Chandigarh: बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और आंधी के कारण गेहूं की करीब 3 प्रतिशत फसल बिछ गई है। जहां फसल पानी में डूबी है वहां दाने की गुणवत्ता खराब होगी और उत्पादन भी प्रभावित होगा। गेहूं अनुसंधान केंद्र करनाल के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह का कहना है कि, अभी जिस तरह से मौसम चल रहा है, वह गेहूं के अनुकूल है। फिलहाल नुकसान के बारे में पूरा आकलन नहीं किया जा सकता। दाना अभी पक रहा है, दाने की स्थिति भी सामान्य है। लेकिन और बारिश हुई है तो नुकसान ही होगा।
वैज्ञानिकों का कहना है कि जब अचानक हीट बढ़ जाती है तो गेहूं को पकने के लिए कम समय मिलता है। दाना फूलने के बजाय पिचक जाता है। इससे वजन कम हो जाता है। अमूमन मार्च के आखिरी सप्ताह में पारा तेजी से बढ़ता था। इससे गेहूं की फसल जल्दी पक जाती थी। इस बार पारा 30 डिग्री के आसपास है।
अभी एक पश्चिमी विक्षोभ और है। इससे बारिश होती है तो पारा तेजी से नहीं बढ़ेगा। हालांकि, अब पारा बढ़ना चाहिए, ताकि गेहूं को पकने में मदद मिल सके। अब पारा बढ़ने से फसल को लाभ ही होगा। दाना सामान्य रूप से पकेगा। इससे दाना पूरा भरा होगा। वजन भी बढ़ेगा। ऐसे में उत्पादन अच्छा होगा।
बता दें कि यूपी में 98.39 लाख हेक्टेयर, पंजाब में 35.08 लाख हेक्टेयर, राजस्थान में 29.67 लाख हेक्टेयर, हरियाणा में 23.76 लाख हेक्टेयर में गेहूं की फसल है। इन चारों प्रदेशों में वैज्ञानिकों की 6 टीमें गेहूं की फसल का निरक्षण करने के लिए भेजी गई थीं। जहां से फसल को लेकर जानकारी सामने आई।