Friday, Sep 12, 2025

एक दिवसीय क्रिकेट की प्रासंगिकता पर बहस के बीच चैम्पियंस ट्रॉफी का आगाज


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दुबई /कराची : अनिश्चितता, नाटकीयता और पर्दे के पीछे की सरगर्मियां, आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी शुरू होने से पहले ही यह सब देखा जा चुका है और पाकिस्तान तथा न्यूजीलैंड के बीच कराची में उद्घाटन मैच के साथ ही अगले तीन सप्ताह तक चलने वाले टूर्नामेंट में रोमांच की पराकाष्ठा देखने को मिलेगी। विश्व कप के समान कठिन माने जाने वाले इस टूर्नामेंट में आठ टीमें खिताब के लिये जोर आजमाइश करेंगी और अपने क्रिकेट इतिहास का सुनहरा अध्याय लिखने की कोशिश में होंगी। भारतीय टीम के मैच दुबई में होंगे जबकि बाकी टीमें पाकिस्तान में खेलेंगी जहां 1996 विश्व कप के बाद पहला आईसीसी टूर्नामेंट हो रहा है। आठ साल बाद हो रहे इस टूर्नामेंट के आयोजन में कई परेशानियां आई। वनडे क्रिकेट की प्रासंगिकता पर चल रही बहस के बीच इस टूर्नामेंट की अहमियत को स्थापित करना भी एक चुनौती थी। टी20 क्रिकेट की लोकप्रियता और टेस्ट प्रारूप के लिये प्रतिबद्धता की जद्दोजहद में कहीं न कहीं इसके लिये जगह बनाना विकट था। शायद ही किसी क्रिकेट आयोजन में इतना भू राजनीतिक तनाव, दो अहम प्रतिभागियों के दो प्रशासनिक बोर्ड की जिद और मेजबान स्टेडियमों की तैयारियों को लेकर आशंकायें देखने को मिली हों। इससे नब्बे के दशक की यादें ताजा हो गई जब उपमहाद्वीप में क्रिकेट का आयोजन आनन फानन में की गई किसी पार्टी की तरह लगता था।


लेकिन एक बार जब पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के कप्तान पहले मैच के टॉस के लिये उतरेंगे तो मैदान से बाहर की ये सारी बातें हाशिये पर चली जायेंगी। पाकिस्तान ने पिछली बार 2017 में खिताब जीता था। पहले मैच में पाकिस्तान की प्रतिभाशाली टीम न्यूजीलैंड से खेलेगी जबकि 23 फरवरी को भारत और पाकिस्तान का मुकाबला है जिसे हमेशा टूर्नामेंट का ‘ब्लॉकबस्टर’ माना जाता है। इसमें सरहद के आर पार जज्बात उमड़ेंगे, यादों की परतें खोली जायेंगी और सोशल मीडिया किसी अखाड़े से कम नहीं दिखेगा। टीम समीकरणों के अलावा खिलाड़ियों पर भी नजरें होंगी जिनमें पहला नाम रोहित शर्मा और विराट कोहली का है। आधुनिक क्रिकेट के दोनों दिग्गज अपने कैरियर के आखिरी पड़ाव पर हैं और जीत के साथ विदा लेना चाहेंगे। भारतीय वनडे टीम में चैम्पियंस ट्रॉफी के बाद रोहित और कोहली की जगह नहीं दिखती। यहां खराब खेलने पर टेस्ट क्रिकेट में भी उनके भविष्य पर असर पड़ सकता है। वहीं चैम्पियंस ट्रॉफी में नाकामी की गाज कोच गौतम गंभीर पर भी गिर सकती है। इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू श्रृंखला में अच्छे प्रदर्शन से गंभीर को क्षणिक राहत भले ही मिल गई हो लेकिन न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया के हाथों हार को इतनी जल्दी भुलाया नहीं जा सकता। ऐसे में आईसीसी खिताब उनके लिये बड़ा सहारा बन सकता है। भारतीय टीम ने भी महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में 2013 चैम्पियंस ट्रॉफी के बाद कोई वनडे खिताब नहीं जीता है। 


भारतीय टीम खिताब की प्रबल दावेदार के रूप में उतरेगी लेकिन एक सत्र या एक पल का खराब प्रदर्शन सारे समीकरण बिगाड़ सकता है। जैसा 2023 विश्व कप फाइनल में हुआ जब पूरे टूर्नामेंट में उम्दा प्रदर्शन के बाद भारतीय टीम आखिर में दबाव में आ गई। आस्ट्रेलिया टीम अपने प्रमुख तेज गेंदबाजों पैट कमिंस, मिचेल स्टार्क और जोश हेजलवुड के बिना आई है लेकिन उसके पास वनडे प्रारूप की जरूरतों पर खरे उतरने वाले बल्लेबाज हैं। इंग्लैंड के कुछ प्रमुख खिलाड़ियों पर बढती उम्र और खराब फॉर्म हावी है। लेकिन जोस बटलर, जो रूट और लियाम लिविंगस्टोन से एक आखिरी बार उसी चिर परिचित प्रदर्शन की उम्मीद की जा सकती है या हैरी ब्रूक और बेन डकेट जैसे युवा खिलाड़ी नया रास्ता बना सकते हैं। न्यूजीलैंड भी ट्रेंट बोल्ट और टिम साउदी के संन्यास के बाद नये खिलाड़ियों के साथ उतरी है। केन विलियमसन ट्रंपकार्ड हैं और उम्मीद है कि वह न्यूजीलैंड को पहला आईसीसी खिताब दिला सकेंगे। दक्षिण अफ्रीका ने 1998 में आईसीसी नॉकआउट ट्रॉफी जीती लेकिन हाल ही में कोई खिताब नहीं जीत पाई और इस कमी को पूरा करना चाहेगी। इसी तरह पाकिस्तान अगर भारत के खिलाफ मैच को लेकर जज्बाती होने से उबर जाये और उसे ही आखिरी किला नहीं माने तो खतरनाक साबित हो सकता है। उसके पास आला दर्जे का तेज आक्रमण और फखर जमां तथा सलमान अली आगा जैसे धाकड़ बल्लेबाज हैं। अफगानिस्तान की जीत को अब उलटफेर नहीं माना जाता है। राशिदखान, आईसीसी वर्ष के सर्वश्रेष्ठ वनडे क्रिकेटर रहे अजमतुल्लाह उमरजई और रहमानुल्लाह गुरबाज जैसे मैच विनर उसके पास हैं। दूसरी ओर बांग्लादेश 2007 वनडे विश्व कप में उलटफेर कर चुका है और उसे दोहराना चाहेगा।

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Vinita Kohli

एक दिवसीय क्रिकेट की प्रासंगिकता पर बहस के बीच चैम्पियंस ट्रॉफी का आगाज

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