- by Super Admin
- Apr, 08, 2024 04:37
चंडीगढ़ : हरियाणा से होकर गुजर रही यमुना नदी को स्वच्छ बनाने के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने एक्शन प्लान तैयार किया है। टेक्सटाइल सिटी पानीपत में प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए 20 करोड़ की लागत से पायलट प्रोजेक्ट के तहत कार्ययोजना तैयार की जा रही है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने हरियाणा में यमुनानगर के दीनबंधु छोटूराम थर्मल पावर स्टेशन में शोधित जल के पुन: उपयोग के लिए पारवाला एवं बड़ी मजार एसटीसी को चिह्नित किया है। केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में भिवानी-महेंद्रगढ़ सांसद धर्मबीर सिंह के सवाल के जवाब में यह खुलासा किया। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की ओर से पानीपत शहर में इंडस्ट्री के प्रदूषण को कम करने के लिए योजना लागू की जाएगी, इसके बाद अन्य जिलों में इस प्रोजेक्ट को लागू किया जाएगा। हिसार सांसद जयप्रकाश ‘जेपी’ तथा सोनीपत से कांग्रेस सांसद सतपाल ब्रह्मचारी ने भी गंगा-यमुना सहित दूसरे नदियों के जल प्रदूषण के मुद्दे पर केंद्र सरकार से सवाल पूछे। यमुना नदी से जुड़े जेपी के सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत यमुना नदी को पुनर्जीवित करने के लिए नई दिल्ली में 1268 एमएलडी सीवेज उपचार क्षमता निर्माण के लिए 9 परियोजनाओं को मंजूरी दी है। 1951 करोड़ रुपये की लागत वाली इन परियोजनाओं में से 8 पूरी हो चुकी हैं। एक अंतिम चरण में है।
केंद्र के साथ हरियाणा सरकार ने बनाई अलग से जल शोधन पालिसी
केंद्र की योजनाओं के तहत हरियाणा सरकार ने शोधित जल के उपयोग के लिए अलग से पॉलिसी बनाई है। थर्मल पावर प्लांट्स के अलावा इंडस्ट्री, बागवानी, कृषि व निर्माण कार्यों सहित कई क्षेत्रों में शोधित जल के उपयोग की नीति बनाई गई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पानीपत में पायलट प्रोजेक्ट के तहत टेक्सटाइल कलस्टर से निकलने वाले अशोधित अपशिष्ट का निपटान किया जाएगा। इसी तरह की परियोजनाओं से सरकार यमुना और गंगा नदी की गुणवत्ता में सुधार करने की कोशिश में जुटी है।
279 नदियों के 311 खंड प्रदूषित
सोनीपत सांसद सतपाल ब्रह्मचारी के सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने बताया कि देशभर में कुल 603 नदियों की निगरानी की गई। इनमें से 279 नदियों के 311 खंड प्रदूषित मिले, जिसके तहत सभी नदियों से प्रदूषण कम करने की कवायद चल रही है। उन्होंने कहा कि यमुना नदी में प्रदूषण का मुख्य कारण इसमें अनुपचारित सीवेज का डिस्चार्ज, इंडस्ट्री का केमिकल युक्त पानी छोड़ना आदि प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली में 38 एसटीपी प्लांट में से केवल 16 ही निर्धारित मानकों को पूरा करते हुए पाए गए।