- by Vinita Kohli
- Feb, 24, 2025 06:59
कुरुक्षेत्र: मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मंगलवार को राज्य स्तरीय रत्नावली महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उत्सव हरियाणा की गौरवशाली विरासत, हमारी माटी की महक और लोक जीवन की झलक प्रस्तुत करता है। यह विद्यार्थियों को न केवल अपने व्यक्तित्व को निखारने का अवसर देता है, बल्कि उन्हें अपनी सांस्कृतिक पहचान पर गर्व करने की भावना से भी ओतप्रोत करता है। रत्नावली महोत्सव केवल सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि हमारी जड़ों और पहचान को पुनर्जीवित करने का एक प्रेरक मंच है।कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और विरासत एवं पर्यटन मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा द्वारा पद्मश्री से अलंकृत संतराम देशवाल तथा कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले अनूप लाठर को सम्मानित किया गया। इसके अलावा, मुख्यमंत्री व अन्य अतिथियों ने हरियाणवी बोली में प्रकाशित रत्नावली टाईम्स पत्रिका का भी विमोचन किया।
नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जुड़ा देखकर खुशी होती है: सैनी
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि वे ऊर्जावान युवाओं के बीच आकर अत्यंत उत्साहित हैं। यह देखकर गर्व होता है कि नई पीढ़ी भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि यह महोत्सव एक ऐसा मंच है, जो युवा पीढ़ी को हमारी जड़ों से जोड़ता है। रत्नावली महोत्सव हमारी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने, संरक्षित करने और उसे अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का एक अनुपम प्रयास है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के कर्मयोग संदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि हरियाणा की संस्कृति में सादगी, स्वाभिमान और देशभक्ति का भाव रचा-बसा है। रत्नावली महोत्सव इन्हीं मूल्यों का उत्सव है और इस मंच से निकलने वाले कलाकार न केवल प्रदेश बल्कि देश का नाम भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन करते हैं।
संस्कृति हमें संस्कार और पहचान देती है: सीएम नायब सैनी
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी हमारे प्रदेश का भविष्य है और संस्कृति के संवाहक भी। यह अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि हमारी युवा पीढ़ी अपनी विरासत को लेकर कितनी सजग और उत्साहित है। शिक्षा हमें ज्ञान और कौशल देती है, लेकिन संस्कृति हमें संस्कार और पहचान देती है। उन्होंने कहा कि वेशभूषा, नृत्य, लोकगीत, हरियाणवी 'सांग' और 'रागनी', यहां बनाई गई झोपड़ियां ये सब केवल प्रदर्शन मात्र नहीं हैं, ये हमारे पूर्वजों की अमूल्य धरोहर हैं। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि युवा शिक्षा के साथ-साथ अपनी संस्कृति व विरासत से भी जुड़े रहें।उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय हरियाणा का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय है। यह प्रदेश 1966 में बना लेकिन इस विश्वविद्यालय की नींव 1956 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी ने रखी थी।
हरियाणा प्रदेश के शैक्षणिक, आर्थिक एवं सामाजिक विकास में इस विश्वविद्यालय का अमूल्य योगदान है। हरियाणा ने शिक्षा, खेल, संस्कृति, शोध, औद्योगिक क्षेत्र में प्रगति कर अग्रणी राज्य के रूप में भारत में अलग पहचान बनाई है। इस पहचान में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का भी महत्वपूर्ण योगदान है। यह विश्वविद्यालय, ज्ञान-विज्ञान, अनुसंधान, कौशल विकास, खेल, कला, संस्कृति सहित सभी क्षेत्रों में देश के अग्रणी विश्वविद्यालयों में से एक है। उन्होंने कहा कि प्राचीन हरियाणवी कला व संस्कृति को बचाने में आजीवन योगदान करने वाले कलाकारों को 'हरियाणा रत्न अवार्ड' से सम्मानित किया जाता है। इसी प्रकार, हरियाणवी थिएटर को जीवंत करने में आजीवन योगदान करने वाले कलाकार को हर वर्ष 'हरियाणा रत्न पुरस्कार' दिया जाता है। इसके अलावा, हरियाणवी नृत्य के क्षेत्र में आजीवन योगदान करने वाले कलाकार को नृत्य का 'हरियाणा रत्न पुरस्कार' दिया जाता है।
हरियाणा की सांस्कृतिक विकास यात्रा में इस उत्सव की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है: सीएम सैनी
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 38 वर्षों से इस विश्वविद्यालय में रत्नावली महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। हरियाणा की सांस्कृतिक विकास यात्रा में इस उत्सव की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। इस महोत्सव को हरियाणवी संस्कृति का महाकुंभ कहा जाता है। इसमें अहीर, बांगर, बागर, खादर, कोरवी मेवाती जैसी विभिन्न बोलियों की 34 विधाओं में लगभग 3500 युवा कलाकार भाग लेते हैं। उन्होंने महोत्सव में भाग लेने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।उन्होंने कहा कि इस महोत्सव में हर वर्ष नए-नए प्रयास कर युवाओं को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। पिछले वर्षों में पगड़ी बंधाओ, फोटो खिंचवाओ, हरियाणा के रीति-रिवाजों को प्रतियोगिता का रूप दिया गया। सेल्फी विद हरियाणवी गत वर्ष का अनूठा प्रयास रहा है। इस प्रतियोगिता में लूर नृत्य की प्रस्तुति की जा रही है जो हरियाणा की एक लुप्त हो रही नृत्य की विधा है।
इसी प्रकार, हरियाणवी फैशन शो भी इस उत्सव के आकर्षण का केन्द्र है। हरियाणा की संगीत यात्रा, हरियाणा फूड फेयर, हरियाणा आर्ट फेयर, सुन गीता का ज्ञान ऐसी प्रतियोगिताएं हैं, जो आने वाले वर्षों में इस महोत्सव की पहचान बनेंगी व इसे एक नए मुकाम तक ले जाएंगी। उन्होंने कहा कि सरकार का भी प्रयास है कि शिक्षा और संस्कृति के बीच एक मजबूत सेतु का निर्माण करें। हमारा मानना है कि संस्कृति और पर्यटन एक-दूसरे के पूरक हैं। जब हम अपनी सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करते हैं और उसे बढ़ावा देते हैं, तो हम दुनिया भर से पर्यटकों को भी आकर्षित करते हैं।
गीता महोत्सव और सूरजकुंड क्राफ्ट मेले विश्व प्रसिद्ध: सैनी
हरियाणा में कुरुक्षेत्र, करनाल, पंचकूला और अन्य कई ऐसे स्थान हैं, जहां हम सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा दे सकते हैं। हमारा लक्ष्य हरियाणा को केवल कृषि और औद्योगिक विकास के लिए ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर के केंद्र के रूप में भी स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार अपने लोक कलाकारों के लिए विभिन्न कार्यक्रम और मेलों का आयोजन करती है। इनमें गीता महोत्सव और सूरजकुंड क्राफ्ट मेले तो विश्व प्रसिद्ध हैं। ऐसे आयोजनों से लोक कलाकारों को कला को निखारने और दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का मौका मिलता है। उन्होंने सभी से अपील की कि सब मिलकर अपनी संस्कृति को जीवित रखें। अपनी कलाओं पर गर्व करें, उन्हें सीखें और दूसरों को भी सिखाएं।
मुख्यमंत्री ने सभी प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि रत्नावली का मंच हार-जीत का नहीं, बल्कि सीखने और अनुभव प्राप्त करने का मंच है। यहाँ हर कलाकार विजेता है, क्योंकि उसने अपनी संस्कृति के प्रति अपनी श्रद्धा और प्रेम व्यक्त किया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह महोत्सव आने वाले वर्षों में और भी भव्य और प्रभावशाली बनेगा। हम सब मिलकर हरियाणा की इस अनूठी सांस्कृतिक पहचान को और मजबूत करें।