- by Super Admin
- Apr, 07, 2024 17:59
नई दिल्ली: केंद्र ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर ऑनलाइन गेमिंग अधिनियम, 2025 के संवर्धन और विनियमन को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को विभिन्न उच्च न्यायालयों से शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया ताकि परस्पर विरोधी फैसलों से बचा जा सके। भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ के समक्ष यह याचिका पेश की गई। याचिकाकर्ता वकील ने कहा, भारत सरकार ने स्थानांतरण याचिका दायर की है, ऑनलाइन गेमिंग विनियमन अधिनियम को तीन उच्च न्यायालयों में चुनौती दी गई है। चूंकि यह कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष अंतरिम आदेशों के लिए सूचीबद्ध है, इसलिए क्या इसे सोमवार को सूचीबद्ध किया जा सकता है? सीजेआई ने याचिका को अगले सप्ताह विचार के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की।
ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन अधिनियम, 2025 पहला केंद्रीय कानून है, जो वास्तविक धन वाले ऑनलाइन गेमिंग पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लगाता है, जिसमें काल्पनिक खेल जैसे लोकप्रिय प्रारूप भी शामिल हैं। यह कानून ऑनलाइन पैसे वाले खेलों को खेलने पर प्रतिबंध लगाता है और उल्लंघनों को संज्ञेय व गैर-जमानती अपराधों के रूप में वर्गीकृत करता है। यह विधेयक 20 अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया और दो दिन के भीतर संसद के दोनों सदनों में ध्वनिमत से पारित हो गया। इसे 22 अगस्त को राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिल गई और अब यह कानून बन गया है। इस कानून को मध्य प्रदेश, कर्नाटक और दिल्ली के उच्च न्यायालयों में चुनौती दी गई है। केंद्र की स्थानांतरण याचिका में कहा गया है कि चूंकि इस कानून को विभिन्न न्यायालयों में चुनौती दी गई है, इसलिए उच्चतम न्यायालय के लिए यह उचित होगा कि वह एकरूपता सुनिश्चित करने और मुकदमों की बहुलता से बचने के लिए मामलों की एक साथ सुनवाई करे।