- by Vinita Kohli
- Jan, 02, 2025 05:50
चंडीगढ़ : चंडीगढ़ में वाहन चोरी की घटनाओं में तेज़ी से वृद्धि हो रही है, खासकर शहर के पॉश सेक्टरों और कॉलोनियों में। यहां खड़ी गाड़ियों को चोरों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है, और हर दिन कम से कम तीन वाहनों की चोरी की वारदात सामने आ रही है। पिछले साल 2024 में वाहन चोरी के 1077 मामले दर्ज हुए, जिनमें से 515 मोटरसाइकिलें थीं। इसके अलावा 331 स्कूटी, 15 बुलेट, 47 रिक्शा, 45 साइकिलें, 115 कारें और 9 ट्रक चोरी हुए। हालात इतने खराब हैं कि पुलिस केवल कुछ ही मामलों को सुलझा सकी है, जबकि अधिकांश मामलों में अपराधी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। शहर में वाहन चोरी के मामलों में हर साल बढ़ोतरी हो रही है। 2022 में 872, 2023 में 1160, और 2024 में 1077 वाहन चोरी हुए। 2025 की शुरुआत से अब तक 70 से अधिक वाहनों की चोरी हो चुकी है, और इस संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। हैरानी की बात यह है कि पुलिस इन घटनाओं पर अंकुश लगाने में नाकाम रही है, और कई मामले अब तक सुलझाए नहीं जा सके हैं। पिछले 5 महीने में 62 कारें चोरी हो चुकी हैं, लेकिन पुलिस केवल दो को ही बरामद कर सकी है। केंद्र सरकार के नए कानून लागू होने के बाद, वाहन चोरी की घटनाएं और बढ़ी हैं। 1 जुलाई 2024 से 31 दिसंबर 2024 तक 787 वाहन चोरी हुए, जिनमें 689 दोपहिया वाहन थे। पुलिस सिर्फ 88 वाहनों को बरामद कर पाई, जबकि 62 चारपहिया वाहन चोरी हुए थे और केवल दो को ही ढूंढा जा सका।
तीन साल में तीन हजार ई-एफआईआर, एक हजार मामलों की रिपोर्ट अदालत में नहीं पहुंची
वाहन चोरी के मामलों में पुलिस की जांच में गंभीर कमियां देखी जा रही हैं। पिछले तीन सालों में लगभग 3 हज़ार वाहन चोरी के मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन इनमें से हज़ारों मामलों में पुलिस अदालत में अनट्रेस रिपोर्ट तक पेश नहीं कर पाई है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अक्सर जांच अधिकारियों के बदलने की वजह से मामलों में देरी हो जाती है और वो लम्बे समय तक लंबित रहते हैं। इसके अलावा, जांच अधिकारियों की लापरवाही के कारण पीड़ितों को बीमा क्लेम का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि पुलिस मौके पर जाकर मुआयना नहीं करती और रिपोर्ट में देरी हो जाती है। इसके कारण लोगों को न सिर्फ मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि उन्हें आर्थिक नुकसान भी हो रहा है।
सीसीटीवी में कैद चोर, फिर भी पुलिस बेबस
कई घटनाओं में चोर सीसीटीवी कैमरों में कैद हो चुके हैं, लेकिन पुलिस उन्हें पकड़ने में नाकाम साबित हो रही है। शहर में क्राइम ब्रांच, ऑपरेशन सेल और 16 थानों की पुलिस वाहन चोरों को पकड़ने में जुटी तो है, लेकिन चोरी की घटनाओं में कोई खास कमी नहीं आई है। यह स्थिति न केवल शहरवासियों के लिए चिंता का विषय बन गई है, बल्कि पुलिस की कार्यशैली और कार्रवाई में सुधार की आवश्यकता भी महसूस हो रही है।
बढ़ती चोरी और लूटपाट पर काबू पाने के लिए आईपीएस अधिकारियों को देर रात तक करनी पड़ रही है पेट्रोलिंग
चंडीगढ़ में रात के समय बढ़ती चोरी और लूटपाट की घटनाओं को देखते हुए पुलिस विभाग ने सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त कर दिया है। अब चंडीगढ़ पुलिस के पांच आईपीएस अधिकारी रात में शहर की सड़कों पर गश्त करेंगे। चंडीगढ़ में बढ़ती वाहन चोरी के मामलों के बीच, रात के समय लूटपाट और चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी है। अब शहर में रात के समय पुलिस की सतर्कता बढ़ाने के लिए आईपीएस अधिकारियों को भी गश्त पर तैनात किया गया है। इस महीने की शुरुआत से पांच आईपीएस अधिकारी रात में शहर की सड़कों पर गश्त कर रहे हैं, ताकि अपराधियों पर कड़ी निगरानी रखी जा सके।
अपराध की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए पुलिस महानिदेशक सुरेंद्र कुमार यादव ने आदेश जारी किए हैं, जिसके तहत अब विभाग के सभी आईपीएस अधिकारियों को उनकी रैंक के बावजूद रात की ड्यूटी करनी पड़ रही है। इससे वरिष्ठ अधिकारी भी सीधे तौर पर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा ले सकेंगे। इससे पहले वे सिर्फ नाकों की जांच या किसी बड़े अपराध स्थल पर ही जाते थे, लेकिन अब उनके लिए भी निर्धारित रोस्टर तैयार किया गया है। नए निर्देशों के तहत, यह गश्त रात 11 बजे से सुबह 4 बजे तक चलेगी, ताकि देर रात सक्रिय होने वाले अपराधियों पर नकेल कसी जा सके। इस पहल के तहत एसएसपी कंवरदीप कौर, एसएसपी (ट्रैफिक) सुमेर प्रताप सिंह, एसपी (इंटेलिजेंस, हेडक्वार्टर्स एंड इकोनॉमिक ऑफेंसेस विंग) मंजीत सिंह, एसपी (सिटी, साइबर क्राइम, विजिलेंस एवं ऑपरेशन्स) गीतांजलि खंडेलवाल और एसपी (क्राइम) जसबीर सिंह लगातार निगरानी कर रहे हैं। चंडीगढ़ पुलिस के इतिहास में यह पहली बार है जब आईपीएस अधिकारियों के लिए रात की गश्त अनिवार्य की गई है।