Wednesday, Oct 29, 2025

रत्नावली उत्सव हरियाणा की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीकः ललित बतरा


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कुरुक्षेत्र: रत्नावली उत्सव हरियाणा की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, जो हमारी रचनाशीलता, परंपराओं और उस कलात्मक भावना को उजागर करता है जो हरियाणा और उसके लोगों की पहचान बनाती है। परंतु रत्नावली केवल कला का उत्सव नहीं है यह मानव गरिमा, पहचान और अधिकारों का भी उत्सव है। यह विचार हरियाणा मानव अधिकार आयोग के चैयरमेन व पूर्व न्यायाधीश ललित बतरा ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में चल रहे चार दिवसीय राज्य स्तरीय रत्नावली समारोह के दूसरे दिन बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए। समारोह में पहुंचने पर कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, कुलसचिव डॉ. वीरेन्द्र पाल, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. एआर चौधरी, युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक प्रो. विवेक चावला, लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया ने उनका स्वागत व अभिनंदन किया।

इससे पहले ललित बतरा ने हस्तशिल्प मेले का अवलोकन किया और मेले में आए स्कूली छात्रों से बातचीत कर उनके उत्साह को बढ़ाया। उन्होंने कहा कि यहाँ प्रस्तुत हर नृत्य, गीत, नाटक और चित्रकला हमारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, संस्कृति के अधिकार, और सांस्कृतिक जीवन में समान भागीदारी के अधिकार का प्रतीक है जो न केवल मानव अधिकारों की सर्वव्यापी घोषणा (अनुच्छेद 27) में निहित हैं, बल्कि हमारे भारतीय संविधान द्वारा भी संरक्षित हैं। ललित बतरा ने कहा कि संस्कृति और मानवाधिकार एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। जहाँ संस्कृति फलती-फूलती है, वहाँ मानवाधिकारों को अभिव्यक्ति मिलती है; और जहाँ मानवाधिकारों की रक्षा होती है, वहाँ संस्कृति स्वतंत्र रूप से विकसित होती है। यहाँ प्रस्तुत गीत, नृत्य और कहानियाँ केवल कलात्मक अभिव्यक्ति नहीं हैं ये हमारी पहचान, आत्मीयता और भागीदारी के मानवाधिकार की सत्यापन हैं। ये हमें याद दिलाती हैं कि सांस्कृतिक अभिव्यक्ति सशक्तिकरण का माध्यम भी है, विशेषकर उनके लिए जिनकी आवाज़ें लंबे समय तक उपेक्षित रही हैं। 

हमारे संविधान का आर्टिकल 51 (ए) (ई) हर नागरिक को यह कर्तव्य सौंपता है कि वह सभी भारतवासियों में धार्मिक, भाषायी और प्रादेशिक विविधताओं से ऊपर उठकर सद्भाव और भाईचारे की भावना को बढ़ावा दे। इस प्रकार रत्नावली केवल हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत का सम्मान नहीं है यह एक जीवंत संदेश है कि संस्कृति स्वयं एक मानव अधिकार है। अपनी संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित कर हमअपनी मानवीयता को सशक्त बनाते हैं, और गरिमा, सम्मान एवं सामाजिक सद्भाव जैसे मूल्यों को आगेबढ़ाते हैं, जो एक न्यायपूर्ण समाज की नींव हैं। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. वीरेन्द्र पाल, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. एआर चौधरी, युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक प्रो. विवेक चावला, कुवि सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष डॉ. ऋषिपाल, लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया, उप-निदेशक डॉ. सलोनी दिवान, सहित डीन, निदेशक, शिक्षक, विद्यार्थी व कर्मचारी मौजूद रहे।

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Vinita Kohli

रत्नावली उत्सव हरियाणा की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीकः ललित बतरा

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