- by Super Admin
- Jun, 23, 2024 21:28
चंडीगढ़: पंजाब यूनिवर्सिटी कैंपस में बुधवार को होने वाले नामांकन से पहले चुनावी माहौल गरमाता जा रहा है। विभिन्न छात्र संगठन अब खुलकर अपने पैनल और उम्मीदवारों की घोषणा कर रहे हैं। कहीं जुलूस और बैठकों के जरिए प्रचार तेज हो रहा है तो कहीं घोषणापत्र जारी कर वादे किए जा रहे हैं। मंगलवार को पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (पीयूएसयू) ने अपने अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के तौर पर यूआईईटी के छात्र सिद्धार्थ बूरा का नाम घोषित किया। सिद्धार्थ ने चार महीने पहले लगातार छह दिन तक अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल कर छात्रों की समस्याओं को लेकर आवाज़ उठाई थी। उनकी सक्रियता और जुझारूपन ने उन्हें कैंपस में अलग पहचान दिलाई है।
इसी बीच, आम आदमी पार्टी के छात्र एवं युवा विंग - एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स फॉर अल्टरनेटिव पॉलिटिक्स (एएसएपी) - ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने आधिकारिक उम्मीदवार घोषित किए। पार्टी ने यूआईईटी के पीएचडी स्कॉलर मनकीरत सिंह मान को अध्यक्ष पद के लिए मैदान में उतारा है। वहीं सचिव पद पर यूआईएलएस की छात्रा कोमलप्रीत कौर को उम्मीदवार बनाया गया है। मनकीरत को पारदर्शी नेतृत्व और शैक्षणिक दृष्टि से गंभीर उम्मीदवार के तौर पर पेश किया गया, जबकि कोमलप्रीत को समावेशिता और जेंडर इक्वालिटी की मजबूत आवाज़ बताया गया। इसके अलावा, अंबेडकर स्टूडेंट्स फोरम (एएसएफ) ने भी चुनावी दौड़ में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए अध्यक्ष पद के लिए यूआईएलएस की पहली वर्ष की छात्रा नवनीत कौर को उम्मीदवार बनाया है।
पीएसयू ललकार ने जारी किया घोषणापत्र
पीएसयू (ललकार) ने मंगलवार को अपना घोषणापत्र जारी करते हुए कैंपस लोकतंत्र को बचाने, छात्रों की आवाज़ को मजबूत करने और यूनिवर्सिटी की मौजूदा व्यवस्था में पारदर्शिता लाने का संकल्प लिया। घोषणापत्र में हाल ही में लागू किए गए ‘ग़ैर-लोकतांत्रिक हलफ़नामे’ को वापस लेने, स्थायी पुलिस तैनाती को खत्म करने और दस माह से लंबित सीनेट चुनाव कराने की मांग की गई है। संगठन ने फीस वृद्धि रोकने और हालिया बढ़ोतरी को वापस लेने, जरूरतमंद छात्रों के लिए नए हॉस्टल निर्माण और पारदर्शी आवंटन व्यवस्था का वादा किया है। साथ ही रिक्त फैकल्टी पदों को भरने, गैर-शिक्षण कर्मचारियों को नियमित करने, कैंपस को पैदल और पर्यावरण अनुकूल बनाने, पारदर्शी फंड प्रबंधन, शोध छात्रवृत्ति बढ़ाने तथा एसी जोशी लाइब्रेरी को 24 घंटे खोलने की घोषणाएँ शामिल हैं। संगठन ने एनईपी-2020 के निजीकरण और केंद्रीकरण के एजेंडे का विरोध करने का भी आह्वान किया।