चंडीगढ़ (सोनिया अटवाल): पंजाब यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में सत्र 2023-24 से ग्रेजूएशन की डिग्री हासिल करने के लिए चार वर्ष लगेंगे। क्योंकि अब पीयू में इस सत्र से नई शिक्षा नीति 2020 लागू की जा रही है। बीते दिनों सिंडीकेट की बैठक में इस मुद्दे को पास कर दिया गया है और अब 3 जून को होने वाली सीनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने का इंतजार है। इसके बाद पीयू और कॉलेजों में दाखिले शुरू करवाए जाएंगे। इतना ही नहीं अब पीयू की ओर से बनाई गई रेगुलेशन के अनुसार छात्रों को दूसरे साल में अपने मेजर विषय को बदलने का मौका मिलेगा। जानकारी के अनुसार पहला साल पूरा करने के बाद उम्मीदवार को विकल्प दिया जाएगा कि वो अपने मेजर विषय को माइनर और माइनर विषय को मेजर में बदल सकता है। इससे अगर छात्र की मेजर विषय में रूचि नहीं बन पाई तो उसे दूसरे वर्ष में एक मौका दिया जा सकेगा। इसके अलावा छात्रों को बहु-विषयक पाठ्यक्रम, योग्यता संवर्धन पाठ्यक्रम, कौशल संवर्धन पाठ्यक्रम, वैल्यू एडेड कोर्स भी पढ़ाए जाएंगे।
ध्यान रहे कि बीते दिनों कॉलेजों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को प्रभावी रूप देने के लिए पंजाब यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर प्रो.रेणु विग की कॉलेज प्रिंसिपलों के साथ बैठक भी हुई थी। इस दौरान डीयूआई प्रो. रूमिना सेठी, अनुसंधान एवं विकास निदेशक प्रो. हर्ष नैय्यर, डीसीडीसी प्रो. संजय कौशिक, एनईपी समन्वयक प्रो. लतिका शर्मा, प्रो. अनिल मोंगा भी उपस्थित रहे और प्राचार्यों को नए बदलावों की जानकारी दी थी।
मल्टीपल एंट्री और एग्जिट का मिलेगा विकल्प: पीयू अभी पहले वर्ष के लिए एनईपी लागू करने जा रही है और इससे सिर्फ पहले वर्ष के कोर्स के पाठ्यक्रम और दाखिला प्रक्रिया के साथ असेसमेंट का तरीका बदलने जा रहा है। छात्रों के पास मल्टीपल एंट्री और एग्जिट का विकल्प भी होगा। अगर वे किसी कारणवश पहले कॉलेज छोड़ देते हैं और अपनी डिग्री पूरी नहीं कर पाते हैं तो उन्हें अगले सालों में फिर से अपनी पढ़ाई पूरी करने की इजाजत दी जाएगी। इसके लिए मापदंड तय किया जाएगा।
कॉलेजों में एनईपी सेल स्थापित करने की सलाह: कॉलेजों को एनईपी के सफल कार्यान्वयन के लिए कॉलेजों में एनईपी सेल स्थापित करने की सलाह दी, जिससे हर छोटे पहलू पर बारीकी से काम किया जा सके और परेशानी नहीं हो। वहीं वैल्यू एडेड कोर्स और स्किल कोर्स के लिए भी अलग से सेल बनाकर इस पर काम किए जाने पर भी चर्चा हुई। कॉलेजों में पीयू ने पीएचडी की नई गाइडलाइन को अंतिम रूप दे दिया है, इसे जल्द ही लागू करवाया जाएगा। इसके साथ ही जिला कॉलेजों और कलस्टर कॉलेजों में भी रिसर्च सेंटर खोले जाएंगे जिससे शोध करवाने का सारा बोझ पीयू के ऊपर नहीं पड़े।
3 साल की डिग्री अधूरी छोडऩे पर बाद में करने का मौका: एनईपी के तहत यूजी कोर्स में छात्र 120 क्रेडिट पूरा करने पर तीन साल में यूजी डिग्री और 160 क्रेडिट पूरा करने पर चार साल में ऑनर्स की डिग्री ले सकते हैं। अगर वे रिसर्च स्पेशलाइजेशन की तरफ जाना चाहते हैं, तो उन्हें अपने चार साल के पाठ्यक्रम में एक रिसर्च प्रोजेक्ट शुरू करना होगा.........