Sunday, Dec 7, 2025

साल 1992 फर्जी मुठभेड़ मामला: पंजाब के दो पूर्व पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा


319 views

चंडीगढ़ : पंजाब के मोहाली की एक विशेष अदालत ने अमृतसर में साल 1992 में हुए फर्जी मुठभेड़ के मामले में पंजाब पुलिस के दो पूर्व अधिकारियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस फर्जी मुठभेड़ में दो व्यक्तियों की मौत हो गई थी। विशेष न्यायाधीश (सीबीआई) राकेश गुप्ता ने मंगलवार को सुनाए गए फैसले में दोनों दोषियों के खिलाफ दो-दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने पूर्व थाना प्रभारी (एसएचओ) गुरभिंदर सिंह और पूर्व सहायक उपनिरीक्षक पुरुषोत्तम सिंह को बलदेव सिंह और लखविंदर सिंह का फर्जी मुठभेड़ करने के लिये दोषी ठहराया है। दोनों पुलिस अधिकारियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 218 (लोक सेवक द्वारा गलत रिकॉर्ड तैयार करना) के तहत दोषी ठहराया गया है। पुलिस ने उक्त मुठभेड़ के बाद दावा किया था कि बलदेव और लखविंदर कट्टर आतंकवादी थे और उन दोनों पर इनाम भी घोषित किया गया था। 


साथ ही वे दोनों हत्या, जबरन वसूली और डकैती के कई मामलों में शामिल थे। पुलिस ने बताया था कि बेअंत सिंह सरकार में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री गुरमेज सिंह के बेटे हरभजन सिंह की हत्या में भी उनकी संलिप्तता पाई गई थी। उच्चतम न्यायालय के 1995 के आदेश के बाद केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पंजाब पुलिस द्वारा लावारिस शवों के बड़े पैमाने पर किए गए अंतिम संस्कार के मामले की जांच अपने हाथ में ली थी। जांच के दौरान यह बात सामने आई कि बलदेव सिंह को छह सितंबर 1992 को तत्कालीन पुलिस निरीक्षक (एसआई) मोहिंदर सिंह और छेहरटा के तत्कालीन थाना प्रभारी हरभजन सिंह के नेतृत्व में पुलिस दल ने बसेरके भैणी गांव स्थित सिंह के घर से उन्हें ले गए थे। बलदेव, सेना में लांस नायक थे और घटना के समय छुट्टी पर थे। मजीठा के तत्कालीन थाना प्रभारी गुरभिंदर सिंह के नेतृत्व वाली पुलिस टीम ने 12 सितंबर 1992 को सुल्तानविंड गांव के निवासी लखविंदर एवं एक अन्य व्यक्ति कुलवंत सिंह को हिरासत में लिया था। कुलवंत को बाद में रिहा कर दिया गया था। मुकदमे के दौरान हरभजन और मोहिंदर सहित कई अन्य आरोपियों की मृत्यु हो गई।

author

Vinita Kohli

साल 1992 फर्जी मुठभेड़ मामला: पंजाब के दो पूर्व पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा

Please Login to comment in the post!

you may also like