Desk: हर दिन मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है। गर्मी भी लगातार बढ़ रही हैं जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। तो सोचो आने वाले महीनों में क्या हाल होगा। ग्लोबल वार्मिंग को लेकर भी दुनिया के संगठन लगातार सचेत कर रहे है। अगर आप इसे हल्के में ले रहे है तो अभी भी वक्त है संभल जाएं । ऐसा इसलिए क्यों कि गर्मी बढ़ने का सीधा असर लोगों की नौकरियों पर पढ़ेगा। गर्मी के कारण शरीर के काम करने की क्षमता पर असर होता है। चाहे वो खुले में काम करने वाले मजदूर हो या फिर किसान इसकी जद में सबसे पहले आते हैं। गर्मी के चलते उनके काम के घंटे कम हो जाते हैं या फिर काम लंबा खिंचता है। ऑक्युपेशन हेल्थ रिस्क भी इससे बढ़ जाता है।
माना जा रहा है कि सदी के आखिर तक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा। ये पूरी दुनिया का औसत है। भारत में ये ज्यादा भी हो सकता है। अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले 7 सालों के भीतर गर्मी में वर्किंग आवर्स ग्लोबली 2.2 प्रतिशत कम हो जाएंगे। इससे दो तरह से नुकसान होगा। एक तो ये होगा कि औसतन 8 घंटे में होने वाला काम 12 घंटे लेगा। दूसरा, बहुत से लोग नौकरियों से निकाले जाएंगे और बहुत से लोग खुद ही काम छोड़ देंगे। इससे लगभग ढाई हजार बिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान होगा।
ग्लोबल वार्मिंग के लिए लोग खुद ही जिम्मेदार है। बड़े घर, बिल्डिंग बनाने के लिए लगातार पेड़ काटे जा रहे है। जिससे बारिश भी अनियमित तौर पर हो रही है। ज्यादा प्लास्टिक इस्तेमाल करना भी हानिकारक साबित हो रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि भले ही लोग घरों में AC का इस्तेमाल कर रहे हो या फिर गर्मी से राहत पाने के लिए पहाड़ों पर जा रहे हो लेकिन अगला महाविनाश गर्मी की वजह से ही आएगा। लगभग 65.5 मिलियन साल पहले आई इस प्रलय की वजह एक एस्टेरॉयड का धरती से टकराना था लेकिन भविष्य का विनाश कुदरती न होकर, हमारी वजह से होगा, ऐसा माना जा रहा है।