- by Vinita Kohli
- Jan, 01, 2025 04:21
चंडीगढ़ : राष्ट्रीय राजधानी–नई दिल्ली के विधानसभा चुनावों में भी इस बार जाट सियासत गरमा गई है। जाटों को केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल करने का मुद्दा खुद आम आदमी पार्टी (आप) सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उठाया है। इससे पहले हरियाणा में जाट आरक्षण के मुद्दे पर प्रदेश में बड़ा व हिंसक आंदोलन हो चुका है। दिल्ली चुनावों के बीच गरमाई राजनीति पर मास्टर स्ट्रोक खेलते हुए हरियाणा की नायब सरकार ने जाटों को रिझाने की कोशिश की है। हरियाणा के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान व नई दिल्ली के जाटों का ‘गौरव’ रहे महाराजा सूरजमल के इतिहास को आठवीं के पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया है। नायब सरकार के इस फैसले के बाद सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश भी दे दिए हैं। भरतपुर के महाराजा रहे सूरजमल के इतिहास को हरियाणा में आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को पढ़ाया जाएगा ताकि वे उनके बारे में जान सकें। हरियाणा में जाटों को आरक्षण का फैसला पूर्व की हुड्डा सरकार में हुआ था। बाद में इस पर कोर्ट ने रोक लगा दी। मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल में फरवरी-2016 में जाट आरक्षण की मांग को लेकर प्रदेश में हिंसक आंदोलन भी हुआ। इसमें 32 लोगों की जान भी गई। इसी तरह राजस्थान में भी जाटों के आरक्षण को लेकर मांग उठती रही है। राजस्थान के कुछ जिलों के जाटों को ओबीसी सूची में शामिल किया हुआ है। वहीं कई जिलों के जाट ओबीसी सूची से बाहर हैं।
हरियाणा-यूपी से सटी सीटों पर जाट मतदाता निभाते हैं हार-जीत की भूमिका
बाहरी दिल्ली विधानसभा सीटों पर जाट वोट बैंक काफी अहम है। हरियाणा व यूपी से सटी इन सीटों पर जाट मतदाता हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं। माना जा रहा है कि इसीलिए अरविंद केजरीवाल ने जाट आरक्षण का कार्ड चुनावों में खेला है। केजरीवाल ने केंद्र की मोदी सरकार ने दिल्ली के जाटों को केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल करने की मांग की है। उनका कहना है कि भाजपा ने इस संदर्भ में वादा भी किया हुआ है लेकिन इसे अभी तक पूरा नहीं किया। इतना ही नहीं, हरियाणा में आम आदमी पार्टी के कई जाट नेता भी इस मुद्दे को लेकर पिछले दिनों नई दिल्ली में केजरीवाल से मुलाकात कर चुके हैं। केजरीवाल के ‘जाट कार्ड’ के बीच हरियाणा की नायब सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। आठवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में महाराजा सूरजमल की इतिहास शामिल करके उन्होंने जाटों को खुश करने की कोशिश की है। हरियाणा में विभिन्न जातियों के मुकाबले आबादी के हिसाब से जाटों की संख्या सबसे अधिक है।
भरतपुर के राजपरिवार के वंशज विश्वेंद्र सिंह ने जताया सीएम का आभार
नायब सरकार द्वारा महाराजा सूरजमल का इतिहास पढ़ाए जाने की मंजूरी पर भरतपुर राजपरिवार के वंशज व पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने भी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का आभार भी जताया है। बहरहाल, दिल्ली विधानसभा चुनावों में जाटों का यह मुद्दा भी गरमाया रहेगा। हालांकि हरियाणा, राजस्थान व पंजाब के मुकाबले नई दिल्ली में जाटों की संख्या काफी कम है। अब देखना यह होगा कि केजरीवाल द्वारा खेले गए ‘जाट कार्ड’ का आप को दिल्ली के चुनावों में कोई फायदा होता भी है या नहीं।