- by Vinita Kohli
- Jan, 01, 2025 04:21
चंडीगढ़ : हरियाणा ने सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) के साथ अब पंजाब से रावी और ब्यास का पानी मांगा है। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने रावी और ब्यास जल न्यायाधिकरण के समक्ष हरियाणा के हितों को उठाते हुए 30 जनवरी 1987 की रिपोर्ट के आधार पर फैसले की मांग करते हुए हरियाणावासियों को उनके हिस्सा का पानी दिलाने की पुरजोर पैरवी की। मुख्यमंत्री ने यह मांग रावी और ब्यास जल न्यायाधिकरण के दौरे के दौरान हुई बैठक में कही। नायब सिंह सैनी ने रावी और ब्यास जल न्यायाधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति विनीत सरन, सदस्य न्यायमूर्ति पी. नवीन राव और सुमन श्याम को पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया। नायब सिंह सैनी ने कहा कि हरियाणा के लिए एसवाईएल भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और सुप्रीम कोर्ट द्वारा हरियाणा के हक में फैसला भी दिया गया है, लेकिन फिर भी अभी तक पंजाब की ओर से हरियाणा को उसके हिस्से का पानी नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि हम लगातार कई मंचों से कह चुके हैं कि हरियाणा को उसके हिस्से का पानी मिलना चाहिए, लेकिन पंजाब सरकार द्वारा इस दिशा में कोई कार्य नहीं किया जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही एसवाईएल के विषय का समाधान होगा। इस अवसर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग अग्रवाल, हरियाणा व पंजाब के महाधिवक्ता भी मौजूद रहे।
रावी-ब्यास जल न्यायाधिकरण के फैसले का इंतजार कर रहा है हरियाणा
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कहा कि 30 जनवरी 1987 को रावी और ब्यास जल न्यायाधिकरण ने अपनी रिपोर्ट दी थी। उस दिन से आज तक हरियाणा का हर बच्चा, नवयुवक और बुजुर्ग इस विषय में अंतिम निर्णय आने का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी के लिए जल संरक्षण न केवल भारत की चिंता है, बल्कि वैश्विक चिंता का विषय बन गया है। इसके लिए जल संरक्षण की योजनाएं बनानी होंगी। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने नदियों को जोड़ने की योजनाएं बनाई थी, जिसे आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी आगे बढ़ा रहे हैं। हरियाणा सरकार ने भी नदियों को जोड़ने के लिए रूपरेखा बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।