- by Super Admin
- Jun, 27, 2024 22:03
वियनतियाने : विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा कि दक्षिण चीन सागर से होकर गुजरने वाली समुद्री संचार लाइन हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस लाइन को सुरक्षित रखने के लिए ठोस और प्रभावी आचार संहिता का आह्वान किया। लाओस की राजधानी वियनतियाने में 14वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) के विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि ईएएस प्रक्रिया अगले वर्ष दो दशक पूरी कर लेगी और भारत एक मजबूत ईएएस प्रक्रिया में योगदान देगा। उन्होंने कहा कि भारत अपनी ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के माध्यम से आसियान की एकता और केंद्रीयता को कायम रखेगा।
समुद्री सुरक्षा का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा, दक्षिण चीन सागर से गुजरने वाली समुद्री संचार लाइन (एसएलओसी) हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति, स्थिरता, समृद्धि और विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, आचार संहिता ठोस व प्रभावी और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप होनी चाहिए तथा इससे चर्चा में शामिल न होने वाले देशों के वैध अधिकारों और हितों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। जयशंकर की टिप्पणी इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनके चीनी समकक्ष वांग यी भी शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए वियनतियाने में हैं। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संसाधन संपन्न दक्षिण चीन सागर को व्यापक रूप से वैश्विक टकराव वाले संभावित क्षेत्र के रूप में देखा जाता है। चीन दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर अपना दावा करता है, जबकि फिलीपीन, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान समुद्री क्षेत्र पर अपने जवाबी दावे करते हैं। बैठक में जयशंकर ने गाजा में तनाव कम करने और संयम बरतने का आह्वान भी किया। जयशंकर ने कहा, भारत द्वारा फलस्तीन के लोगों को मानवीय सहायता जारी है। लाल सागर में वाणिज्यिक पोतों पर हमले चिंताजनक हैं। भारत समुद्री नौवहन की सुरक्षा सुनिश्चित करने में स्वतंत्र रूप से योगदान दे रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर उन्होंने कहा कि भारत इसे हल करने के लिए बातचीत और कूटनीति के महत्व पर जोर देता है।