Thursday, Nov 6, 2025

न्यायालय ने अधिकरण सुधार कानून के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई टालने के केंद्र के अनुरोध पर नाराजगी जताई


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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को न्यायाधिकरण सुधार पर 2021 के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली मद्रास बार एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित करने के केंद्र के अनुरोध पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। तीन नवंबर को प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र की उस अर्जी पर कड़ा रुख अपनाया था जिसमें उसने अधिकरण सुधार (सुव्यवस्थीकरण एवं सेवा शर्तें) अधिनियम, 2021 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को पांच सदस्यीय पीठ के पास भेजने का अनुरोध किया था। न्यायालय ने कहा था कि अंतिम सुनवाई के आखिरी चरण में सरकार से ऐसी उम्मीद नहीं थी। 


यह अधिनियम फिल्म प्रमाणन अपीलीय अधिकरण समेत कुछ अपीलीय अधिकरणों को खत्म करता है और विभिन्न अधिकरणों के न्यायिक एवं अन्य सदस्यों की नियुक्ति एवं कार्यकाल से जुड़े कई नियमों में बदलाव करता है। प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने इस बात को लेकर नाराजगी जताई कि केंद्र अब इस मामले को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भिजवाना चाहता है। इसके बाद प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने केंद्र की उस याचिका को खारिज करने की धमकी दी थी, जो अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी के माध्यम से मामले को वृहद पीठ को सौंपने के लिए पेश की गई थी। पीठ ने कहा था कि वह केंद्र सरकार की ऐसी तरकीबों को मंजूरी नहीं देती है। इसके बाद अटॉर्नी जनरल ने सोमवार को मामले के गुण-दोष पर बहस की और उसके बाद पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई तय की। 


बृहस्पतिवार को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने मामले का उल्लेख किया और अटॉर्नी जनरल की ओर से उनकी अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता प्रतिबद्धताओं का हवाला देते हुए मामले की सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया। इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, यह इस अदालत के प्रति बहुत अनुचित कदम है। एएसजी ने दलील दी कि अटॉर्नी जनरल की शुक्रवार को एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता सुनवाई निर्धारित है, इसलिए उन्होंने इसमें छूट मांगी है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, हमने उन्हें इतने समय तक छूट दी है। हमने उन्हें दो बार छूट दी है। यह अदालत के साथ सही नहीं है। आगामी 23 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे प्रधान न्यायाधीश ने भाटी से कहा, यदि आप इस पर 24 (नवंबर) के बाद सुनवाई चाहते हैं तो आप हमें स्पष्ट रूप से बताइए। 


एएसजी भाटी ने जब मामले की सुनवाई सोमवार को करने का सुझाव दिया, तो प्रधान न्यायाधीश ने नाराज़ होकर कहा, तो फिर हम फ़ैसला कब लिखेंगे? हर रोज़ हमें बताया जाता है कि वह मध्यस्थता में व्यस्त हैं। आखिरी वक़्त में आप मामले को संविधान पीठ को सौंपने की अर्ज़ी लेकर आ जाते हैं।  प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि ऐसा लगता है कि केंद्र मौजूदा पीठ से बचना चाहता है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि इस मामले में कोई अन्य विधि अधिकारी भारत सरकार का प्रतिनिधित्व क्यों नहीं कर सकता। अंततः पीठ याचिकाकर्ता मद्रास बार एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार को शुक्रवार को सुनने और सोमवार को अटॉर्नी जनरल की दलीलों पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, अगर वह नहीं आते हैं, तो हम मामले को बंद कर देंगे।

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Vinita Kohli

न्यायालय ने अधिकरण सुधार कानून के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई टालने के केंद्र के अनुरोध पर नाराजगी जताई

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