- by Super Admin
- Jun, 29, 2024 01:24
बसंत पंचमी 2025: आज यानी रविवार 2 फरवरी को पूरे देश में बसंत पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है, हिंदू शास्त्रों में जिसका काफी महत्व है। यह पर्व हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर आता है, मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में भी जाना जाता है। आज के दिन लोग मां सरस्वती की पूजा करते हैं और ज्ञान, कला और संगीत का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। वहीं वैज्ञानिक के मुताबिक, आज के दिन ठंड कम होने लगती है और गर्मियों की शुरुआत होती है। खेतों में सरसों के पीले फूल खिलते हैं, जो वसंत पंचमी के पीले रंग को दर्शाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार कहा जाता है कि आज के दिन ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़ककर सरस्वती माता को उत्पन्न किया था, इसलिए इस तिथि पर मां शारदा की पूजा का भव्य आयोजन किया जाता है। आइए फिर बसंत पंचमी से जुड़ी सभी जानकारी जैसे- शुभ मुहूर्त, विधि, आरती और मंत्र आदि के बारे में बताते हैं।
क्यों मनाया जाता है वसंत पंचमी का पर्व ?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को देवी सरस्वती का जन्म हुआ था। इसी उपलक्ष्य में हर वर्ष वसंत पंचमी मनाई जाती है। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि देवी सरस्वती को विद्या, कला और बुद्धि की देवी के रूप में पूजा जाता है। इस दिन की पूजा-अर्चना से ज्ञान, कला और संगीत का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही यह पर्व नई फसल और प्रकृति के बदलाव का उत्सव भी है। इस मौसम में सरसों के पीले फूल, आम के पेड़ों पर नई बौर, और गुलाबी ठंड पूरे वातावरण को आनंदमय बना देती है। यह समय न केवल मनुष्य बल्कि पशु-पक्षियों में भी नई ऊर्जा का संचार करता है।
वसंत पंचमी 2025 शुभ योग व सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त
इस साल 2 फरवरी 2025 को वसंत पंचमी के दिन उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का निर्माण हो रहा है, जिसपर शिव और सिद्ध योग का संयोग है। इस तिथि पर सूर्य मकर राशि में रहेगें। इस दौरान अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:13 से 12:56 मिनट तक रहेगा। अमृतकाल रात 20:24 से 21:53 मिनट तक है। पंचांग के अनुसार इस साल 2 फरवरी 2025 को वसंत पंचमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 9 मिनट से शुरू होगा, जो दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।
सरस्वती पूजा की सामग्री व पूजा विधि
पूजा सामग्री: वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा के लिए सामग्री में मां शारदा की तस्वीर, गणेश जी की मूर्ति और चौकी व पीला वस्त्र शामिल करें। इसके अलावा पीले रंग की साड़ी, माला, पीले रंग का गुलाल, रोली, एक कलश, सुपारी, पान का पत्ता, अगरबत्ती, आम के पत्ते और धूप व गाय का घी भी शामिल करें। वहीं कपूर, दीपक, हल्दी, तुलसी पत्ता, रक्षा सूत्र, भोग के लिए मालपुआ, खीर, बेसन के लड्डू और चंदन, अक्षत, दूर्वा, गंगाजल रखना न भूलें।
पूजा विधि: वसंत पंचमी की पूजा के लिए सबसे पहले स्नान कर लें। इसके बाद पीले रंग के वस्त्रों को धारण करें। अब एक चौकी पर पीला साफ वस्त्र बिछाकर माता सरस्वती की मूर्ति स्थापित कर लें। माता को पीले रंग के वस्त्र, फूल, रोली, केसर, हल्दी, चंदन और अक्षत अर्पित करते जाएं। अब देवी को मिठाई का भोग लगाएं और घी का दीया जलाएं। इन सब के बाद सरस्वती माता के मंत्रों का जाप करें। अब हाथों में दीपक लेकर देवी की आरती करना शुरू करें और प्रसाद वितरित कर दें।
वसंत पंचमी पर पीले रंग को क्यों माना जाता है शुभ ?
वसंत पंचमी पर पीले रंग को अत्यंत शुभ और सौभाग्यशाली माना जाता है, लेकिन ऐसा क्यों ? यह सवाल हर किसी के दिमाग में आता है। बता दें कि यह रंग देवी सरस्वती का प्रिय माना गया है जो ज्ञान, ऊर्जा, उत्साह, तेजस्विता एवं सकारात्मकता का प्रतीक है। इस दिन विशेष रूप से पीले वस्त्र धारण करने, पीले पुष्प अर्पित करने और पीले रंग के भोजन का सेवन करने की परंपरा है। मान्यता है कि पीला रंग नई फसल का प्रतीक है और इस दिन से 'वसंत ऋतु' की शुरुआत भी होती है। इस दौरान जगह-जगह रंग-बिरंगे फूल, खेतों में सरसों की पीली फसलें लहलहाने लगती हैं, इसलिए वसंत पंचमी के शुभ अवसर पर पीले रंग के वस्त्र धारण किए जाते हैं।
मां सरस्वती के नामों का करें जाप
वसंत पंचमी के दिन आप माता सरस्वती के इन नामों का जाप कर सकते हैं, भारती, सरस्वती, शारदा, हंसवाहिनी, ब्राह्मी, गायत्री, वागेश्वरी, वाणिश्वरी, बुद्धिदात्री, सिद्धिदात्री।