- by Super Admin
- Apr, 10, 2024 02:01
शेटराउ: तेज होती दिल की धड़कनों को थामकर खाली पेट रेंज पर उतरे भारतीय निशानेबाज स्वप्निल कुसाले ने फोकस बनाये रखते हुए शानदार वापसी की और देश को ओलंपिक में पुरूषेां की 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशंस में पहली बार कांस्य पदक दिलाया। क्वालीफिकेशन में सातवें नंबर पर रहे स्वप्निल ने आठ निशानेबाजों के फाइनल में 451 . 4 स्कोर करके तीसरा स्थान हासिल किया। एक समय वह छठे स्थान पर थे जिसके बाद उन्होंने तीसरा स्थान हासिल किया। भारत का इन खेलों में यह तीसरा कांस्य है। इससे पहले मनु भाकर ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल और सरबजोत सिंह के साथ 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम वर्ग में कांस्य जीता था। भारत के ओलंपिक इतिहास में पहली बार निशानेबाजों ने तीन पदक एक ही खेलों में जीते हैं।
कुसाले ने साझा किया अपना अनुभव
कुसाले ने पदक जीतने के बाद कहा कि मैने कुछ खाया नहीं है और पेट में गुड़गुड़ हो रही थी। मैने ब्लैक टी पी और यहां आ गया। हर मैच से पहले रात को मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं। आज दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था। मैने श्वास पर नियंत्रण रखा और कुछ अलग करने की कोशिश नहीं की। इस स्तर पर सभी खिलाड़ी एक जैसे होते हैं।
चीन ने स्वर्ण और यूक्रेन ने रजत पदक जीता
चीन के लियू युकुन (463.6) ने स्वर्ण और यूक्रेन के सेरही कुलिश (461.3) ने रजत पदक जीता। पिछली बार भारतीय निशानेबाज लंदन ओलंपिक 50 मीटर राइफल में फाइनल में पहुंचा था जब जॉयदीप करमाकर 50 मीटर राइफल प्रोन में चौथे स्थान पर रहे थे। अब यह स्पर्धा ओलंपिक में नहीं है। कुसाले ने कहा कि मैने स्कोरबोर्ड देखा ही नहीं। यह मेरी बरसों की मेहनत थी और मैं बस यही सोच रहा था। मैं चाहता था कि भारतीय समर्थक मेरी हौसलाअफजाई करते रहें।
ऐसे रहा कुसाले का शानदार प्रर्दशन
अपने आदर्श क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी की तरह रेलवे में टीसी कुसाले पहली स्टैंडिंग सीरिज के बाद चौथे स्थान पर थे। नीलिंग में उनका पहला शॉट 9.6 रहा लेकिन उन्होंने शानदार वापसी की। इसके बाद 10.6 और 10.3 स्कोर करके वह दूसरे नंबर पर पहुंचे लेकिन अगले दो शॉट 9.1 और 10.1 रहे जिससे वह चौथे स्थान पर आ गए। फिर 10.3 स्कोर करके वह तीसरे स्थान पर पहुंचे और अंत तक बने रहे। वह नीलिंग पोजिशन के बाद छठे स्थान पर थे लेकिन प्रोन के बाद पांचवें स्थान पर आ गए।
कुसाले ने बोली अपनी मन की बात
कुसाले ने कहा कि मैं रेलवे के काम के लिये नहीं जाता हूं। भारतीय रेलवे ने मुझे 365 दिन की छुट्टी दे रखी है ताकि मैं देश के लिये अच्छा खेल सकूं। मेरी निजी कोच दीपाली देशपांडे मेरी मां जैसी हैं जिन्होंने बिना शर्त के मेरी मदद की। मैने अभी तक अपनी मां से भी बात नहीं की है। पिछले 12 साल से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल रहे कुसाले को ओलंपिक पदार्पण के लिये 12 साल तक इंतजार करना पड़ा। धोनी की ही तरह ‘कूल’ रहने वाले कुसाले ने विश्व कप विजेता क्रिकेट कप्तान पर बनी फिल्म कई बार देखी।
खेलों में धोनी मेरे पसंदीदा हैं: कुसाले
उन्होंने क्वालीफिकेशन के बाद मीडिया से कहा था कि मैं निशानेबाजी में किसी खास खिलाड़ी से मार्गदर्शन नहीं लेता। लेकिन अन्य खेलों में धोनी मेरे पसंदीदा हैं। मेरे खेल में भी शांतचित्त रहने की जरूरत है और वह भी मैदान पर हमेशा शांत रहते थे। वह भी कभी टीसी थे और मैं भी हूं। कुसाले 2015 से मध्य रेलवे में काम करते हैं। उनके पिता और भाई जिला स्कूल में शिक्षक हैं और मां गांव की सरपंच हैं।