- by Vinita Kohli
- Jan, 02, 2025 05:50
चंडीगए़: हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले को एक सप्ताह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक इस संवेदनशील मामले में मृतक का पोस्टमॉर्टम नहीं हो पाया है, जिससे परिवार और समाज में गहरी नाराज़गी देखी जा रही है। इस प्रकरण ने राज्य की राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल को भी तेज़ कर दिया है। सरकार ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) शत्रुजीत कपूर को अचानक छुट्टी पर भेज दिया है, जो इस मामले में एक अहम मोड़ माना जा रहा है। उनकी जगह 1991 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ओम प्रकाश सिंह को फिलहाल अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। यह ध्यान देने योग्य है कि ओम प्रकाश सिंह का रिटायरमेंट इसी साल 31 दिसंबर को निर्धारित है, जिससे उनके कार्यकाल की अवधि बहुत सीमित है।
दूसरी ओर, दिवंगत अफसर की पत्नी और वरिष्ठ IAS अधिकारी अमनीत पी. कुमार लगातार इस मांग पर अड़ी हैं कि शत्रुजीत कपूर को उनके पद से स्थायी रूप से हटाया जाए और रोहतक में तैनात रहे एसपी नरेंद्र बिजारणिया समेत अन्य नामजद लोगों की गिरफ्तारी हो। सरकार ने भले ही बिजारणिया को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है, लेकिन अब तक उन्हें किसी नई जगह पर नियुक्त नहीं किया गया है, जिससे साफ है कि सरकार इस मुद्दे पर दबाव में है। राजनीतिक तौर पर भी इस घटना की गूंज सुनाई देने लगी है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी चंडीगढ़ पहुंच चुके हैं और वे कुछ ही समय में अमनीत कुमार के सरकारी निवास पर जाकर शोक संवेदना प्रकट करेंगे। इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भी दोपहर बाद परिवार से मिलने पहुंचने वाले हैं।
इससे यह स्पष्ट है कि मामला अब राज्य की सीमाओं से निकलकर राष्ट्रीय स्तर पर संवेदनशीलता और राजनीतिक महत्व का विषय बन गया है। समाज की ओर से भी इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया गया है। अनुसूचित समाज और परिवार द्वारा गठित 31 सदस्यीय कमेटी ने एक महापंचायत के जरिए सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया था, जो आज समाप्त हो रहा है। कमेटी ने यह चेतावनी दी थी कि यदि आरोपियों पर जल्द कार्रवाई नहीं होती, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे। इस चेतावनी ने प्रशासन की चिंता और बढ़ा दी है। राज्य सरकार की प्रतिक्रिया में भी बदलाव देखा जा रहा है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने प्रधानमंत्री के प्रस्तावित सोनीपत दौरे के रद्द होने के बाद अपना दिल्ली दौरा भी स्थगित कर दिया है, जिससे यह संकेत मिलते हैं कि सरकार इस समय किसी भी संभावित विरोध या प्रदर्शन से बचना चाहती है। इसी बीच, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने भी मृतक के परिवार से मुलाकात की और उन्हें शांत करने की कोशिश की। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री सैनी से लगभग 40 मिनट की एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें उन्होंने परिवार की मांगों को प्रमुखता से उठाया। बैठक के बाद रामदास अठावले ने सार्वजनिक रूप से बयान दिया कि मुख्यमंत्री ने आरोपियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है, लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया में सबसे पहला और ज़रूरी कदम पोस्टमॉर्टम कराना है।