- by Vinita Kohli
- Jan, 01, 2025 04:21
चंडीगढ़: हरियाणा राइट टू सर्विस आयोग ने उपभोक्ता को पांच वर्ष से अधिक समय तक औसत आधार पर बिल जारी किए जाने के मामले में चिंता जताते हुए पांच हजार रुपये का मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं। आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि आयोग ने पाया कि यह कोई एकमात्र मामला नहीं है, बल्कि इस प्रकार की शिकायतों पर पूर्व में भी अनेक बार निर्देश जारी किए जा चुके हैं। आयोग ने अपने पूर्व आदेश में दोनों निगमों के प्रबंध निदेशकों को इस प्रकार के लंबे समय तक औसत बिल जारी होने वाले मामलों में राहत या वसूली नीति तैयार करने के निर्देश दिए थे। आयोग ने टिप्पणी कि जब पर्याप्त निगरानी और प्रणाली उपलब्ध हैं, तब भी उपभोक्ताओं को वर्षों तक औसत बिल पर चार्ज करना निगम की साख को धूमिल करता है। आयोग ने यह भी माना कि उपभोक्ता वास्तविक खपत के आधार पर भुगतान करने का उत्तरदायी है, किंतु वर्षों तक नियमित बिल मिलने के बाद एक साथ भारी राशि का बिल जारी करना अनुचित है।
प्रकरण के तथ्यों के अनुसार, उपभोक्ता के अंतिम रीडिंग वास्तविक खपत पर आधारित हैं, जिनका भुगतान उसे करना होगा। हालांकि, लैब रिपोर्ट में मीटर के जानबूझकर जलाने का आरोप लगाया गया है। आयोग ने यह माना कि उपभोक्ता को एकमुश्त भारी बिल जारी किया जाना अनुचित और उपभोक्ता के प्रति अन्यायपूर्ण है। एसजीआरए द्वारा शिकायतकर्ता को पहले केवल एक हजार रुपये का मुआवज़ा दिया गया था, जिसे आयोग ने अपर्याप्त माना। आयोग ने उपभोक्ता को 5 हजार रुपये का मुआवजा देने के आदेश दिए हैं।