- by Vinita Kohli
- Jan, 02, 2025 05:50
चंडीगढ़: यूटी पुलिस द्वारा मंगलवार सुबह सेक्टर-17 स्थित पुलिस स्टेशन के मैदान में पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर श्रद्धांजलि परेड का आयोजन किया गया। यह दिन हर वर्ष उन वीर पुलिसकर्मियों की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने अपने कर्तव्य पालन के दौरान देश और समाज की सेवा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। कार्यक्रम के दौरान चंडीगढ़ के पुलिस महानिदेशक डॉ. सागर प्रीत हूडा (आईपीएस) ने पुलिस शहीद स्मारक स्थल पर पुष्पचक्र अर्पित कर शहीद साथियों को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और शहीदों के परिजन भी उपस्थित रहे। सभी ने दो मिनट का मौन रखकर वीर जवानों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। चंडीगढ़ पुलिस की स्थापना वर्ष 1966 में हुई थी और तब से यह संस्था कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए समर्पित है। इस दौरान विभाग के 10 बहादुर पुलिसकर्मियों ने अपने कर्तव्य की राह में प्राण न्योछावर किए — इंस्पेक्टर जगजीत सिंह, इंस्पेक्टर सुचा सिंह, सब-इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह, एएसआई अमरजीत सिंह, एएसआई लालू राम, एएसआई अमीन चंद, हेड कांस्टेबल सुखजिंदर सिंह, कांस्टेबल शमशेर सिंह, कांस्टेबल सुखदर्शन सिंह और होम गार्ड वालंटियर राजेश कुमार।
इनमें से कई पुलिसकर्मियों ने आतंकवाद के दौर में निडरता और वीरता का परिचय दिया। वर्ष 1988 में सेक्टर-45 में हुए मुठभेड़ के दौरान इंस्पेक्टर जगजीत सिंह ने तीन आतंकियों को मार गिराया, लेकिन स्वयं शहीद हो गए। इसी प्रकार 1989 में एएसआई अमरजीत सिंह गश्त के दौरान आतंकियों के हमले में शहीद हुए। 1991 में एएसआई लालू राम और अमीन चंद एसएसपी की सुरक्षा के दौरान विस्फोट में शहीद हुए। वहीं, 1992 में एसआई अमरजीत सिंह आतंकियों को एस्कॉर्ट करते समय हुए हमले में वीरगति को प्राप्त हुए। हाल के वर्षों में भी विभाग ने अपने जवान खोए हैं। वर्ष 2013 में इंस्पेक्टर सुचा सिंह को जांच के दौरान अपराधियों ने चाकू मारकर हत्या कर दी। जनवरी 2025 में हेड कांस्टेबल सुखजिंदर सिंह की ड्यूटी के दौरान सड़क हादसे में मृत्यु हुई। इसी वर्ष मार्च 2025 में पीएस-31 के कांस्टेबल सुखदर्शन सिंह और होम गार्ड वालंटियर राजेश कुमार नाका ड्यूटी के दौरान एक तेज रफ्तार कार की टक्कर से शहीद हुए। चंडीगढ़ पुलिस ने इन सभी शहीदों के परिजनों को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनकी वीरता को याद किया।
1959 के लद्दाख बलिदान से जुड़ा है पुलिस स्मृति दिवस का इतिहास
वर्ष 1 सितंबर 2024 से 31 अगस्त 2025 तक देशभर में 191 पुलिस अधिकारी और जवानों ने अपने कर्तव्य के दौरान शहादत दी। इनमें विभिन्न राज्यों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कर्मी शामिल हैं। इस वर्ष शहीद हुए अधिकारियों और जवानों की संख्या इस प्रकार है— आंध्र प्रदेश के 5, अरुणाचल प्रदेश का 1, असम के 2, बिहार के 8, चंडीगढ़ के 3, छत्तीसगढ़ के 16, गुजरात के 3, झारखंड का 1, केरल का 1, कर्नाटक के 8, मध्य प्रदेश के 11, महाराष्ट्र का 1, मणिपुर के 3, नागालैंड का 1, ओडिशा के 2, पंजाब के 3, राजस्थान के 7, तमिलनाडु के 6, तेलंगाना के 5, त्रिपुरा के 2, उत्तर प्रदेश के 3, उत्तराखंड के 4, पश्चिम बंगाल के 12, दिल्ली के 8, जम्मू-कश्मीर के 14, लद्दाख का 1, असम राइफल्स के 2, बीएसएफ के 23, सीआईएसएफ के 6, सीआरपीएफ के 9, एनडीआरएफ का 1, आरपीएफ के 9, एसएसबी के 6 और आईटीबीपी के 5 जवान शामिल हैं।
पुलिस स्मृति दिवस का इतिहास 21 अक्तूबर 1959 से जुड़ा है, जब लद्दाख क्षेत्र में सीमा सुरक्षा में तैनात भारतीय पुलिस बल की एक टुकड़ी पर चीनी सैनिकों ने घात लगाकर हमला किया था, जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 10 जवान शहीद हो गए थे। पुलिस स्मृति दिवस का इतिहास 21 अक्तूबर 1959 से जुड़ा है, जब लद्दाख क्षेत्र में सीमा सुरक्षा में तैनात भारतीय पुलिस बल के दस जवान चीन की घात लगाकर की गई कार्रवाई में शहीद हुए थे। तभी से यह दिन पूरे देश में पुलिस बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है।