- by Vinita Kohli
- Jan, 02, 2025 05:50
चंडीगढ़ : रॉक गार्डन और उसके हरे-भरे इलाकों को बचाने की लड़ाई अब निर्णायक दौर में पहुंच गई है। रॉक गार्डन के पास बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई होने से नागरिकों और पर्यावरणविदों में गहरी नाराजगी है। प्रशासन की कार्रवाई को रोकने के लिए मंगलवार को कई लोगों ने चिपको आंदोलन की तर्ज पर पेड़ों से लिपटकर विरोध जताया। 'सेविंग चंडीगढ़' समूह के सदस्यों ने मंगलवार शाम को रॉक गार्डन में 'चिपको आंदोलन' की तर्ज पर विरोध प्रदर्शन किया। पर्यावरणविद, छात्र, कलाकार और संबंधित नागरिक रॉक गार्डन में एकत्र हुए और पेड़ों को कटने से बचाने के लिए प्रतीकात्मक रूप से उन्हें गले लगाया। सेव चंडीगढ़ के बैनर तले कई लोगों ने पर्यावरण मंत्रालय और पंजाब के राज्यपाल को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप कर कार्रवाई पर तत्काल रोक लगाने की अपील कर चुके हैं। साथ ही शिकायतें दर्ज कराने के लिए समय भी मांगा है। पत्र में लिखा है कि हाल ही में हाईकोर्ट के लिए पार्किंग स्थल बनाने के नाम पर लगभग 200 पेड़ काट दिए गए। गार्डन की दीवार का एक हिस्सा भी तोड़ दिया गया। यह कदम चंडीगढ़ की पारिस्थितिक संतुलन के लिए खतरा है और इसे रोका जाना चाहिए।
यह क्षेत्र भूजल को रिचार्ज करने और सुखना झील के जलस्तर को बनाए रखने में सहायक है। कई दुर्लभ वनस्पतियों और प्रवासी पक्षियों का आश्रय स्थल है। यह क्षेत्र ग्रीन लंग की भूमिका निभाता है, जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार होता है। लोगों के विरोध, कई विरोध प्रदर्शनों और दो बड़े हस्ताक्षर अभियानों के बावजूद, सड़क चौड़ीकरण परियोजना पर निर्माण कार्य अभी भी जारी है। इससे नाराज शहर के निवासियों ने अपने प्रयासों को और तेज़ कर दिया है, एक ईमेल अभियान शुरू किया है, जिसमें प्रशासक गुलाब चंद कटारिया, सांसद मनीष तिवारी, यूटी सलाहकार, वन विभाग, भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, चंडीगढ़ के इंजीनियरिंग विभाग और शहरी नियोजन को ईमेल भेजे गए हैं। प्रशासन द्वारा सार्थक बातचीत में शामिल होने से इंकार करने के कारण, नागरिकों ने अब अपनी लड़ाई ऑनलाइन कर दी है, तथा राज्यपाल के इनबॉक्स में परियोजना पर तत्काल रोक लगाने की मांग करते हुए ईमेल भेज दिए हैं। सेविंग चंडीगढ़ समूह के सदस्यों ने इस मामले में प्रशासन से पारदर्शिता बरतने की मांग की है। उनका कहना है कि वन भूमि को गैर-वन क्षेत्र में बदलने की अनुमति बिना पर्यावरण मंत्रालय से स्वीकृति लिए दे दी गई, जो नियमों का उल्लंघन है। लोगों ने मांग की कि प्रशासन इस मुद्दे पर सफाई दे और सभी तथ्यों को सार्वजनिक करे।