- by Vinita Kohli
- Jan, 02, 2025 05:50
करनाल: धान खरीद के सीजन में करनाल अनाज मंडी में फर्जी गेट पास मामले में मंडी सचिव आशा रानी समेत तीन अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है। यह मामला तब उजागर हुआ जब अतिरिक्त उपायुक्त कार्यालय की ओर से गेट पास प्रक्रिया की रैंडम जांच कराई गई। जांच रिपोर्ट में साफ लिखा गया है कि कुछ गेट पास ऐसे सिस्टम से जारी हुए, जो करनाल मार्केट कमेटी के सर्वर नेटवर्क से जुड़े ही नहीं थे। यानी सिस्टम में किसी बाहरी एक्सेस के जरिए ये पास बनाए गए। यही बात इस मामले को बेहद गंभीर बना रही है।
डीसी के आदेश पर मंडी बोर्ड के डीएमईओ ईश्वर सिंह ने करनाल शहर थाना में शिकायत दी, जिसके आधार पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 की धारा 318(4) के तहत एफआईआर दर्ज की गई। इसमें मंडी सचिव आशा रानी के साथ राजेंद्र कुमार पुत्र मंगल राम निवासी बुढ़नपुर वीरान इंद्री, अमित कुमार पुत्र राजबीर निवासी जुंडला दादुपुर रोड-43, और अजय कुमार निवासी खेड़ी नूरू को आरोपी बनाया गया है। जांच रिपोर्ट में यह भी दर्ज है कि इन गेट पासों के साथ जुड़े मोबाइल नंबर इन्हीं तीन प्राइवेट व्यक्तियों के नाम पर पंजीकृत हैं। इससे साफ हुआ कि मंडी सचिव की जानकारी या अनुमति के बिना सिस्टम तक पहुंच मिलना संभव नहीं था। इसीलिए एफआईआर में साफ कहा गया है कि “मार्केट कमेटी के अधिकारियों और बाहरी व्यक्तियों की
साइबर सेल की जांच में भी खुलासा
साइबर सेल की शुरुआती जांच रिपोर्ट में पुष्टि हुई है कि गेट पास जारी करने के लिए इस्तेमाल हुए आईपी एड्रेस करनाल मंडी नेटवर्क से बाहर के हैं। कुछ आईपी ऐसे भी मिले जो दूसरे जिलों से जुड़े हुए हैं। सेल ने इस आधार पर पूरे सिस्टम की फोरेंसिक जांच कराने की सिफारिश की है ताकि यह पता चल सके कि मंडी सॉफ्टवेयर में किसी ने जानबूझकर एक्सेस दिया था या सर्वर में हैकिंग के जरिए सेंध लगी।
डीसी बोले— अब हर मंडी की जांच होगी
डीसी उत्तम सिंह ने कहा कि “धान खरीद में पारदर्शिता सर्वोच्च प्राथमिकता है। किसी अधिकारी या कर्मचारी द्वारा गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मंडी सचिवों को पहले ही निर्देश दिए गए थे कि गेट पास प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित रखी जाए। इस मामले से सबक लेकर अब हर मंडी की जांच की जाएगी।” उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की घटनाएं न केवल किसानों के भरोसे को तोड़ती हैं बल्कि सरकारी खरीद प्रणाली को भी कमजोर करती हैं।
मार्केट कमेटी की भूमिका संदेह के घेरे में
एफआईआर में साफ लिखा गया है कि अनाज मंडी में खरीद की व्यवस्था, गेट पास जारी करना और ऑनलाइन रिकॉर्ड बनाए रखना मार्केट कमेटी सचिव की जिम्मेदारी है। इसके बावजूद सचिव ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए गेट पास जारी करने के लिए निजी व्यक्तियों को शामिल किया। रिपोर्ट में इसे कर्तव्य में लापरवाही और विश्वासघात बताया गया है।
प्रशासन ने जांच का दायरा बढ़ाया
डीसी के निर्देश पर अब मंडी बोर्ड और साइबर सेल की संयुक्त टीम पूरे सॉफ्टवेयर और सर्वर एक्सेस की जांच करेगी। तकनीकी विशेषज्ञ सर्वर लॉग, यूजर ट्रेल और आईपी लोकेशन का विश्लेषण करेंगे ताकि यह पता चल सके कि सिस्टम से कब, कहां और किसके द्वारा गेट पास बनाए गए। जांच में यह भी देखा जाएगा कि फर्जी गेट पास के जरिए कितनी मात्रा में धान की खरीद की गई और इससे किसे आर्थिक लाभ हुआ।
डीसी ने कहा है कि “फर्जी गेट पास बनवाकर सिस्टम के साथ खिलवाड़ करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। यह मामला किसानों के हित से जुड़ा है और इसमें शामिल सभी दोषियों को उदाहरण बनाकर सजा दी जाएगी।” अब निगाहें आगे की जांच पर हैं। क्या यह सिर्फ कुछ कर्मचारियों की मनमानी थी या पूरा नेटवर्क इसमें शामिल था— इसका जवाब आने वाले दिनों में जांच रिपोर्ट देगी।