- by Super Admin
- Jun, 23, 2024 21:28
चंडीगढ़: पंजाब यूनिवर्सिटी के संस्कृत विभाग और पटियाला स्थित संस्कृत भारती के संयुक्त तत्वावधान में विभाग की परिसरों में दस दिवसीय संस्कृत बोलने और सीखने की कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में संसाधन व्यक्ति के रूप में राजनी देवी उपस्थित हैं। कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्वलन से हुई। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि, संस्कृत भारती (उत्तरी क्षेत्र) के संगठन मंत्री नरेंद्र ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। अपने प्रेरक संबोधन में उन्होंने संस्कृत भाषा के गौरवमयी अतीत और वर्तमान युग में इसकी प्रासंगिकता व आवश्यकता को सरलता और स्पष्टता के साथ समझाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही डॉ. सुनीता देवी ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा को बढ़ावा देना हम सभी की जिम्मेदारी है। संस्कृत भाषा के कारण ही हमारे मूल्य सुरक्षित हैं और हमारी संस्कृति जीवित है। इस कार्यक्रम का संचालन विभाग के शिक्षक डॉ. टोमीर शर्मा ने किया।
कार्यक्रम के दौरान विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर, प्रो. विरेन्द्र कुमार अलंकार ने भी उपस्थित जनों को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि विश्व की पहली कविता, कहानी, नाटक और नाट्यशास्त्र संस्कृत में रची गई। उन्होंने कार्यशाला के मुख्य उद्देश्य पर जोर देते हुए कहा कि इसका लक्ष्य समाज में संस्कृत भाषा के व्यावहारिक उपयोग को बढ़ावा देना, युवाओं में रुचि जगाना और भारतीय संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन में योगदान देना है। इस अवसर पर सनातन धर्म संस्कृत कॉलेज, सेक्टर-23 के छात्र-छात्राएं, यूनिवर्सिटी के विभिन्न विभागों के प्रोफेसर, संस्कृत प्रेमी, शिक्षक और समाजसेवी उपस्थित रहे। कार्यशाला केवल संस्कृत भाषा की शिक्षा तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसे रोजमर्रा की बातचीत में जीवंत और बोलचाल की भाषा बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।