G20 India: दिल्ली में इस सप्ताहांत होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए विश्व के कई नेताओं के आने का क्रम शुरू होने के बीच विशेषज्ञों ने बृहस्पतिवार को कहा कि बहुपक्षीय विकास बैंक (एमडीबी) सुधारों पर आम सहमति बनने और जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से कम करने को लेकर कठोर भाषा में प्रस्ताव अंगीकार करने से भारत की नेतृत्व भूमिका बढ़ सकती है। जी-20 सदस्य देशों का दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)में 85 प्रतिशत, ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में 80 प्रतिशत योगदान है। जी-20 देशों ऊर्जा मंत्रियों की जुलाई में हुई बैठक में जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करने, नवीकरणीय ऊर्जा को तीन गुना करने पर आम सहमति नहीं बन सकी थी। उल्लेखनीय है कि 2030 तक अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता तीन गुना बढ़ाकर 11 टेरावाट करना और विकासशील देशों को कम ब्याज दर पर वित्तपोषण करना वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए महत्वपूर्ण है। ऊर्जा स्रोतों में बदलाव और एमडीबी सुधारों को लेकर चर्चाओं की जटिलता और अनिश्चितताओं के बावजूद उम्मीद है कि शिखर सम्मेलन के दौरान नेता एकता प्रदर्शित करने के लिए न्यूनतम सहमति पर पहुंच सकते हैं। भारत को उम्मीद है कि सरकारें जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से कम करने पर सहमत हो जाएंगी। परंतु इस विषय को शिखर सम्मेलन के अंतिम दस्तावेज में जगह नहीं मिलने की स्थिति में पिछले वर्ष बाली शिखर सम्मेलन में कोयला के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से कम करने पर बनी सहमति से देशों के पीछे हटने का जोखिम है।