- by Vinita Kohli
- Jan, 01, 2025 04:21
चंडीगढ़ : प्रदेश के राजकीय स्कूलों के लिए शुरू की गई निशुल्क बस सेवा का डाटा एमआईएस पोर्टल पर अपलोड करने को लेकर स्कूल मुखियाओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। सेकेंडरी शिक्षा निदेशक ने नाराजगी जताते हुए जिला शिक्षा अधिकारी और मौलिक शिक्षा अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की है कि उन स्कूल मुखियाओं व ट्रांसपोर्ट अधिकारियों के नाम भिजवाए जाएं, जोकि एमआईएस पोर्टल पर डाटा अपलोड करने में लापरवाही बरते हैं, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। दरअसल, वर्ष 2024 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा विद्यार्थियों के लिए निशुल्क बस सेवा की शुरुआत की थी, निशुल्क विद्यार्थी परिवहन सुरक्षा योजना से वे विद्यार्थी लाभवांतित हुए जिनकी स्कूल की दूर एक किलोमीटर या इससे ज्यादा है। प्रदेश के चिहिन्त ब्लाकों में विद्यार्थी परिवहन सुरक्षा योजना पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चलाई जा रही है। इस योजना के अंतर्गत स्कूलों द्वारा की गई बजट मांग प्रति माह सीधे स्कूल के खातों में में जमा कराई जाती है, जिसका लाभ योजना के तहत आने वाले कक्षा पहली से 12वीं तक के विद्यार्थियों को मिलता है। विद्यार्थी परिवहन सुरक्षा योजना तहत बिल नियत अवधि में एमआईएस पोर्टल पर अपलोड करने होते हैं, जोकि हर महीने की 15 तारीख निश्चित की हुई है।
डीईओ व डीईईओ से तलब किया जवाब
विद्यार्थी परिवहन सुरक्षा योजना के बिलों का एमआईएस पोर्टल पर अपलोड करने में देरी को लेकर शिक्षा निदेशालय ने जिला शिक्षा अधिकारी और जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों से जवाब तलब किया। निदेशालय द्वारा स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं कि सभी विद्यालय मुखियाओं व ट्रांसपोर्ट अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करके स्थिति स्पष्ट करें कि निश्चित समयावधि के भीतर एमआईएस पोर्टल पर बिल अपलोड क्यों नहीं किए जा रहे हैं। मगर विद्यालाय प्राचार्य और मुखियाओं को निदेशालय की ओर से बार-बार संपर्क किए जाने के बावजूद भी स्कूल के बिल अपलोड नहीं किए जा रहा हैं। अप्रैल के बिल ईमेल या पत्राचार के माध्यम से 2 से 3 माह देरी से भेजे जा रहे हैं और इससे संबंधित सीएम विंडो पर भी शिकायत प्राप्त हो रही हैं। निदेशालय द्वारा स्कूल मुखिया व ट्रांसपोर्ट अधिकारी को हिदायत दी गई है कि वाहन मालिक के द्वारा दिए बिल स्कूल एसएमसी से सत्यापित करवाकर ही एमआईएस पोर्टल पर अपलोड किए जाएं। बिल में वाहन नंबर, रूट नंबर और छात्रों की संख्या स्पष्ट तौर पर अंकित होनी चाहिए।