इस खूबसूरत गीत के फिल्मांकन से पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री अब हिंदी गानों की ओर पदार्पण करने जा रही है। इस मौके पर सिद्धू किर्मच ने कहा की पंजाबी इंडस्ट्री अब एक ऐसी मुकाम पर पहुंच गई है जिसमें उन्हें और आगे बढ़ने की आवश्यकता है। पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री अब पूरे देश पर राज करने को तैयार है। इसी विचार को लेकर हम सब आगे चल रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘दस साल पहले कश्मीर में ढाई से तीन लाख बल्ले बनते थे। इन दिनों हर साल 30 लाख बल्ले बनते हैं।’’कबीर ने कहा कि बल्ला उद्योग का सालाना कारोबार 300 करोड़ रुपये से अधिक था। कबीर ने सुझाव दिया कि सरकार को आर्द्रभूमि और नदी के किनारे पौधे लगाने की अनुमति देने पर विचार करना चाहिए जहां पहले विलो के पेड़ हुआ करते थे।
जीआर8 के खेल उत्पादन प्रबंधक मोहम्मद नियाज ने कहा कि सरकार ने विलो पौधे लगाने के लिए कदम उठाए हैं लेकिन यह उद्योग की जरूरतों के अनुसार पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया भर में और अधिक क्रिकेट लीग शुरू हो रही हैं और बल्ले की मांग में इजाफा ही होगा। उद्योग और वाणिज्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि कश्मीर में विलो की कोई कमी नहीं थी, इकाइयों के सामने मुख्य समस्या आधुनिक सीजनिंग तकनीक की कमी और कश्मीर के बाहर कारखानों में लकड़ी की तस्करी थी।
नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर अधिकारी ने बताया, ‘‘कश्मीर में लकड़ी की सीजनिंग अब भी पारंपरिक तरीके से होती है और इसमें छह महीने से लेकर एक साल तक का समय लग सकता है। इससे कारखाने के मालिक की पूंजी फंस जाती है और उसकी वित्तीय स्थिति पर असर पड़ता है। कुछ मामलों में कारखाने बंद भी हो जाते हैं।’’ अधिकारी ने कहा कि सीजनिंग कारखाना लगाने के प्रस्ताव को कुछ साल पहले मंज़ूरी दी गई थी लेकिन कोविड-19 के प्रकोप के कारण इसे टाल दिया गया।