Thursday, Sep 11, 2025

मथुरा में धूमधाम से मनाया गया ‘राधा अष्टमी’ का पर्व: देश-विदेश से आए लाखों भक्तों ने अभिषेक महोत्सव में शामिल होकर कमाया पुण्य लाभ


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मथुरा: मथुरा के बरसाना स्थित श्री राधारानी मंदिर में ‘राधा अष्टमी’ का पर्व रविवार को धूमधाम से मनाया गया। मथुरा स्थित बरसाना कस्बे में राधारानी का 5253वां जन्मोत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया। इसे ‘राधा अष्टमी’ पर्व कहा जाता है। इस अवसर पर देश-विदेश से बरसाना पहुंचे लाखों भक्तों ने अभिषेक महोत्सव में शामिल होकर पुण्य लाभ कमाया। यह पहला मौका था जब जिला प्रशासन ने मंदिर प्रबंधन के साथ मिलकर जन्मोत्सव कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया और इस मौके पर भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। अधिकारी शनिवार से ही लगातार मेले में पैदल भ्रमण करके और नियंत्रण कक्ष में सीसीटीवी के माध्यम से पल-पल की खबर लेते रहे। रविवार सुबह जब राधारानी का अभिषेक प्रारंभ हुआ तो मंदिर प्रांगण सहित संपूर्ण मेला परिसर में ‘राधारानी की जय’ के जयकारे लगने लगे। सभी श्रद्धालु ‘राधे-राधे’ करते झूमने लगे। मेले में छह स्थानों पर लगाई गई एलईडी स्क्रीनों पर देख रहे भक्तजन भी भाव विह्वल हो उठे। सबसे ज्यादा उल्लास तो तब हुआ, जब इंद्रदेव ने भी राधारानी के जन्म दिवस पर अमृत रूपी बूंदों की वर्षा शुरू कर दी। 


लेकिन ब्रह्मांचल पर्वत की छह सौ फुट ऊंची पहाड़ी पर बने लाडली जी (राधारानी) के मंदिर परिसर और आसपास जुटे श्रद्धालु इस दौरान टस से मस नहीं हुए। बरसाना की गलियों में दूर-दूर से आए भक्त इस दिव्य दृश्य के साक्षी बने, तो हर कोई आनंदमग्न हो उठा। महिलाएं मंगलगीत गाने लगीं, संत वेदपाठ में लीन हो गए और बच्चे फुहारों में नाचने लगे। वृद्ध भक्तों ने इसे ईश्वरीय संकेत बताते हुए कहा, ‘‘यह वर्षा कोई साधारण वर्षा नहीं, यह तो राधारानी के जन्म का दिव्य अभिषेक है।’’ इससे एक दिन पूर्व नंदगांव के गोस्वामी समाज ने लाडली जी मंदिर में पहुंचकर सभी को बधाई दी और मिठाई वितरित की। इसके बाद बरसाना के गोस्वामी समाज के प्रबुद्ध जनों के साथ मिलकर पारंपरिक बधाई गायन किया। मथुरा के महावन के समीप स्थित रावल गांव के राधारानी मंदिर में सुबह चार बजे ही राधारानी का प्रकट्योत्सव सम्पन्न हुआ। यही वह गांव है जहां द्वापर युग में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को वृषभानु व कीर्तिदेवी की लाडली बेटी के रूप में राधारानी का जन्म हुआ था। राधारानी का प्राकट्य होते ही मंदिर परिसर घंटे-घड़ियाल व शंख ध्वनि से गूंज उठा। 


मन्दिर के सेवायत पुजारी राहुल कल्ला द्वारा साढ़े चार बजे मंगला आरती की गई। तत्पश्चात, साढ़े पांच बजे मन्दिर के सेवायत महंत व अन्य संतों द्वारा 101 किलो दूध मिश्रित घी, शहद, बूरा, यमुना जल, रस, गंगाजल व पंचामृत से राधारानी के विग्रह का अभिषेक किया। इसके बाद श्री राधारानी का श्रृंगार किया गया। श्री राधा वल्लभ मंदिर के सेवायत गोविंद गोस्वामी ने बताया कि प्राचीन राधा वल्लभ मंदिर में सुबह मंगला आरती के बाद महाभिषेक किया गया। उन्होंने बताया कि दधिकांध नामक अनुष्ठान में प्रसाद के रूप में गर्भगृह से भक्तों पर खिलौने, कपड़े, बिस्कुट और टॉफियां फेंकी गईं। गोविंद गोस्वामी ने बताया कि एक हजार लीटर क्षमता वाले एक कुंड में दूध, दही और हल्दी मिलाकर सेवायतों पर डाली जाती है। उन्होंने बताया कि शाम को राधा कृष्ण की शोभायात्रा निकाली गई। गोस्वामी ने बताया कि मंदिर में राधा और कृष्ण एक ही विग्रह हैं, जिन्हें 'युगल छवि' कहा जाता है। यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां राधा और कृष्ण एक ही मूर्ति में विराजमान हैं। वृंदावन चंद्रोदय मंदिर में सुबह 'महाभिषेक' के लिए कई किलो दूध, दही, पिसी चीनी, शहद, घी और कई औषधीय जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया गया और राधे-राधे के जयकारों से गूंज उठा। चंद्रोदय मंदिर के मीडिया प्रभारी अभिषेक मिश्रा ने बताया कि भगवान को सुंदर नीले रंग की पोशाक पहनाई गई थी।

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Vinita Kohli

मथुरा में धूमधाम से मनाया गया ‘राधा अष्टमी’ का पर्व: देश-विदेश से आए लाखों भक्तों ने अभिषेक महोत्सव में शामिल होकर कमाया पुण्य लाभ

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