Thursday, Oct 30, 2025

होशियारपुर: बेगमपुरा टाइगर फोर्स ने आई.पी.एस. वाई. पूरन कुमार के संबंध में राष्ट्रपति को भेजा मांग पत्र


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होशियारपुर: बेगमपुरा टाइगर फोर्स के चेयरमैन तरसेम दीवाना और राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मपाल साहनेवाल के दिशा-नि र्देशों के अनुसार, बेगमपुरा टाइगर फोर्स की ओर से आज हरियाणा के एक दलित आई.पी.एस. अधिकारी वाई. पूरन कुमार द्वारा की गई आत्महत्या के बाद कथित दोषियों पर बनती कार्रवाई न करने के संबंध में डिप्टी कमिश्नर होशियारपुर के माध्यम से माननीय राष्ट्रपति को एक मांग पत्र ज़िला अध्यक्ष हैप्पी फतेहगढ़, ज़िला सीनियर उपाध्यक्ष सतीश कुमार शेरगढ़ और ब्लॉक अध्यक्ष हरियाना भूंगा अनर कुमार बंटी की अध्यक्षता में दिया गया। मांग पत्र में नेताओं ने कहा कि मौजूदा भाजपा के शासन में दलितों के खिलाफ अपराध तेज़ी से बढ़ रहे हैं। 


हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के माननीय मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई पर भरी अदालत में राकेश किशोर नाम के वकील द्वारा जूता फेंकने की कोशिश करना और हरियाणा के एक आई.पी.एस. दलित अधिकारी वाई. पूरन कुमार द्वारा आत्महत्या करना बहुत ही शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि जाति-पात को लेकर की जाने वाली शारीरिक और मानसिक हिंसा की सैकड़ों घटनाएँ हमारे देश में रोज़ाना होती हैं। इनमें से ज़्यादातर दूर-दराज़ ग्रामीण क्षेत्रों में होती हैं, जो मीडिया की कवरेज से बाहर हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि दलित समाज के लोगों से मारपीट, गाली-गलौच और कई प्रकार के अन्याय तथा उनके साथ होने वाले जुल्म अक्सर न तो अख़बार के पन्नों तक पहुँचते है और न ही टेलीविज़न की चमकती स्क्रीनों पर इस बारे में बहसें होती हैं। 


साथ ही, उच्च पदों पर बैठे दलित वर्ग के दो व्यक्तियों के साथ हुई घटनाक्रम से तथाकथित ऊंची जातियों के लोगों का दलितों के प्रति बुरा रवैया ज़ाहिर होता है। उन्होंने कहा कि जस्टिस गवई पर जूता फेंकने के मामले को भाजपा और आर.एस.एस. ने ज़्यादा तूल न देते हुए उस वकील को फटाफट क्लीन चिट देने की कोशिश की। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि दिल्ली पुलिस ने भी उस वकील के खिलाफ न तो कोई एफ.आई.आर. दर्ज की और न ही उसे गिरफ्तार किया। इसके विपरीत, जूता फेंकने वाले वकील की सोशल मीडिया पर प्रशंसा होती रही, जबकि सोशल मीडिया पर मुख्य न्यायाधीश का मज़ाक उड़ाने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने सरकार से पूछा कि सबको न्याय देने वाले मुख्य न्यायाधीश को इस मामले में न्याय कौन देगा?  हरियाणा सरकार के उच्च पुलिस अधिकारी वाई. पूरन कुमार ने अपने सुसाइड नोट में कुछ उच्च जाति के सीनियर अधिकारियों द्वारा अपमानित किए जाने का वर्णन किया है। 


यहाँ तक कि उक्त अधिकारियों के नाम भी सुसाइड नोट में लिखे हुए हैं, परंतु हरियाणा पुलिस की नालायकी यह है कि सुसाइड नोट में उक्त अधिकारियों के नाम होने के बावजूद भी एफ.आई.आर. में किसी भी अधिकारी का  नाम नहीं डाला गया। उन्होंने कहा कि संविधान सभी को बराबर का हक देता है, जिसमें जाति-पात और ऊँच-नीच की कोई जगह नहीं। पर व्यवहारिक रूप से समाज में ये सभी भेदभाव अभी भी मौजूद हैं। भाजपा के शासन के दौरान 2014 से 2025 के बीच दलितों के खिलाफ अपराधों में 46 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जिससे भाजपा की दलितों के प्रति सोच जग ज़ाहिर होती है। 


हरियाणा के आई.पी.एस. अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या उस सामाजिक ज़हर का प्रतीक है, जो जाति के नाम पर  मानवता को निगल रहा है। ये घटनाएँ भाजपा शासन की नाकामी है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में दलित अधिकारी भी सुरक्षित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सदियों से होते आए इस बर्ताव के दागों को धोने के लिए पता नहीं दलितों को और कितनी सदियों तक इंतज़ार करना पड़ेगा। भाजपा आर.एस.एस. के नेतृत्व में दलितों को फिर से गुलाम बनाना चाहती है, जिसे कभी भी सफल नहीं होने दिया जाएगा। इस मौके पर अन्य लोगों के अलावा सुखी फतेहगढ़, बिपन कुमार सीनियर उपाध्यक्ष चब्बेवाल, सतीश कुमार बस्सी बाहिद, और कार्तिक महतो आदि उपस्थित थे।

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Vinita Kohli

होशियारपुर: बेगमपुरा टाइगर फोर्स ने आई.पी.एस. वाई. पूरन कुमार के संबंध में राष्ट्रपति को भेजा मांग पत्र

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