- by Vinita Kohli
- Jan, 01, 2025 04:21
चंडीगढ़ : शहीद-ए-आजम भगत सिंह के शहीदी दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को युवसत्ता, देव समाज कॉलेज ऑफ एजुकेशन, चंडीगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट एंड कैटरिंग टेक्नोलॉजी ने ‘भारत के युवाओं के लिए शहीद भगत सिंह की विरासत’ पर एक सिंपोजियम का आयोजन किया। सिंपोजियम में प्रमुख रूप से भाग लेने वालों में लेखक और यूनिस्टार बुक्स के निदेशक हरीश जैन, फेडरेशन ऑफ सेक्टर वेलफेयर एसोसिएशन ऑफ चंडीगढ़ (फॉसवेक) के अध्यक्ष बलजिंदर सिंह बिट्टू, देव समाज कॉलेज ऑफ एजुकेशन की प्रिंसिपल प्रो. ऋचा शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार दीपक धीमान एवं शायदा बानो, पीपुल्स कन्वेंशन सेंटर एएस पॉल और प्रोफेसर गुरदेव कौर और युवसत्ता के संस्थापक प्रमोद शर्मा शामिल थे।
बेहतर भारत के लिए युवा विद्यार्थियों में पढ़ने की अच्छी आदतें विकसित करने पर जोर देते हुए प्रो. गुरदेव कौर ने बताया कि मात्र 23 वर्ष की आयु में शहादत को चूमने वाले भगत सिंह ने गिरफ्तारी से पहले लगभग 250 पुस्तकें पढ़ीं तथा जेल में 300 से अधिक पुस्तकें पढ़ीं। यहां तक कि उन्होंने साथी क्रांतिकारियों के लिए आगरा में एक छोटा सा पुस्तकालय भी बनवाया था और जेल में भी उन्होंने खुद को किताबें लेने से मना नहीं किया। देव समाज कॉलेज ऑफ एजुकेशन की प्रिंसिपल प्रो. ऋचा शर्मा ने कहा कि भगत सिंह की क्रांतिकारी विचारधारा, राष्ट्रवाद और समाजवाद पर उनके विचार और औपनिवेशिक उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने की उनकी अटूट प्रतिबद्धता दिखती थी। उनकी कृति ‘मैं नास्तिक क्यों हूं और अन्य कृतियां’ न केवल भगत सिंह की वैचारिक स्पष्टता का प्रमाण है, बल्कि प्रचलित रूढ़ियों पर सवाल उठाने और सत्य की खोज में तर्कसंगतता को अपनाने का आह्वान भी है।
दीपक धीमान ने कहा कि शहीद भगत सिंह के सपनों के भारत को साकार करने के लिए युवाओं को के.ए.एफ. के तीन शब्दों के विचार को अपनाना चाहिए, के का अर्थ है ज्ञान प्राप्त करना, ए का अर्थ है छोटी उम्र में शुरुआत करना, लक्ष्य ऊंचा रखना तथा असंभव को संभव बनाना तथा एफ का अर्थ है निर्भय बनना, जैसा कि गुरबाणी में मूलमंत्र निर्भय-निर्वैर में उल्लेख किया गया है, जिसका अर्थ है निर्भय बनना तथा शत्रुता व घृणा से रहित होना। बलजिंदर सिंह बिट्टू ने आगे कहा कि दुनिया भर में सत्ताधारी अभिजात वर्ग जाति, समुदाय, धर्म और राष्ट्रीयता के नाम पर लोगों को बांटने पर आमादा है। और युवाओं को उनके नापाक इरादों को समझना चाहिए। उन्हें सबसे पहले उन सभी खबरों को छांटना चाहिए जो उन्हें मिलती हैं, खास तौर पर न्यूज़ चैनल, सोशल मीडिया हैंडल के ज़रिए, न कि सिर्फ़ आँख मूंदकर उन सभी खबरों को जो उन्हें परोसी जाती हैं। एकजुट होकर हम खड़े हैं और विभाजित होकर हम गिर जाएँगे।
प्रमोद शर्मा ने प्रतिभागियों से कहा कि वे भारत को एक विकसित देश बनाएं, इसके लिए दूसरों को दोष न दें बल्कि खुद भी जिम्मेदारी लें, क्योंकि वे ‘एजेंट आफ चेंज’ हैं, जो अच्छी तरह से पढ़े-लिखे हैं, वैश्विक मामलों की पूरी जानकारी रखते हैं और स्थानीय स्तर पर अपने समुदाय की सेवा करने के लिए तैयार हैं। जैसा कि वे कहते हैं ‘गो ग्लोकल’। शायदा बानो ने कहा कि युवाओं को समानता, न्याय, हाशिए पर पड़े लोगों को सशक्त बनाने, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की लड़ाई को आगे बढ़ाना होगा, जिसके लिए भगत सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान दे दी। अपने समापन भाषण में हरीश जैन ने शहीद भगत सिंह के संक्षिप्त जीवन से उद्धरण देते हुए कहा कि भगत सिंह का विश्वास था कि प्रत्येक छात्र और युवा के पास एक जीवंत दृष्टि होनी चाहिए - जिस तरह के समाज को वे आकार देना चाहते हैं और जिसमें रहना चाहते हैं, उसके लिए एक प्रेरक आकांक्षा होनी चाहिए। राजनीतिक क्रांति का अर्थ राज्य (या अधिक मोटे तौर पर कहें तो सत्ता) का अंग्रेजों के हाथों से भारतीयों के हाथों में हस्तांतरण नहीं है, बल्कि उन भारतीयों के हाथों में हस्तांतरण है जो अंतिम लक्ष्य के संबंध में हमारे साथ एकमत हैं। छात्रों और युवाओं का यह कर्तव्य है कि वे इन संरचनाओं पर सवाल उठाएं, उनका विश्लेषण करें और ‘स्वतंत्रता, लोकतंत्र और समाजवाद’ के सिद्धांतों पर आधारित समाज का निर्माण करें। कार्यक्रम का समापन सभी प्रतिभागियों द्वारा 'परिवर्तन लाने' की शपथ के साथ हुआ।