- by Vinita Kohli
- Feb, 24, 2025 06:59
कुरुक्षेत्र: कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में भारत रत्न गुलजारीलाल नंदा नीति शास्त्र दर्शनशास्त्र केंद्र, संग्रहालय एवं पुस्तकालय, युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग तथा स्वावलंबी भारत अभियान के संयुक्त तत्वावधान में पांच दिवसीय लोक कला कार्यशाला के तीसरे दिन कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव उपेन्द्र सिंघल, केडीबी सदस्य अशोक रोशा व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान व लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया ने कार्यशाला का अवलोकन किया व प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया।
इस अवसर पर केडीबी मानद सचिव उपेन्द्र सिंघल ने कहा कि लोक कला हमारी संस्कृति की जड़ है, जो समाज को उसकी पहचान से जोड़ती है। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में जब पश्चिमी प्रभाव बढ़ रहा है, तब ऐसी कार्यशालाएँ युवाओं को अपनी जड़ों से जोड़ने का माध्यम बनती हैं।
जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया ने कहा कि लोक कला मात्र अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि जीवन दर्शन का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय सदैव ऐसे आयोजनों के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक धरोहर के संवर्धन के लिए प्रयासरत है। उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे इन कलाओं को आधुनिक तकनीक से जोड़कर नवाचार का मार्ग प्रशस्त करें, ताकि युवा पीढ़ी परंपरा और आधुनिकता का समन्वय स्थापित कर सके।
केडीबी सदस्य अशोक रोशा ने प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि लोक कलाओं का संरक्षण केवल कलाकारों का नहीं, बल्कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है। कार्यक्रम के आरंभ में भारत रत्न गुलजारीलाल नंदा सेंटर की निदेशक प्रो. शुचिस्मिता ने मुख्य अतिथि एवं अन्य गणमान्य अतिथियों का स्वागत और अभिनंदन किया। उन्होंने बताया कि यह कार्यशाला विश्वविद्यालय में पारंपरिक लोक कलाओं के संवर्धन और संरक्षण के उद्देश्य से आयोजित की जा रही है, ताकि नई पीढ़ी भारतीय संस्कृति के विविध रंगों को समझ सके। अंत में डॉ कुलदीप सिंह आर्य में सभी का धन्यवाद किया।