- by Vinita Kohli
- Jan, 02, 2025 05:50
चंडीगढ़ : आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर बुधवार को टैगोर थिएटर, सेक्टर 18, में एक राज्य स्तरीय समारोह आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम चंडीगढ़ प्रशासन के सांस्कृतिक कार्य विभाग द्वारा भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा 'संविधान हत्या दिवस' मनाने की राष्ट्रव्यापी पहल के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में पंजाब के राज्यपाल तथा यूटी चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे, तथा समाज के सभी वर्गों ने इसमें भाग लिया। अपने संबोधन में प्रशासक ने कहा कि उस समय के संघर्ष ने भारतीय लोकतंत्र को बचाने में हम भूमिका निभाई है। उन्होंने उन अनगिनत बहादुर नागरिकों - पत्रकारों, छात्रों, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा राजनीतिक नेताओं - को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने दमन के बावजूद लोकतंत्र की भावना को जीवित रखा। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व पर विचार करते हुए राज्यपाल ने कहा कि जयप्रकाश जी ने युवाओं को आंदोलन की नींव बनाया।
उनके आह्वान ने एक पीढ़ी को जागृत किया, तथा लोकतंत्र की लड़ाई को जन आंदोलन में बदल दिया। राज्यपाल ने युवाओं से आत्मनिरीक्षण करने और उस तरह के भारत का सपना देखने का आग्रह किया, जिसे वे बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हमें भारत के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए और अपने देश को विश्वगुरु बनाने के लिए काम करना चाहिए। राज्यपाल ने इस बात पर जोर दिया कि लोकतंत्र स्थिर न होकर एक जीवंत प्रणाली है, जिसे हर दिन सतर्कता, जागरूकता और सामूहिक जिम्मेदारी के साथ पोषित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "लोकतंत्र की रक्षा केवल सरकारों का कर्तव्य नहीं है, यह प्रत्येक नागरिक की साझा जिम्मेदारी है।" कटारिया ने संविधान की कालातीत प्रासंगिकता को दोहराया और डॉ. बी.आर. अंबेडकर को उद्धृत किया: "एक अच्छा संविधान बुरा हो सकता है यदि इसे लागू करने वाले लोग अच्छे नहीं हैं। लेकिन एक बुरा संविधान भी अच्छा हो सकता है यदि इसे ईमानदार लोगों द्वारा लागू किया जाए।" उन्होंने सभी नागरिकों से विचार, वचन और कर्म से संविधान की पवित्रता को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि भारतीय लोकतंत्र की नींव हर पीढ़ी के साथ और मजबूत होती जाए। इस अवसर पर भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन और देशराज राज टंडन ने भी अपनी बात रखी, दोनों ने ही आपातकाल के दौरान चंडीगढ़ में अपने व्यक्तिगत अनुभवों और अपनी सक्रिय भूमिकाओं को साझा किया।
उनके विचार प्रतिरोध, साहस और संवैधानिक प्रतिबद्धता के सशक्त प्रमाण के रूप में सामने आए। सुरिंदर महाजन, ओम प्रकाश आहूजा और जतिंदर चोपड़ा को उस समय लोकतंत्र की रक्षा में उनके योगदान के लिए राज्यपाल द्वारा मान्यता और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में सम्मानित किया गया। स्थानीय कलाकारों और युवा स्वयंसेवकों द्वारा प्रस्तुत देशभक्ति गीतों वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम ने इस आयोजन को और समृद्ध किया। इन प्रस्तुतियों ने दर्शकों को भावनात्मक रूप से प्रभावित किया और उन्हें देश की लोकतांत्रिक यात्रा के लिए किए गए बलिदानों की याद दिलाई। जन प्रतिनिधियों, नागरिक समाज के सदस्यों, स्कूल और कॉलेज के छात्रों और युवा स्वयंसेवकों की उपस्थिति में आयोजित इस कार्यक्रम ने एक साल तक चलने वाले राष्ट्रीय अभियान (25 जून, 2025 – 25 जून, 2026) की शुरुआत की। इस अभियान का उद्देश्य पूरे देश में प्रदर्शनियों, संवादों, प्रतियोगिताओं और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से लोकतांत्रिक मूल्यों को पुनः जागृत करना और नागरिकों में संवैधानिक चेतना को और सशक्त बनाना है। इस अवसर पर चंडीगढ़ की मेयर हरप्रीत कौर बबला, चंडीगढ़ के मुख्य सचिव राजीव वर्मा, गृह सचिव मंदीप बराड़, सांस्कृतिक मामलों के निदेशक सौरभ अरोड़ा भी मौजूद थे। चंडीगढ़ भाजपा अध्यक्ष जतिंदर पाल मल्होत्रा, यूटीसीए के अध्यक्ष संजय टंडन और चंडीगढ़ प्रशासन के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
कांग्रेस ने टैगोर थिएटर के बाहर किया विरोध प्रदर्शन
भाजपा के ‘संविधान हत्या दिवस’ के खिलाफ चंडीगढ़ में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विरोध-प्रदर्शन किया। हालांकि, बाद में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को चंडीगढ़ पुलिस ने हिरासत में ले लिया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भाजपा के ‘संविधान हत्या दिवस’ के खिलाफ चंडीगढ़ के सेक्टर-18 में विरोध-प्रदर्शन किया और पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक के खिलाफ नारेबाजी की। इस दौरान पुलिस और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच नोकझोंक भी हुई। चंडीगढ़ कांग्रेस के वार्ड नंबर 13 के पार्षद सचिन गालव के नेतृत्व यह विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया था। सचिन गालव ने बताया कि संविधान की हत्या 25 जून को नहीं हुई थी संविधान की हत्या चंडीगढ़ के अंदर उसे दिन हुई थी जिस दिन भाजपा के नॉमिनेटेड काउंसलर अनिल मसीह ने वोटो में गड़बड़ी कर के लोकतंत्र की हत्या की थी ।
कांग्रेस नेता हरमेल केसरी ने कहा कि भाजपा के इशारे पर पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक की ओर से आपातकाल की 50वीं वर्षागांठ को मनाया गया और कांग्रेस पार्टी ने इसका विरोध किया। राज्यपाल को चंडीगढ़ के लोगों के लिए काम करना चाहिए, लेकिन वे भाजपा के कार्यक्रमों में उद्घाटन करने के लिए पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोई ‘संविधान हत्या दिवस’ नहीं है, बल्कि संविधान की हत्या तो उस दिन हुई थी, जब अनिल मसीह ने वोटों की गड़बड़ी चंडीगढ़ में की थी। चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एचएस लक्की ने आज देश में व्याप्त अघोषित आपातकाल जैसी स्थिति की कड़े शब्दों में निंदा की। 1975 में लगाए गए आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर बोलते हुए लक्की ने कहा कि भले ही उस समय आपातकाल की औपचारिक घोषणा की गई थी, लेकिन आज देश एक अधिक खतरनाक, अदृश्य और सुनियोजित लोकतंत्र विरोधी षड्यंत्र का सामना कर रहा है — बिना किसी आधिकारिक घोषणा के।
आप ने कार्यक्रम का किया विरोध
आम आदमी पार्टी के मीडिया प्रभारी विक्रांत ए. तंवर ने भाजपा के कार्यक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए, भाजपा प्रवक्ता नरेश अरोड़ा पर निशाना साधा और कहा कि 25 जून को भाजपा द्वारा आयोजित “आपातकाल स्मृति कार्यक्रम” लोकतंत्र की रक्षा से अधिक राजनीतिक प्रचार का माध्यम बन गया। भाजपा प्रवक्ता का यह आरोप कि पार्षदों ने विरोध किया, सरासर भ्रामक है। सवाल कार्यक्रम का नहीं, बल्कि उस दोहरे मापदंड का है, जो एक ओर आपातकाल को कोसते हैं और दूसरी ओर आज लोकतंत्र को चुपचाप कुचल रहे हैं। श्री विजयपाल सिंह, आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ के प्रधान ने कहा कि सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि माननीय गुलाब चंद कटारिया को क्यों बनाया गया — क्या वे चंडीगढ़ के प्रशासक हैं या भाजपा के पदाधिकारी? एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का राजनीतिक मंच पर व्यवहार यदि पक्षपातपूर्ण दिखाई दे, तो यह प्रशासन की निष्पक्षता, समभाव और उसकी साख पर गहरा संदेह उत्पन्न करता है। चंडीगढ़ की जनता यह प्रश्न उठाने को विवश है कि क्या प्रशासक का दायित्व सभी नागरिकों के प्रति समान होना चाहिए या सिर्फ सत्ताधारी दल के प्रति निष्ठावान?