Thursday, Sep 11, 2025

न्यायालय के पुस्तकालय में स्थापित हुई न्याय की देवी की नई प्रतिमा, आंखों पर बिना पट्टी और बिना तलवार के नजर आई प्रतिमा


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नई दिल्ली: भारत के उच्चतम न्यायालय में न्याय की देवी की नयी प्रतिमा लगाई गयी, जिसके एक हाथ में तराजू और दूसरे हाथ में संविधान की पुस्तक है। न्यायाधीशों के पुस्तकालय में लगाई गयी छह फुट ऊंची इस प्रतिमा के हाथ में तलवार नहीं है। सफेद पारंपरिक पोशाक पहने न्याय की देवी की आंखों पर पट्टी और हाथ में तलवार नहीं है हालांकि सिर पर मुकुट सजाया गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने बताया कि इस बदलाव से न्याय देने के तरीके में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं आया है।



द्विवेदी ने कहा, न्याय की देवी की इस प्रतिमा में बदलाव करने से कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं आया है। आंखों पर पट्टी का मतलब यह नहीं था कि आंख बंद करके न्याय दिया जाता था। इसका वास्तव में मतलब पक्षपात और पूर्वाग्रहों के प्रति अंधापन था। अब देवी की आंखों पर पट्टी नहीं है। इसका मतलब अब भी यह है कि न्यायाधीशों को दुनिया और देश को देखना चाहिए लेकिन उन्हें बुराइयों के आगे नहीं झुकना चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने नयी प्रतिमा की भारतीयता की सराहना करते हुए कहा कि आंखों पर से पट्टी हटाने के पीछे का विचार देखना दिलचस्प होगा। इसके बारे में भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने पूर्व में कहा था कि इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि कानून अंधा होता है।

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Tanya Chand

न्यायालय के पुस्तकालय में स्थापित हुई न्याय की देवी की नई प्रतिमा, आंखों पर बिना पट्टी और बिना तलवार के नजर आई प्रतिमा

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