करनाल : जिस तरह तीर्थ यात्रा करने मात्र से नहीं बल्कि उसका मर्म जीवन में उतारने से वह फलदाई होती है उसी तरह महात्मा बुद्ध के उपदेशों को जानने मात्र से नहीं बल्कि अपने जीवन में उनका अनुसरण करने से ही सच्ची बोध यात्रा अर्थात आत्मिक शांति संभव होती है। बुद्ध पूर्णिमा पर उक्त उद्गार व्यक्त करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट चौधरी शक्ति सिंह ने कहा कि हिमालय की तरह ही गौतम बुद्ध अतुलनीय हैं। महात्मा बुद्ध के बोल अत्यंत सरल और बहुत ही मीठे हैं। उनके द्वारा दी गई धम्म गाथाओं में जीवन के बहुआयामी सत्य प्रतिबिंबित होते हैं। उनकी प्रत्येक धम्म गाथा एक कथा कहती है और मानव को जीवन की राह दिखाती है। बुद्ध के कहने का ढंग ही निराला है, जिसने एक बार भी उनकी बातों को सुना वह वहीं उनसे बंध गया। जिन भी लोगों पर उनकी दृष्टि पड़ी, वे भटकने से बच गए। जिन लोगों को उनके बुद्धत्व की थोड़ी सी झलक मिल गई, उनका समूचा जीवन रूपांतरित हो गया। महात्मा बुद्ध का प्रसिद्ध वचन अप्प दीपो भव है जिसका तात्पर्य है कि आप अपने दीपक स्वयं बनकर अपने अंदर प्रकाश फैलाने का प्रयत्न स्वयं करें। बुद्ध के उपदेश गहरे होने के बावजूद इतने सरल हैं कि विद्वान और अशिक्षित दोनों को अपने योग्य काम की बातें मिल जाती हैं। उनके सभी उपदेश संसार के सभी लोगों को निम्न स्तर की अवस्था से निकालकर उच्च अवस्था को प्राप्त करने के उद्देश्य से स्थापित किए गए हैं। चौधरी शक्ति सिंह ने कहा कि बुद्ध पूर्णिमा एक ऐसा पावन अवसर है जब गौतम नामक राजपुरुष के काया सरोवर में बुद्धत्व का सुगंधित कमल खिला और उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। वैशाख माह की यह पूर्णिमा वास्तव में एक बुद्ध पुरुष को जन्म देकर निहाल हो गई। मनुष्य बुद्ध की गाथाओं का बखान तो बड़े चाव से करते हैं पर बुद्ध के बुद्धत्व के रहस्य को समझने का प्रयास नहीं करते और सद्कर्म करने की बजाय तीर्थ यात्राओं के द्वारा ईश्वर की प्राप्ति करना चाहते हैं। हमें समझना होगा कि केवल अलग-अलग तीर्थ स्थानों के दर्शन कर लेने अथवा गंगा स्नान कर लेने से हम पाप मुक्त नहीं हो जाएंगे।