- by Tanya Chand
- Jan, 06, 2025 07:29
धर्म, जगमार्ग न्यूज़ डेस्क: आपने बहुत सारे साधु देखे होंगे, लेकिन सभी में से अघोरी साधु को हिंदू धर्म में बेहद खतरनाक बताया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि, अघोरी साधु जीवन और मृत्यु के बंधनों से दूर श्मशान भूमि में अपनी धूनि रमाए तप में लीन रहते हैं और वह तंत्र साधना भी करते हैं। क्या आप जानते हैं कि अघोरी साधु बनाना बेहद ही मुश्किल होता है ? नहीं ना, अघोरी बनने के लिए जीवन में तीन सबसे कठिन परीक्षाएं देनी पड़ती है, जो हर किसी के बस में नहीं होता है। माना जाता है कि अघोरी शव पर एक पैर रख तपस्या करते हैं। ये भोले नाथ के उपासक माने जाते हैं। साथ ही ये मां काली की भी पूजा करते हैं। आइए फिर आपको बताते हैं कि अघोरी बनने के लिए कौन-सी तीन परीक्षाएं देनी पड़ती है।
अघोरी बनने की तीन सबसे कठिन परीक्षाएं
हर कोई अघोरी नहीं बन सकता है क्योंकि उसके लिए कठिन प्रक्रिया करनी होती है, जिसमें 3 तरह की दीक्षाएं शामिल हैं- हरित दीक्षा, शिरीन दीक्षा और रंभत दीक्षा। चलिए फिर इन तीनों को विस्तार से जानते हैं।
1. हरित दीक्षा- हरिता दीक्षा में ही अघोरी गुरु अपने शिष्य को गुरुमंत्र देता है। यह मंत्र शिष्य के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। शिष्य को इस मंत्र का जाप नियमित रूप से करना होता है। इस जाप से शिष्य के मन-मस्तिष्क में एकाग्रता बनती है और वह आध्यात्मिक ऊर्जा हासिल करता है।
2. शिरीन दीक्षा- शिरीन दीक्षा में सीखने वाले शिष्य को कई प्रकार की तंत्र साधना सिखाई जाती है। शिष्य को श्मशान भूमि में जाकर तपस्या करनी होती है। इस दौरान शिष्य को सांप, बिच्छू आदि का भय तो रहता ही है, साथ ही सर्दी, गर्मी, बारिश भी बर्दाश्त करनी होती है।
3. रंभत दीक्षा- रंभत दीक्षा अघोरी साधु के लिए सबसे कठिन और अंतिम दीक्षा होती है। इस दीक्षा में शिष्य को अपने जीवन और मृत्यु का अधिकार अपने गुरु को सौंपना होता है। गुरु जो भी कहे शिष्य को बिना सोचे या प्रश्न के वह करना ही पड़ता है। कहा जाता है कि इस दीक्षा में गुरु अपने शिष्य के अंदर भरे अहंकार को बाहर निकलवा देता है। इस दौरान अगर गुरु कहे कि अपनी गर्दन पर चाकू रखना है तो शिष्य को बिना कोई सवाल के करना पड़ता है। इसलिए इस दीक्षा को बेहद कठिन माना जाता है।