- by Super Admin
- Jun, 23, 2024 21:28
चंडीगढ़ : कैदियों को सलाखों के पीछे बंद करने की पुरानी सोच अब धीरे-धीरे बदल रही है। देशभर में मानवाधिकारों को ध्यान में रखते हुए 'ओपन जेल' की अवधारणा को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी दिशा में अब चंडीगढ़ प्रशासन भी कदम बढ़ा रहा है। प्रस्ताव के अनुसार, शहर में जल्द ही एक ओपन जेल स्थापित की जा सकती है, जहां चयनित कैदी न सिर्फ खुली हवा में सांस ले सकेंगे, बल्कि अपने परिवार के साथ रहकर समाज के लिए काम भी कर पाएंगे। सूत्रों के मुताबिक, चंडीगढ़ पुलिस ने प्रशासन को इस प्रस्ताव पर विचार के लिए भेजा है। हाल ही में बुड़ैल जेल के अधीक्षक ने राजस्थान की सांगानेर ओपन जेल का दौरा किया था, जहां की व्यवस्थाएं चंडीगढ़ के अधिकारियों को काफी पसंद आई हैं। इसी मॉडल पर चंडीगढ़ में भी ओपन जेल बनाने की योजना तैयार की जा रही है। यदि प्रशासन की मंजूरी मिलती है, तो जल्द ही यहां इसकी शुरुआत हो सकती है। राजस्थान के अलावा महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्यों में भी ओपन जेलों का सफल संचालन हो रहा है। पुणे की यरवदा जेल में 2010 में पहली महिला ओपन जेल बनी थी, जबकि दक्षिण भारत की पहली ओपन जेल 2012 में केरल के पूजापुरा में शुरू की गई थी।
91 ओपन जेलें पहले से देश में संचालित
भारत के 17 राज्यों में अब तक 91 ओपन जेलें स्थापित की जा चुकी हैं। इनमें सबसे सफल उदाहरण सांगानेर की ओपन जेल है। कैदियों के सुधार, पुनर्वास और समाज से दोबारा जुड़ाव की दिशा में यह मॉडल सफल माना जा रहा है। अब चंडीगढ़ भी इस दिशा में कदम रखने जा रहा है, जिससे न केवल कैदियों को बेहतर जीवन मिलेगा बल्कि जेलों में भीड़ का दबाव भी कम होगा।
ओपन जेल में कैदियों को काम की सुविधा, नियम तोड़े तो वापसी आम जेल
ओपन जेल पारंपरिक जेलों से अलग होती है। यहां कैदियों को आम जेलों की तरह ताले-चाबियों और ऊंची दीवारों के बीच नहीं रखा जाता। बल्कि उन्हें छोटे मकाननुमा कमरों में रखा जाता है, जहां वे अपने परिवार के साथ रह सकते हैं। ऐसे कैदियों को दिन के समय बाहर जाकर काम करने की अनुमति होती है। वे सुबह 9 बजे बाहर जाते हैं और शाम 5 बजे वापस जेल परिसर में लौट आते हैं। यह सुविधा सिर्फ उन्हीं कैदियों को दी जाती है, जो व्यवहार में अच्छे होते हैं और किसी व्यावसायिक कार्य में दक्ष होते हैं। हालांकि, जेल से बाहर जाने के बाद यदि कोई कैदी तय समय पर वापस नहीं लौटता, तो उसे फिर से आम जेल में भेज दिया जाता है और ओपन जेल की सुविधा से वंचित कर दिया जाता है।
बुड़ैल जेल की 20 बैरकों में अब एसटीडी बूथ, कॉल से पहले जरूरी होगी अंगुली की पहचान
ओपन जेल के प्रस्ताव के साथ-साथ बुड़ैल जेल में पहले से मौजूद कैदियों के लिए एक और राहत भरी पहल की गई है। अब यहां की 20 बैरकों में एसटीडी बूथ स्थापित किए गए हैं, जिससे कैदी अपने परिजनों से आसानी से बात कर सकें। पहले सीमित बूथ होने के कारण कैदियों को लंबी कतार में लगना पड़ता था, लेकिन अब हर बैरक में यह सुविधा उपलब्ध है। हालांकि, इसके साथ ही प्रशासन ने सख्त निर्देश भी जारी किए हैं। यदि किसी बैरक में मोबाइल फोन मिला, तो उस बैरक के सभी कैदियों से कॉल की सुविधा छीन ली जाएगी। नई व्यवस्था के तहत कैदियों को कॉल करने के लिए पहले बायोमेट्रिक सत्यापन कराना अनिवार्य होगा।
इसके बाद उन्हें छह मिनट की कॉल की अनुमति दी जाएगी, जो समय पूरा होते ही अपने आप कट जाएगी। कॉल के दिन कैदियों के नाम के पहले अक्षर के आधार पर तय किए गए हैं, ताकि व्यवस्था बनी रहे। शनिवार और बुधवार को ए से जे नाम वाले कैदी, सोमवार और वीरवार को के से आर वाले और बुधवार व शुक्रवार को एस से जेड नाम वाले कैदी कॉल कर सकेंगे। कैदियों ने प्रशासन से कॉल की अवधि छह मिनट से बढ़ाकर दस मिनट करने और रविवार को भी कॉल करने की अनुमति देने की मांग की है, क्योंकि अधिकतर परिजन उसी दिन फुर्सत में रहते हैं। जेल अधिकारियों ने इन मांगों को स्वीकार करते हुए प्रस्ताव उच्चाधिकारियों को भेज दिया है। जल्द ही कॉल की अवधि दस मिनट हो सकती है और रविवार को भी बातचीत की इजाजत मिलने की संभावना है।